हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का खास महत्व है। यह दिन माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पड़ता है और इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने, दान देने और भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन किया गया स्नान और दान हजार गुना फल देता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माघ पूर्णिमा से जुड़ी पौराणिक कथा
प्राचीन काल की एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक समय की बात है, जब धरती पर धर्म का पतन हो रहा था और अधर्म बढ़ता जा रहा था। तब देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे इस समस्या का समाधान करें। भगवान विष्णु ने उन्हें बताया कि जो भी भक्त माघ मास की पूर्णिमा के दिन गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करेगा, दान-पुण्य करेगा और उनकी उपासना करेगा, उसे पुण्य मिलेगा और उसका कल्याण होगा।
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माघ पूर्णिमा पर स्नान और पूजा का महत्व
गंगा स्नान का पुण्य
हिंदू धर्म में गंगा को पवित्र और मोक्षदायिनी माना जाता है। मान्यता है कि माघ पूर्णिमा पर गंगा या किसी अन्य तीर्थ में स्नान करने से सारे पाप समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।
भगवान विष्णु की पूजा
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को विशेष कृपा प्राप्त होती है। विष्णु सहस्रनाम का पाठ, तुलसी दल अर्पित करना और भगवान को पीले फल व वस्त्र अर्पित करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
दान और पुण्य कर्म
माघ पूर्णिमा के दिन तिल, गुड़, घी, कंबल, अन्न और वस्त्र दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन दान करने से व्यक्ति को हजार गुना फल प्राप्त होता है।
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माघ मास की तपस्या
इस दिन किए गए जप-तप और व्रत का विशेष फल प्राप्त होता है। बहुत से श्रद्धालु पूरे माघ मास में प्रयागराज संगम या अन्य तीर्थस्थलों पर रहकर प्रतिदिन स्नान और पूजा करते हैं, जिसे ‘माघ स्नान’ कहा जाता है।
माघ पूर्णिमा नियम
माघ पूर्णिमा के दिन पूजा-पाठ का विशेष महत्व है और इस दिन को बहुत पवित्र माना जाता है। इसलिए इस दिन की मर्यादा बनाए रखने के लिए शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इससे पूजा विशेष फल प्राप्त होता है। साथ इस विशेष दिन पर मांस मदिरा का सेवन वर्जित है और तामसिक भोजन जैसे, प्याज-लहसुन इत्यादि का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इसके साथ इस विशेष दिन पर भगवान को तुलसी पत्र चढ़ाने के लिए एक दिन पहले ही तुलसी तोड़कर रख लें। इस दिन तुलसी का पत्ता न तोड़ें।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।