उत्तराखंड को देवभूमि की उपाधि प्राप्त है, जहां कई देवी-देवताओं के प्राचीन मंदिर स्थित हैं। इन्हीं में से एक उत्तरकाशी है, जिसे छोटा काशी कहा जाता है। गंगा के किनारे बसा यह तीर्थस्थान न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरा है, बल्कि धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्व रखता है। यहीं पर स्थित है एक अद्भुत और पवित्र मंदिर- श्री जगन्नाथ मंदिर, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री जगन्नाथ को समर्पित है।
हालांकि पुरी (ओडिशा) का जगन्नाथ मंदिर अधिक प्रसिद्ध है लेकिन उत्तरकाशी का यह मंदिर भी गहरी आस्था, प्राचीन मान्यताओं और सुंदर पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है।
मंदिर का स्थान और महत्व
उत्तरकाशी के मुख्य बाजार से कुछ ही दूरी पर यह मंदिर स्थित है। भागीरथी नदी के किनारे बसे इस मंदिर को स्थानीय लोग ‘काशी के जगन्नाथ’ भी कहते हैं। यह मंदिर क्षेत्रीय भक्तों के लिए उतना ही पूजनीय है जितना ओडिशा में स्थित मूल श्री जगन्नाथ धाम।
श्रद्धालु यहां भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियों के दर्शन करते हैं। यह मंदिर न केवल तीर्थ यात्रा का हिस्सा है, बल्कि चारधाम यात्रा पर जाने वाले अनेक भक्त यहां रुककर पूजा-अर्चना करते हैं और आगे बढ़ते हैं।
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मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
उत्तरकाशी के इस मंदिर को लेकर कई लोक मान्यताएं प्रचलित हैं। एक प्रमुख मान्यता के अनुसार, जब भगवान जगन्नाथ ने पुरी में अपना धाम स्थापित किया, उसी समय उन्होंने उत्तर दिशा में उत्तरकाशी में भी अपनी दिव्य उपस्थिति दी। यह स्थान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तरकाशी को ‘उत्तर की काशी’ कहा जाता है, जो वाराणसी की भांति आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर माना जाता है।
स्थानीय लोककथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ स्वयं एक भक्त को स्वप्न में दर्शन देकर बोले थे कि वे उत्तरकाशी में भी पूजन के योग्य स्थान पर प्रतिष्ठित होना चाहते हैं। इसके बाद वहां एक दिव्य प्रतिमा प्राप्त हुई और उसी स्थान पर मंदिर की स्थापना हुई।
पौराणिक कथा और धार्मिक आस्था
एक मान्यता यह भी कहती है कि जब भगवान विष्णु ने अपने अनेक अवतारों के बाद विश्राम करने का स्थान खोजा, तब उन्होंने उत्तर की हिमालयी गोद को चुना और उत्तरकाशी में अपनी छाया रूप में निवास किया। इसीलिए श्री जगन्नाथ की उपस्थिति यहां मानी जाती है।
भक्त यह भी मानते हैं कि जिन श्रद्धालुओं के पास पुरी जाकर दर्शन करने का अवसर नहीं होता, उन्हें उत्तरकाशी में दर्शन कर लेने से पुरी के दर्शन का पुण्य मिल जाता है।
मंदिर की पूजा विधि
मंदिर की बनावट पारंपरिक पहाड़ी शैली में है, लेकिन इसमें पूर्वी भारत की वास्तुकला की भी झलक देखने को मिलती है। लकड़ी और पत्थर से बना यह मंदिर अत्यंत शांत और आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करता है।
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यहां नियमित रूप से आरती, भोग और विशेष अनुष्ठान होते हैं। रथयात्रा के समय यहां भी सांकेतिक रथयात्रा निकाली जाती है जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। श्री जगन्नाथ मंदिर केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह उत्तरकाशी के धार्मिक पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र भी है। यहां पूरे वर्ष श्रद्धालु आते हैं, विशेष रूप से अषाढ़ माह में रथयात्रा के अवसर पर यह मंदिर विशेष रूप से सुसज्जित होता है।
चारधाम यात्रा में गंगोत्री जाने वाले कई श्रद्धालु पहले श्री जगन्नाथ मंदिर आकर पूजा करके शुभ यात्रा की शुरुआत करते हैं। यह मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां परंपरा और प्रकृति दोनों का अद्भुत संगम दिखाई देता है।