भारत में 13 प्रमुख अखाड़े हैं, जो विभिन्न धार्मिक आयोजनों में एक साथ आते हैं। इन अखाड़ों की परंपरा बहुत पुरानी है, जहां संत-महात्मा अपने आध्यात्मिक और धार्मिक जीवन का पालन करते हैं। इन अखाड़ों में विभिन्न संप्रदायों के साधु-संतों का एक संगठित समूह होता है, इन्हीं अखाड़ों में से एक है किन्नर अखाड़ा, जो विशेष रूप से ट्रांसजेंडर (किन्नर) समुदाय के अधिकारों और उनकी धार्मिक मान्यता को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था।
कौन हैं ऋषि अजय दास?
ऋषि अजय दास किन्नर अखाड़े के संस्थापक हैं। यह किन्नर समुदाय को एक धार्मिक पहचान दिलाने का प्रयास था। ऋषि अजय दास ने महसूस किया कि किन्नर समुदाय, जो भारतीय समाज में सदियों से लोक आयोजनों में आशीर्वाद देते हैं, उन्हें धार्मिक स्तर पर वह मान्यता नहीं मिली जो अन्य साधु-संतों को मिलती है। इसी उद्देश्य से उन्होंने किन्नर अखाड़े की स्थापना की, ताकि किन्नर भी धार्मिक आयोजनों में समान अधिकार और सम्मान के साथ भाग ले सकें।
किन्नर अखाड़ा की स्थापना वर्ष 2015 में हुई थी। यह भारत का पहला ऐसा अखाड़ा है जो विशेष रूप से किन्नर समुदाय के लिए बनाया गया। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य किन्नर समुदाय को धार्मिक और सामाजिक पहचान दिलाना था, ताकि वे भी धार्मिक आयोजनों में सक्रिय भागीदारी कर सकें।
अखाड़े की स्थापना के बाद से किन्नर संतों को कुंभ मेले जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में शामिल होने का अधिकार मिला। वर्ष 2019 के प्रयागराज कुंभ मेले में किन्नर अखाड़े ने पहली बार शाही स्नान में भाग लिया। साथ ही ऋषि अजय दास ने कई ऐसे किन्नरों को अखाड़े के साथ जोड़ा जो हिंदू धर्म को छोड़कर इस्लाम धर्म का पालन करते थे।
अन्य अखाड़ों की तरह ही इस अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर और महामंडलेश्वर की नियुक्ति की जाती है। वर्तमान समय में लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को किन्नर अखाड़े के प्रमुख और आचार्य महामंडलेश्वर के रूप में जाना जाता है। लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अखाड़े के माध्यम से किन्नर समुदाय के अधिकारों और सम्मान की आवाज को और मजबूत किया है।
किन्नर अखाड़ा और विवाद
हाल ही में किन्नर अखाड़े में कुछ विवाद भी सामने आए हैं। अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास और आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के बीच मतभेद की खबरें चर्चा में रहीं। इसके अलावा, बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाए जाने पर भी विवाद पैदा हुआ।
ऋषि अजय दास ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और ममता कुलकर्णी दोनों को अखाड़े के पदों से हटाने की घोषणा की थी, जिस पर त्रिपाठी ने आपत्ति जताई और कहा कि केवल अखाड़े के नियमों और बोर्ड के अनुसार ही किसी को पद से हटाया जा सकता है। इस विवाद ने अखाड़े की आंतरिक संरचना और उसके नेतृत्व को लेकर कई सवाल खड़े किए।