logo

ट्रेंडिंग:

कार्तिक स्वामी मंदिर: भगवान कार्तिकेय की तपस्थली के रहस्य क्या हैं?

उत्तराखंड में स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर का अपना एक खास स्थान है। आइए जानते हैं इससे मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा और कुछ खास बातें।

Image of Kartik Swami Mandir

कार्तिक स्वामी मंदिर, रुद्रप्रयाग(उत्तराखंड)(Photo Credit: Pushkar Singh Dhami/ Facebook)

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर भगवान शिव के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित एक अत्यंत पवित्र और दुर्लभ धाम है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और क्रोंच पर्वत की चोटी पर बसा हुआ है। घने जंगलों, बर्फ से ढकी चोटियों और गहरी घाटियों के बीच स्थित यह मंदिर न केवल अपनी भौगोलिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी पौराणिक कथा और धार्मिक महत्व भी उतना ही गहरा है।

 

यह मंदिर अद्वितीय इस मायने में भी है कि यहां भगवान कार्तिकेय की केवल हड्डियों की पूजा होती है, जो पूरे भारतवर्ष में कहीं और नहीं होती। भक्तगण यहां दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं और इस कठिन यात्रा को पूरी श्रद्धा और तपस्या की भावना से पूरी करते हैं।

कार्तिकेय और गणेश की परीक्षा: एक पौराणिक कथा

कार्तिक स्वामी मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों- भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की परीक्षा लेने का विचार किया। उन्होंने कहा कि जो भी पहले पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करके वापस लौटेगा, उसे सर्वश्रेष्ठ पुत्र घोषित किया जाएगा।

 

यह भी पढ़ें: चातुर्मास में योग और तप के स्वामी महादेव करते हैं ब्रह्मांड का संचालन

 

भगवान कार्तिकेय तुरंत अपने वाहन मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल पड़े। वहीं, भगवान गणेश ने अपने माता-पिता-  भगवान शिव और देवी पार्वती की परिक्रमा की और कहा कि ‘मेरे लिए समस्त ब्रह्मांड माता-पिता में ही समाहित है।’ इस पर महादेव और पार्वती ने गणेश को विजेता घोषित कर दिया।

 

जब कार्तिकेय लौटे और यह सुना, तो वे दुखी हो गए। उन्होंने सबकुछ छोड़ कर क्रोंच पर्वत की चोटी पर आकर तपस्या में लीन हो गए। कहते हैं कि भगवान शिव ने उनसे प्रसन्न होकर उन्हें यह स्थान प्रदान किया, जहां आज कार्तिक स्वामी मंदिर स्थापित है।

 

मंदिर का महत्व और धार्मिक भाव

यह मंदिर केवल एक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और एकांत की साधना का भी स्थान है। यहां कार्तिकेय का दर्शन करना ही सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है। श्रद्धालु यहां आकर मन की शुद्धि, आत्मिक शक्ति और लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। यहां विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा और श्रावण मास में विशेष पूजा होती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं।

 

यह भी मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से इस कठिन चढ़ाई को पूरी करता है, और भगवान कार्तिकेय के दर्शन करता है, उसके सभी कष्ट दूर होते हैं। मंदिर से दर्शन के समय दूर हिमालय की चोटियां जैसे नंदा देवी, त्रिशूल, केदारनाथ आदि का दर्शन होना स्वयं में एक अलौकिक अनुभव होता है।

 

यह भी पढ़ें: कठिन यात्रा से अमरता तक, अमरनाथ धाम को इसलिए कहते हैं तीर्थों का तीर्थ

मंदिर तक की यात्रा: तप जैसा अनुभव

कार्तिक स्वामी मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को कंठी मार्ग नामक गांव से लगभग 3 किलोमीटर की सीधी और कठिन चढ़ाई तय करनी होती है। यह रास्ता घने देवदार और बुरांश के जंगलों से होकर गुजरता है। पूरी यात्रा भक्ति और तपस्या का एक प्रतीक है। माना जाता है कि इस मार्ग पर चलते समय जो मनुष्य मौन रहता है और अपने भीतर के भावों को जागृत करता है।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap