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एकादशी के दिन नहीं तोड़ने चाहिए तुलसी पत्र, ये हैं व्रत के अन्य नियम

भगवान विष्णु की उपासना के लिए एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं, व्रत के नियम और महत्व।

Image of Bhagwan Vishnu Ekadashi Vrat

भगवान विष्णु को समर्पित है एकादशी व्रत।(Photo Credit: Creative Image)

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु की उपासना के लिए एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि प्रत्येक मास के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा भाव से रखा जाता है। इन सभी में जया एकादशी भी महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है, जो माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है।

बता दें कि वर्ष 2025 में जया एकादशी व्रत 08 फरवरी 2025, शनिवार के दिन रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की उपासना के साथ-साथ कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाएगा। आइए जानते हैं क्या हैं नियम और महत्व।

जया एकादशी 2025 व्रत के नियम

दशमी तिथि की तैयारी: व्रत से एक दिन पहले, दशमी तिथि को हल्का और सात्विक भोजन करना चाहिए। इस दिन मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल, और तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। साथ ही, चावल का सेवन भी वर्जित है।

 

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एकादशी के दिन: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन पूर्ण उपवास रखना उत्तम माना गया है लेकिन यदि स्वास्थ्य कारणों से संभव न हो, तो फलाहार या जलाहार ले सकते हैं। अनाज और दालों का सेवन इस दिन निषिद्ध है।

 

पूजा विधि: भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं। उन्हें पीले फूल, तुलसी दल, फल, और नैवेद्य अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और भगवान के मंत्रों का जाप करें। रात्रि में जागरण करते हुए भजन-कीर्तन करना शुभ माना जाता है।

 

द्वादशी तिथि पर पारण: अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। पारण के समय ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना विशेष फलदायी होता है।

जया एकादशी 2025 मान्यताएं

मान्यता है कि जया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त होता है। साथ ही एक मान्यता यह भी है कि इस व्रत के प्रभाव से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, लेकिन पूजा में उपयोग के लिए एक दिन पहले ही तुलसी दल तोड़कर रख सकते हैं। इसके अलावा, व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन, अपशब्दों से बचना और नाखून, बाल, या दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए।

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