भगवान शिव इस सृष्टि के कारण हैं। उनका न आदि है, न अंत है। वेद उन्हें 'मूल' कहते हैं। शिव पुराण में एक कथा है कि भगवान विष्णु और ब्रह्मा में श्रेष्ठता को लेकर बहस छिड़ी। दोनों ने खुद को श्रेष्ठ बताया। इस विवाद के निपटारे के लिए भगवान शिव पहली बार ज्योतिर्लिंग में प्रकट हो गए। उन्होंने कहा कि जो मेरे मूल का पता लगाएगा, वही श्रेष्ठ होगा। दोनों उनका मूल नहीं जान पाए। भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव से एक झूठ बोला था, जिसकी उन्हें सजा भी मिली थी। उन्होंने कहा था कि वे लिंग का आदि और अन्त जान गए हैं।
कहां-कहां हैं भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग?
भगवान शिव ज्योति रूप में आए थे, इसलिए उन्हें ज्योतिर्लिंग शब्द अस्तित्व में आया। भगवान शिव, ज्योति रूप में देश के 12 हिस्सों में अलग-अलग कालखंडों में प्रकट हुए थे। उनके कुल 12 विग्रह हैं, जिन्हें साक्षात शिव माना जाता है। ये देश के 12 मंदिरों में स्थापित हैं। ये ज्योतिर्लिंग, सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारेश्वर, भीमाशँकर, विश्वेश्वर, त्रयंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर और घुष्मेश्वर हैं।
किस मंत्र से प्रमाणित होती है ज्योतिर्लिंगों की बात?
भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग का एक मंत्र है। इस मंत्र के जरिए ज्योतिर्लिंगों की प्रमाणिकता मिलती है। यह मंत्र है, 'सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम, उज्जयिन्यां महाकालम ॐकारममलेश्वरम, परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम्, सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने, वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे, हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये।'
क्यों पवित्र माने जाते हैं ज्योतिर्लिंग?
ज्योतिर्लिंग इसलिए पवित्र माने जाते हैं क्योंकि भगवान शिव अपने भक्तों को दर्शन देने के बाद यहां ज्योति रूप से विराज गए थे। इन ज्योतिर्लिंगों को किसी से बनाया नहीं है, ये स्वयं उत्पन्न हुए हैं। इनमें भगवान शिव का साक्षात स्वरूप देखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से व्यक्ति के सारे पुरुषार्थ पूरे होते हैं और उन्हें भौतिक और पारलौकिक सुख मिलता है।