भारत चार धाम और उत्तराखंड चार धाम यात्रा में क्या अंतर है? जानें
धर्म-कर्म
• NEW DELHI 28 Apr 2025, (अपडेटेड 29 Apr 2025, 10:00 AM IST)
भारत में दो प्रकार के चार धाम यात्रा होती है, जिनके स्थान, दर्शन समय और इतिहास में बहुत अंतर है। आइए इस बारे में जानते हैं।

मुख्य चार धाम में से एक बद्रीनाथ धाम।(Photo Credit: Wikimedia Commons)
भारत में धार्मिक यात्राओं का विशेष महत्व है। इनमें 'चार धाम यात्रा' रमुख यात्राओं में से एक हैं। हालांकि, चार धाम यात्रा दो तरह हैं, एक भारत चार धाम यात्रा और दूसरा उत्तराखंड चार धाम यात्रा। दोनों यात्राओं के नाम मिलते-जुलते जरूर हैं लेकिन इनके स्थान, समय और परंपराएं अलग-अलग हैं। आइए, इन दोनों यात्राओं के बीच स्पष्ट अंतर को सरल भाषा में समझते हैं।
मुख्य चार धाम यात्रा क्या है?
'चार धाम' शब्द का मतलब है वह चार पवित्र स्थल, जो भारत के चार कोनों में स्थित हैं। इन चार धामों की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने 8वीं सदी में की थी, ताकि हिंदू धर्म को पूरे देश में मजबूत किया जा सके।
चार प्रमुख धाम हैं:
बद्रीनाथ (उत्तर) – भगवान विष्णु को समर्पित, उत्तराखंड में स्थित। इस स्थान से जुड़ी मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान विष्णु हजारों वर्षों तक तपस्या की थी। यह मंदिर 6 महीने दर्शन के लिए खुलता है और 6 महीने इस धाम के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
द्वारका (पश्चिम) – भगवान कृष्ण का निवास स्थान, गुजरात में। महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण ने द्वारका नगरी की स्थापना की थी, जो बाद समुद्र में डूब गई थी। कहा जाता है कि समुद्र के तल में आज भी द्वारका नगरी के अवशेष हो सकते हैं।
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पुरी (पूर्व) – भगवान जगन्नाथ का मंदिर, ओडिशा में। इस स्थान से जुड़ी यह मान्यता है कि यहां भगवान श्री कृष्ण का हृदय आज भी भगवान जगन्नाथ जी के प्रतिमा में मौजूद है, जिस वजह से इस स्थान का महत्व और अधिक है।
रामेश्वरम (दक्षिण) – भगवान शिव को समर्पित, तमिलनाडु में। पौराणिक कथा के अनुसार, इस स्थान पर भगवान श्री राम ने भगवान शिव की उपासना की थी। साथ ही यह धाम देशभर में स्थित द्वादश ज्योतिरलिगों में से एक का निवास स्थान है।
मान्यता:
माना जाता है कि हर हिंदू को अपने जीवन में कम से कम एक बार इन चार धामों की यात्रा करनी चाहिए, ताकि मोक्ष प्राप्त हो सके। यह यात्रा पूरे भारत को एक आध्यात्मिक धागे में जोड़ने का प्रतीक है।
उत्तराखंड चार धाम यात्रा क्या है?
'उत्तराखंड चार धाम यात्रा' केवल उत्तराखंड राज्य में स्थित चार प्रमुख तीर्थ स्थलों की यात्रा है। इसे 'छोटा चार धाम' भी कहा जाता है। इस यात्रा की लोकप्रियता खासकर हिमालयी क्षेत्रों में अधिक है।
उत्तराखंड के चार धाम हैं:
यमुनोत्री – यमुना नदी का उद्गम स्थल, देवी यमुना का मंदिर। यमुनोत्री वह स्थान है जहां से पवित्र यमुना नदी का उद्गम होता है। देवी यमुना को मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाने वाली माता के रूप में पूजा जाता है।
गंगोत्री – गंगा नदी का पवित्र उद्गम स्थल, देवी गंगा का मंदिर। गंगोत्री वह स्थान है जहां देवी गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। कहा जाता है कि भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में समेटकर उसकी धारा को शांत किया था।
केदारनाथ – भगवान शिव का एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग। केदारनाथ में भगवान शिव ने पांडवों को दर्शन देकर उनके पापों का नाश किया था। यह स्थान बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और शिवभक्तों के लिए अत्यंत पवित्र है।
बद्रीनाथ – भगवान विष्णु का मंदिर, जो मुख्य चार धाम में भी शामिल है। बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु ने तपस्या की थी। यहां उन्हें 'बदरी विशाल' के रूप में पूजा जाता है, जो जीवन की मुक्ति का प्रतीक हैं।
मान्यता
उत्तराखंड के इन चार तीर्थों की यात्रा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है। हिमालय की गोद में बसे इन स्थलों का वातावरण भक्तों को अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
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स्थान के आधार पर अंतर
मुख्य चार धाम भारत के चार दिशाओं में फैली हुई है। जिसमें उत्तर में बद्रीनाथ, पश्चिम में द्वारका, पूरबी तट पर पुरी और दक्षिण में रामेश्वरम स्थित, जो पूरे भारत में हजारों किलोमीटर तक फैली हुई है। वहीं छोटा चार धाम यात्रा केवल उत्तराखंड में स्थित है।
दर्शन में लगने वाला समय
मुख्य चार धाम यात्रा पूरे देश में फैली है, इसलिए यात्रा में कम से कम 2 से 4 हफ्ते का समय लग सकता है, यदि सभी धामों को अच्छे से देखा जाए। वहीं उत्तराखंड के चार धाम यात्रा में मौसम और मार्ग की स्थिति को देखते हुए 8 से 15 दिन का समय लगता है। इस दौरान यात्रा के समय श्रद्धालुओं को मौसम का विशेष ध्यान रखना होता है क्योंकि उत्तराखंड में बर्फबारी और बारिश के कारण रास्ते कठिन हो जाते हैं।
दोनों यात्राएं मोक्ष से जुड़ी हैं, लेकिन भारत का चार धाम यात्रा एक जीवनकाल का सबसे बड़ा तीर्थ माना जाता है, जबकि उत्तराखंड यात्रा हिमालयी देवी-देवताओं का विशेष आशीर्वाद पाने के लिए की जाती है। उत्तराखंड चार धाम यात्रा में ऊंचे पहाड़ी मार्ग और मौसम की कठिनाइयां ज्यादा होती हैं, जबकि भारत के चार धाम यात्रा में भौगोलिक दूरी ज्यादा होती है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।
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