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कल्कि जयंती: विष्णु पुराण और भागवत में वर्णित अंतिम अवतार की कहानी

हिंदू धर्म में भगवान कल्कि की उपासना को बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है। आइए जानते हैं कल्कि जयंती की तिथि और मान्यताएं।

Image of Bhagwan Kalki

पुराणों में बताए भगवान कल्कि का स्वरूप।(Photo Credit: AI Image)

हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनकर्ता माना गया है और उनके दस अवतारों को 'दशावतार' कहा जाता है। इन दस अवतारों में से कल्कि अवतार को अंतिम और भविष्य का अवतार माना गया है। जब संसार में अधर्म, पाप, अन्याय और अराजकता अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाएंगे, तब भगवान विष्णु कल्कि रूप में प्रकट होंगे और अधर्म का नाश करेंगे।

कल्कि जयंती उसी भविष्यवाणी और विश्वास का प्रतीक पर्व है। यह दिन भगवान विष्णु के कल्कि अवतार के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है।

कल्कि जयंती 2025 तिथि

  • श्रावण शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि आरंभ: 30 जुलाई 2025, रात्रि 12:46 से
  • श्रावण शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि समाप्त: 31 जुलाई 2025, रात्रि 02:41 तक
  • कल्कि जयंती तिथि: 30 जुलाई 2025, बुधवार

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कल्कि अवतार की कथा

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, कलियुग के अंत में जब धरती पर पाप और अनीति अपने चरम पर होंगे, तब भगवान विष्णु अपने दसवें अवतार के रूप में कल्कि के रूप में अवतरित होंगे। यह अवतार एक श्वेत घोड़े पर सवार होगा, साथ ही हाथ में चमकदार तलवार होगी और वे धर्म की पुनः स्थापना करेंगे।

 

यह अवतार उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में स्थित शंभल ग्राम में जन्म लेगा, जहां इनके पिता का नाम विष्णुयश और माता का नाम सुमति होगा।

 

श्रीमद्भागवत, विष्णुपुराण और महाभारत जैसे ग्रंथों में इस अवतार का विस्तृत वर्णन है। यह भी कहा गया है कि कल्कि अवतार के बाद सतयुग का पुनः प्रारंभ होगा और अधर्म का अंत हो जाएगा।

कल्कि जयंती कब मनाई जाती है?

कल्कि जयंती श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि आमतौर पर जुलाई या अगस्त में आती है। यह दिन भगवान विष्णु के उस रूप को समर्पित है जो आने वाले समय में संसार को कलियुग के अंधकार से बाहर निकालेंगे।

 

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कल्कि जयंती पर क्या करना चाहिए?

  • श्रद्धालु इस दिन उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं।
  • विष्णु सहस्रनाम का पाठ, श्रीमद्भागवत गीता का पाठ और विष्णु जी के मंत्रों का जाप इस दिन शुभ माना जाता है।
  • शंख और घंटी की ध्वनि से पूजा स्थान को पवित्र किया जाता है। कल्कि भगवान का ध्यान और स्तुति की जाती है, जैसे - 'ॐ कल्किने नमः' मंत्र का जाप।
  • निर्धनों को अन्न, वस्त्र और धन का दान इस दिन पुण्यकारी होता है। घरों में कल्कि पुराण या विष्णु पुराण की कथाएं सुनी और सुनाई जाती हैं।

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