उत्तराखंड के देहरादून जिले के जौनसार-बावर क्षेत्र में स्थित हनोल गांव न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां स्थित महासू देवता मंदिर के कारण भी विशेष महत्व रखता है। यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी इस पूरे क्षेत्र की पहचान है। महासू देवता को न्याय और शक्ति के देवता माना जाता है और इस क्षेत्र में इनकी उपासना सदियों से होती आ रही है।
मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यता
महासू देवता के जन्म की कथा बहुत ही रोचक है। लोककथाओं के अनुसार, एक बार एक राक्षस कायनासुर इस क्षेत्र में लोगों को परेशान कर रहा था। देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से प्रार्थना की कि वह इस संकट से मुक्ति दिलाएं। त्रिदेवों ने अपनी शक्तियों को मिलाकर एक दिव्य शक्ति उत्पन्न की, जिससे चार भाइयों का जन्म हुआ- बशिक महासू, पवासी महासू, थौणर महासू और चैंथर महासू। इन चारों को मिलाकर ही 'महासू देवता' कहा जाता है।
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हनोल गांव में विराजमान देवता को बशिक महासू माना जाता है, जो चारों भाइयों में सबसे बड़े हैं और जिन्हें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पूजा जाता है। ऐसा विश्वास है कि महासू देवता आज भी अपने भक्तों के बीच रहते हैं और लोगों के बीच चल रहे विवादों का फैसला ईमानदारी और न्यायपूर्वक करते हैं।
हनोल मंदिर का ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व
हनोल में स्थित महासू देवता का मंदिर लगभग 9वीं शताब्दी में बना माना जाता है। यह मंदिर अपनी खास कट्ठ-कुणी शैली में बना हुआ है, जो लकड़ी और पत्थर से तैयार की जाती है और उत्तराखंड और हिमाचल की पारंपरिक स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण है। इसकी छतें लकड़ी की शिल्पकारी से सजाई गई हैं, जो इसे एक अद्वितीय रूप देती हैं।
मंदिर का गर्भगृह बेहद पवित्र माना जाता है और वहां आम लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित है। केवल विशेष अवसरों पर पुजारी ही वहां जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां महासू देवता की शक्ति इतनी प्रबल है कि मंदिर परिसर में झूठ बोलने की हिम्मत कोई नहीं कर पाता।
न्यायप्रिय देवता के रूप में प्रसिद्धि
महासू देवता को इस क्षेत्र में 'न्याय का देवता' भी कहा जाता है। यहां आने वाले लोग अगर किसी अन्याय का शिकार हुए हों, तो वे मंदिर आकर सच्चाई की कसम खाते हैं और न्याय की गुहार लगाते हैं। मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति झूठी कसम खाता है या किसी को धोखा देता है, तो महासू देवता उसे शीघ्र दंडित करते हैं।
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जौनसार-बावर क्षेत्र में ग्राम पंचायत की जगह ‘देवता पंचायत’ होती है, जहां महासू देवता का डोला (पालकी) लाया जाता है और उनके समक्ष निर्णय लिया जाता है। यह आज भी इस क्षेत्र की सामाजिक संरचना का अभिन्न हिस्सा है।
हनोल गांव का सांस्कृतिक महत्त्व
हनोल केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह जौनसार क्षेत्र की संस्कृति, लोक परंपरा और विरासत का प्रतीक है। यहां के लोग आज भी महासू देवता को जीवन का मार्गदर्शक मानते हैं और उनके निर्देशों का पालन करते हैं। यहां का लोकनृत्य, गीत और वाद्ययंत्र भी मंदिर के अनुष्ठानों से जुड़े होते हैं, जो इस क्षेत्र की जीवंत संस्कृति को दर्शाते हैं।