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प्रयागराज के ‘पंच तीर्थ’ जिनके बिना अधूरा है महाकुंभ का स्नान!

महाकुंभ में संगम स्नान के साथ-साथ प्रयागराज में स्थित पंच तीर्थों में स्नान का भी विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इन पंच तीर्थ के नाम और उनके दर्शन का क्रम।

Image of Nagvasuki Mandir

नागवासुकि मंदिर।(Photo Credit: Wikimedia Commons)

महाकुंभ भारत का सबसे पवित्र और बड़े धार्मिक आयोजन में से एक है, जहां करोड़ों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। वर्तमान समय में कुंभ में प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। यह महाकुंभ इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह महाकुंभ 144 सालों के बाद लग रहा है। बता दें कि प्रयागराज को न सिर्फ कुंभ मेले के लिए जाना जाता है, बल्कि इस स्थान को तीर्थराज की उपाधि भी प्राप्त है।

 

मान्यता है कि प्रयागराज में स्नान के साथ-साथ पांच तीर्थों के दर्शन करके यात्रा पूर्ण होती है और पूजा का भी पूरा फल प्राप्त होती है। ये पंच तीर्थ प्रयागराज की धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर हैं और कुंभ स्नान का अभिन्न हिस्सा माने जाते हैं। आइए जानते हैं कि प्रयागराज में तीर्थराज में कुंभ के दौरान किन 5 तीर्थ स्थलों पर दर्शन कर सकते हैं।

पंच तीर्थों का महत्व

धार्मिक और लोक मान्यताओं प्रयागराज में पंच तीर्थ के दर्शन करने से सभी तीर्थों का पुण्य एक साथ प्राप्त होता है। इन तीर्थों का वर्णन प्राचीन धर्म ग्रंथों में भी विस्तार से किया गया है। ये तीर्थ हैं- संगम (त्रिवेणी संगम), अक्षयवट, भारद्वाज आश्रम, आनंद भैरव मंदिर और नागवासुकी मंदिर। इन तीर्थों का धार्मिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व है।

 

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त्रिवेणी संगम

त्रिवेणी संगम प्रयागराज का सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ है। यह गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम स्थल है यानी यह तीनों नदिया यहां एक हो जाती हैं। माना जाता है कि संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है। यहां स्नान करने वाले को त्रिलोक का पुण्य प्राप्त होता है। संगम पर पवित्र स्नान के बाद श्रद्धालु तर्पण और पिंडदान भी करते हैं। कुंभ मेले के दौरान यह मुख्य आकर्षण रहता है।

अक्षयवट

तीर्थराज प्रयाग में अक्षयवट भी मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं। इस स्थान पर एक पवित्र वट वृक्ष है, जो प्रयागराज किले के पास स्थित है। इसे मोक्षदायक और अमरत्व का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि अक्षयवट के दर्शन करने से और इस वृक्ष के नीचे ध्यान करने से मनुष्य को पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है। यह वृक्ष भगवान विष्णु और शिव की कृपा से जुड़ा हुआ है। इसे आदि शक्ति का स्थान भी माना जाता है, जहां ध्यान और साधना करने से आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

भारद्वाज आश्रम

यह आश्रम महर्षि भारद्वाज का तपस्थली है, जो प्रयागराज में गंगा के किनारे स्थित है। रामायण कथा के अनुसार, वनवास जाते समय श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी कुछ समय के लिए इसी आश्रम में रुके थे। इसके साथ महर्षि भारद्वाज ने यहां वेदों और धर्मशास्त्रों की शिक्षा दी थी। कहा जाता है यहां पूजा-अर्चना करने से ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यह स्थान प्राचीन ऋषियों की तपस्या और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है।

आनंद भैरव मंदिर

आनंद भैरव मंदिर भगवान शिव के भैरव रूप को समर्पित है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव के क्रोध से भगवान काल भैरव उत्पन्न हुए थे। कुंभ स्नान के बाद यहां दर्शन करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के भय और रोगों से मुक्ति मिलती है। यहां शिवभक्त बड़ी संख्या में पूजा करते हैं और भगवान भैरव से जीवन में सुरक्षा और समृद्धि की कामना करते हैं।

 

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नागवासुकी मंदिर

प्रयागराज में नागवासुकी मंदिर गंगा के उत्तरी किनारे पर स्थित है। कुंभ के दौरान और आम दिनों में भी इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक अधिक होती है। यह मंदिर नाग देवता के लिए समर्पित है और मान्यता है इस मंदिर में पूजा-पाठ करने से कुंडली दोष और अन्य ग्रह दोषों दूर हो जाते हैं। वासुकि नाग का संबंध कुंभ के दौरान इस लिए भी बढ़ जाता है क्योंकि समुद्र मंथन के दौरान नाग वासुकि को ही मंदराचल पर्वत को मथने के लिए प्रयोग किया गया था, जिसके बाद भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर अपने गले में धारण किया था।

पंच तीर्थ यात्रा की सही विधि

  1. त्रिवेणी संगम में स्नान के साथ तीर्थ यात्रा की शुरुआत करें।
  2. स्नान के बाद अक्षयवट के दर्शन करें और वृक्ष के नीचे ध्यान लगाएं।
  3. भारद्वाज आश्रम में ऋषि भारद्वाज को श्रद्धांजलि अर्पित करें।
  4. आनंद भैरव मंदिर में पूजा करके भय और संकटों से मुक्ति की प्रार्थना करें।
  5. अंत में नागवासुकी मंदिर में जाकर अपनी तीर्थ यात्रा को पूर्ण करें।

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

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