भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन महाशिवरात्रि होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने तथा शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
बता दें कि भगवान शिव की उपासना के समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। ये नियम महाशिवरात्रि के दिन भी मान्य हैं। शास्त्रों में दिए गए नियमों का पालन करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं-
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महाशिवरात्रि के दिन किन नियमों का करें पालन
शास्त्रों में बताया गया है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को गंगाजल या शुद्ध जल, बेलपत्र, धतूरा और आक का फूल अर्पित करना चाहिए। साथ ही, उनकी पूजा में सफेद चंदन, शुद्ध देसी घी और शहद का भी प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा, रुद्राभिषेक के दौरान भगवान को भस्म अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
बता दें कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को तुलसी के पत्ते, केतकी और केवड़ा का फूल, नारियल का जल, कुमकुम, हल्दी और टूटे हुए बेलपत्र अर्पित नहीं करने चाहिए। कुमकुम अथवा हल्दी का प्रयोग इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि यह श्रृंगार की सामग्री हैं, और भगवान शिव वैरागी हैं। उन्हें केवल भस्म ही प्रिय है।
पूजा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
पूजा के दौरान इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि साधक को पीले या सफेद वस्त्र ही धारण करने चाहिए। काले या नीले रंग के वस्त्र से बचना चाहिए। इसके साथ ही, रेशमी वस्त्रों के बजाय सूती वस्त्र पहनना ही बेहतर माना जाता है। पूजा से पहले स्नान और ध्यान अवश्य करना चाहिए।
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महाशिवरात्रि के दिन किसी के भी प्रति द्वेष की भावना मन में नहीं लानी चाहिए। इस दिन फलाहार के साथ ही व्रत का पालन करना चाहिए। कई लोग इस विशेष दिन पर निर्जला उपवास भी रखते हैं, लेकिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। साथ ही, तामसिक भोजन, जैसे प्याज, लहसुन इत्यादि का सेवन वर्जित है, और मांस-मदिरा का सेवन तो भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।