logo

ट्रेंडिंग:

शक्तिपीठ: अमरनाथ की गुफा में प्रकट होती हैं देवी महामाया

देवी सती के 51 शक्तिपीठों में जम्मू कश्मीर में स्थित महामाया शक्तिपीठ का अपना विशेष स्थान है। आइए जानते हैं इस स्थान का इतिहास और महत्व।

Image of Amarnath Gufa

बाबा अमरनाथ गुफा।(Photo Credit: PTI File Photo)

भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक प्रमुख पीठ है महामाया शक्तिपीठ, जो कि जम्मू-कश्मीर राज्य के पहलगाम क्षेत्र में स्थित है। यह वही स्थान है जहां देवी सती की गर्दन गिरी थी। इस कारण से यह स्थान देवी उपासकों के लिए अत्यंत श्रद्धा और आस्था का केंद्र बन गया है। आइए जानते हैं इस स्थान से जुड़ी खास बातें और इस मंदिर का इतिहास।

महामाया शक्तिपीठ की पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार, एक समय की बात है जब देवी सती ने अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपमानित होकर आत्मदाह कर लिया। जब यह दुखद समाचार भगवान शिव को मिला, तो वे अत्यंत क्रोधित और शोक में डूब गए। उन्होंने देवी सती के मृत शरीर को कंधे पर उठाया और पूरी सृष्टि में घूमने लगे।

 

यह भी पढ़ें: भगवान विष्णु और उनपर लगे श्राप, जानिए श्री राम के जन्म की रोचक कथाएं

 

इस स्थिति में सृष्टि संचालन रुक गया, जिससे सभी देवता चिंतित हो गए। तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर को खंड-खंड कर दिया ताकि शिवजी की पीड़ा समाप्त हो सके और संसार में संतुलन बना रहे।

 

देवी सती के शरीर के जो अंग जहां गिरे, वहां शक्तिपीठ बने। कश्मीर के पहलगाम में देवी की गर्दन गिरी थी, इसलिए यह स्थान महामाया शक्तिपीठ कहलाया। यहां देवी को महामाया और भगवान शिव को त्रिसंदेश्वर के रूप में पूजा जाता है।

मंदिर का इतिहास और भौगोलिक स्थिति

महामाया शक्तिपीठ जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के पास स्थित है, जो प्रकृति की गोद में बसा एक अत्यंत सुंदर तीर्थ क्षेत्र है। कहा जाता है कि यह स्थान अत्यंत प्राचीन है और कई हजार साल पहले यहां साधना और तप करने वाले ऋषि-मुनियों ने देवी की आराधना की थी।

 

हालांकि यहां कोई बड़ा भव्य मंदिर नहीं है, पर एक गुफा नुमा स्थान है जिसे श्रद्धालु अत्यंत पवित्र मानते हैं। इस गुफा में प्राकृतिक रूप से देवी की ऊर्जा विद्यमान मानी जाती है।

 

यह भी पढ़ें: महादेव और मर्यादा पुरुषोत्तम: भक्ति और कर्म का दिव्य संगम

धार्मिक मान्यताएं और महत्व

इस शक्तिपीठ से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं। यहां देवी सती की गर्दन गिरी थी, इसलिए यह स्थान "वाणी" और "बुद्धि" की शक्ति का केंद्र माना जाता है। मान्यता है कि यहां देवी की पूजा करने से वाणी में मधुरता, बुद्धि में विवेक और साधक को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है। महामाया शक्तिपीठ को तंत्र साधना का एक अत्यंत प्रभावशाली केंद्र माना जाता है। यहां कई साधक देवी के गूढ़ रूपों की साधना के लिए आते हैं।

 

यह भी माना जाता है कि इस शक्तिपीठ में दर्शन करने से व्यक्ति की अकाल मृत्यु नहीं होती और जीवन में आध्यात्मिक शांति बनी रहती है। अमरनाथ यात्रा के समय श्रद्धालु इस शक्तिपीठ के दर्शन कर पुण्य प्राप्त करते हैं। श्रद्धालु बड़ी संख्या में आकर देवी को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap