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क्यों कोई चढ़ नहीं पाया कैलाश पर्वत? सिर्फ संयोग या कुछ और

कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान कहा जाता है। आइए जानते हैं कोई क्यों इस पर्वत के शिखर पर नहीं पहुंच पाया है।

Image of Kailash Parvat

कैलाश पर्वत(Photo Credit: Wikimedia Commons)

हिमालय की गोद में स्थित कैलाश पर्वत न केवल एक भौगोलिक चमत्कार है, बल्कि यह आध्यात्मिक और रहस्यमयी दृष्टि से भी  महत्त्वपूर्ण है। यह पर्वत तिब्बत क्षेत्र में स्थित है और समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 6,638 मीटर (21,778 फीट) है। इसके बावजूद आज तक कोई व्यक्ति इस पर्वत की चोटी तक नहीं पहुंच सका है। आधुनिक तकनीक, पर्वतारोहण के उपकरण और अनुभवी पर्वतारोहियों की कोशिशों के बावजूद यह शिखर आज भी ‘अजेय’ बना हुआ है। आइए, जानते हैं इस पर्वत से जुड़े रहस्य, अध्यात्म और इसके प्रति मानव की आदरपूर्ण दूरी का कारण।

कैलाश पर्वत का धार्मिक महत्व

कैलाश पर्वत को चार प्रमुख धर्मों- हिंदू, जैन, बौद्ध और तिब्बती बोन धर्म में पवित्र स्थल माना गया है। हिंदू मान्यता के अनुसार, यह भगवान शिव और माता पार्वती का धाम है। इसे 'शिव का निवास स्थान' और 'मुक्ति का मार्ग' माना जाता है। यहां आकर आत्मा को मोक्ष की अनुभूति होती है।

 

जैन धर्म में इसे अष्टापद पर्वत कहा जाता है, जहां प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने मोक्ष प्राप्त किया था। बौद्ध परंपरा में यह पर्वत मेरु पर्वत के रूप में विख्यात है, जिसे ब्रह्मांड का केंद्र माना गया है। तिब्बती लोग इसे 'कांग रिनपोछे' कहते हैं और इसे देवताओं का स्थान मानते हैं।

 

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चढ़ाई क्यों नहीं हो सकी?

अब तक कई पर्वतारोही कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। इसके पीछे कई कारण बताए जाते हैं, जिनमें वैज्ञानिक, भौगोलिक और आध्यात्मिक पहलू शामिल हैं:

  • भूगोल और वातावरण: कैलाश पर्वत पर चढ़ाई के लिए कोई एक स्थायी रास्ता नहीं है। मौसम बहुत ही तेजी से बदलता है और ऊंचाई पर ऑक्सीजन की भारी कमी होती है। तेज बर्फीली हवाएं और बर्फबारी इसे बहुत खतरनाक बना देती हैं।
  • अनुभूत रहस्यमय शक्तियां: कई पर्वतारोहियों ने अनुभव किया है कि जैसे ही वह एक निर्धारित ऊंचाई तक पहुंचते हैं, उनका शरीर कमजोर पड़ने लगता है और उन्हें अदृश्य शक्ति पीछे खींचने लगती है। कई को भ्रम, समय-बोध का ह्रास और शारीरिक संतुलन खोने जैसे अनुभव हुए हैं।
  • धार्मिक निषेध: तिब्बती सरकार और वहां के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा भी इस पर्वत पर चढ़ाई की अनुमति नहीं देते। उनका मानना है कि यह देवताओं का स्थान है और मनुष्य को यहां हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। भारतीय पर्वतारोही रेइनहोल्ड मेसनर को भी चीन सरकार ने चढ़ाई की अनुमति नहीं दी थी। एक मान्यता यह भी है कि जिस व्यक्ति ने कभी कोई पाप न किया हो और आध्यात्मिक ऊर्जा को प्राप्त कार चुका हो, वही इस पर्वत के शिखर पर पहुंच सकता है।

वैज्ञानिक और रहस्यमयी बातें

कैलाश पर्वत के रहस्य केवल धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक दृष्टि से भी अनसुलझे हैं:

  • चुंबकीय शक्ति: कई वैज्ञानिकों का मानना है कि इस पर्वत के चारों ओर बहुत तेज चुंबकीय शक्ति है जो दिशा से जुड़े यंत्रों में भी गड़बड़ी ला देता है।
  • समय की गति: यात्रियों का अनुभव है कि कैलाश पर्वत के पास समय तेजी से या धीमा चलने लगता है। कई लोगों ने दावा किया है कि उनके बाल अचानक सफेद हो गए या घड़ी की सुइयां गलत दिशा में घूमने लगीं। हालांकि यह सभी बातें लोक मान्यताओं पर ही आधारित हैं।
  • मानव आकृति: पर्वत की बनावट को देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह हर दिशा से समान है और उसकी चोटी पर बर्फ एक त्रिशूल के आकार में जमी होती है, जिसे शिव का प्रतीक माना जाता है।

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आध्यात्मिक रहस्य

कैलाश पर्वत केवल एक स्थल नहीं, बल्कि चेतना का केंद्र है। यह सृष्टि के ऊर्जा चक्रों में से एक प्रमुख चक्र माना गया है। यहां की परिक्रमा करना ही अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। इसे 'कैलाश परिक्रमा' कहा जाता है, जिसमें श्रद्धालु 52 किलोमीटर की परिक्रमा पैदल या घोड़ों के सहारे करते हैं। मान्यता है कि इस परिक्रमा को करने से जीवन के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और आत्मा मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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