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हरतालिका तीज: इस दिन रखा जाएगा व्रत, जानें पौराणिक कथा और विशेषता

हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का बहुत महत्व है, यह व्रत देवी पार्वती और भगवान शिव के विवाह से जुड़ा है। आइए जानते हैं व्रत रखने का शुभ मुहूर्त और विशेषता।

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भगवान शिव और देवी पार्वती की प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo Credit: AI

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला हरतालिका तीज इस बार महिलाओं के लिए खास महत्व लेकर आ रहा है। यह पर्व हिंदू धर्म की उन प्रमुख तीजों में से एक है, जो खासतौर पर महिलाओं की आस्था, श्रद्धा और सौभाग्य से जुड़ा है। मान्यता है कि इसी दिन माता पार्वती ने कठोर तप कर भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। तभी से यह पर्व विवाहित महिलाओं के लिए पति की लंबी आयु और सुखमय जीवन का प्रतीक बन गया, वहीं अविवाहित कन्याएं अच्छे और योग्य वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं।

 

इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं यानी बिना अन्न और पानी ग्रहण किए दिनभर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इसकी सबसे खास बात यह है कि हरतालिका तीज के अवसर पर महिलाएं हरे वस्त्र, हरी चूड़ियां और मेहंदी लगाकर विशेष श्रृंगार करती हैं, जिसे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

हरतालिका तीज 2025 तिथि

वैदिक पंचाग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि 25 अगस्त, 2025 को दोपहर 12:34 बजे से शुरू होगी और इस तिथि का समापन 26 अगस्त 2025 को दोपहर के समय 01:54 बजे होगा। ऐसे में हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त 2025 के दिन रखा जाएगा।  26 अगस्त 2025 को सुबह 5:50 बजे से लेकर सुबह 08:25 तक पूजा का शुभ मुहूर्त बताया गया है। 

 

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हरतालिका तीज से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह व्रत माता पार्वती जी से जुड़ा है। जब पार्वती जी विवाह योग्य हुईं, तो उनके पिता हिमवान ने उनका विवाह भगवान विष्णु से करने की इच्छा जताई लेकिन पार्वती जी ने बचपन से ही भगवान शिव को अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया था।

 

पार्वती जी अपनी सहेलियों के साथ जंगल में चली गईं और वहां कठोर तपस्या करने लगीं। उन्होंने कई वर्षों तक कठोर उपवास और तप करके भगवान शिव को प्रसन्न किया। उनकी इस तपस्या और अडिग संकल्प की वजह से भगवान शिव ने पार्वती जी को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इसी घटना की याद में हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है।

 

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हरतालिका तीज की विशेषता

हरतालिका तीज की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव के मिलन से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि इसी दिन माता पार्वती ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए यह व्रत विशेष रूप से सौभाग्यवती स्त्रियों और कन्याओं के लिए बहुत फलदायी माना जाता है। विवाहित महिलाएं यह व्रत अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए करती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएं अच्छे और योग्य वर की प्राप्ति के लिए इसे रखती हैं।

 

इस व्रत की एक खास बात यह है कि इसमें महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं यानी दिनभर बिना पानी पिए भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन हरितालिका तीज का श्रृंगार भी बहुत मायने रखता है।

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