जयपुर की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों में गढ़ गणेश मंदिर का नाम विशेष महत्व रखता है। पहाड़ी की ऊंचाई पर स्थित यह प्राचीन मंदिर न केवल भगवान गणेश की भक्ति का केंद्र है, बल्कि जयपुर की स्थापत्य और सांस्कृतिक पहचान से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। मान्यता के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाई थी। माना जाता है कि जयपुर शहर की नींव रखने से पहले महाराजा ने यहां अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया था और इसी स्थान पर भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना की थी।
गढ़ गणेश मंदिर का निर्माण इस प्रकार से किया गया है कि सवाई जयसिंह द्वितीय अपने सिटी पैलेस स्थित चंद्रमहल से दूरबीन के जरिए इस मंदिर में विराजमान गणेश जी के दर्शन कर सकते थे। यही वजह है कि यह मंदिर केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि स्थापत्य और ज्योतिषीय महत्व से भी खास स्थान रखता है। आज भी भक्तजन इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पहाड़ी पर बने लगभग 365 सीढ़ियों की चढ़ाई करते हैं। गणेश चतुर्थी और अन्नकूट महोत्सव के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
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मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यता?
गढ़ गणेश मंदिर के निर्माण का श्रेय महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय को दिया जाता है। मान्यता है कि जब उन्होंने जयपुर शहर की नींव रखने का निर्णय लिया, तो उन्होंने सबसे पहले अश्वमेध यज्ञ करवाई थी। यह यज्ञ गढ़ गणेश मंदिर की स्थापना के बाद ही संपन्न हुई थी।
कथा के अनुसार, जयसिंह द्वितीय ने संकल्प लिया था कि जब तक गणेश जी का आशीर्वाद नहीं मिलेगा, तब तक जयपुर शहर की नींव नहीं रखी जाएगी। तभी उन्होंने इस मंदिर की स्थापना करवाई थी और गणेश जी को नगर का रक्षक देवता भी माना जाता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 365 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। इन सीढ़ियों को साल के 365 दिन से जोड़ा जाता है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहां दर्शन करने से नए कार्यों की शुरुआत में सफलता और पारिवारिक सुख-शांति प्राप्त होती है।

मंदिर से जुड़ी विशेषताएं
गढ़ गणेश मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इस मंदिर में स्थापित गणेश जी की प्रतिमा है। यहां भगवान गणेश बाल स्वरूप में विराजमान हैं और उनकी सूंड नहीं है। गणेश जी का यह रूप पूरे देश में अत्यंत दुर्लभ माना जाता है। मंदिर की संरचना किले जैसी बनाई गई है। मंदिर संरचना में राजस्थानी किलेबंदी की झलक देखने को मिलती है।
इस मंदिर की स्थापना को जयपुर शहर की स्थापना के इतिहास के तौर पर देखा जाता है। मंदिर में गणेश चतुर्थी पर पांच दिन का भव्य मेला लगता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इसके अलावा, हर बुधवार यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है।
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एक अनोखी परंपरा भी यहां प्रचलित है। मान्यता है कि भक्त अपनी मनोकामना मूषक (गणेश जी का वाहन) के कान में धीरे से कहते हैं और इस तरह से कही गई प्रार्थना सीधे गणेश जी तक पहुंच जाती है।
गढ़ गणेश मंदिर तक पहुंचने का मार्ग
जयपुर रेलवे स्टेशन से गढ़ गणेश मंदिर
जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन से गढ़ गणेश मंदिर की दूरी लगभग 7 किलोमीटर है। स्टेशन से बाहर निकलने के बाद आप ऑटो, कैब या टैक्सी के जरिए सीधे नाहरगढ़ रोड पर स्थित इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं। रास्ते में आपको त्रिपोलिया बाजार और पुराना जयपुर शहर देखने को मिलेगा।
जयपुर एयरपोर्ट से गढ़ गणेश मंदिर
जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (सांगानेर) से मंदिर की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है। एयरपोर्ट से कैब या टैक्सी लेकर आप जवाहर सर्किल, रामबाग रोड होते हुए पुराना शहर पार कर नाहरगढ़ रोड पर पहुंच सकते हैं। यहां से मंदिर पहाड़ी पर दिखाई देता है।
मंदिर तक अंतिम चढ़ाई
गढ़ गणेश मंदिर नाहरगढ़ रोड पर पहाड़ी की ऊंचाई पर स्थित है। मुख्य द्वार तक वाहन आसानी से पहुंच जाते हैं लेकिन मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने के लिए लगभग 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यह चढ़ाई भक्तों के लिए आध्यात्मिक साधना का हिस्सा मानी जाती है।