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सती के नेत्रों से जुड़ा है रहस्य! नैना देवी मंदिर की कहानी

हिमाचल प्रदेश में स्थित नैना देवी मंदिर का अपना एक खास स्थान है। आइए जानते हैं, इस स्थान से जुड़ी कुछ खास बातें।

Image of Naina Devi

नैना देवी, हिमचाल प्रदेश(Photo Credit: srinainadevi.com)

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित श्री नैना देवी मंदिर उत्तर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और इसका संबंध देवी सती के नयन से जुड़ा हुआ है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं और मां नैना देवी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

 

श्री नैना देवी मंदिर से जुड़ी सबसे प्रमुख पौराणिक कथा सती और भगवान शिव से संबंधित है। मान्यता है कि प्राचीन काल में दक्ष प्रजापति ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया। सती, जो शिव की पत्नी थीं, बिना बुलाए ही अपने पिता के यज्ञ में चली गईं। वहां उन्होंने अपने पति का अपमान होते देखा तो क्रोधित होकर यज्ञ कुंड में कूद कर प्राण त्याग दिए।

 

यह देखकर भगवान शिव अत्यंत शोकाकुल हो गए और सती के पार्थिव शरीर उठाकर तांडव करने लगे। इससे सृष्टि का संतुलन बिगड़ गया। इस संकट को टालने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के अंगों को काट दिया। जहां-जहां सती के शरीर के अंग गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई।

नैना देवी मंदिर उसी स्थान पर है जहां सती की दोनों आंखें (नयन) गिरी थीं। इसलिए यहां की देवी को नैना देवी कहा जाता है।

 

यह भी पढ़ें: मां कुंजापुरी मंदिर: वह शक्तिपीठ जहां गिरा था देवी सती का ऊपरी शरीर

एक और कथा – गज और महिषासुर की

एक अन्य कथा के अनुसार, दैत्य महिषासुर ने तप कर ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि कोई पुरुष उसे मार नहीं सकेगा। उसने सभी देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया। तब मां दुर्गा और महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें देवी ने महिषासुर का वध किया।

 

कहते हैं कि देवी का वाहन शेर गज नामक भक्त का रूप था, जो महिषासुर के अत्याचारों से त्रस्त था। युद्ध के बाद मां ने उसे दर्शन दिए और उसके नाम पर ही यह क्षेत्र ‘गजभक्त की भूमि’ कहा जाने लगा। आज भी नैना देवी मंदिर में मां को शेर पर सवार दिखाया जाता है।

नैना देवी मंदिर का धार्मिक महत्त्व

यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में एक प्रमुख स्थल है। यहां आने वाले श्रद्धालु मां नैना देवी से संतान प्राप्ति, रोग मुक्ति, कर्ज से छुटकारा और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। मंदिर परिसर से गोविंद सागर झील और नयनाभिराम पर्वत श्रृंखलाएं भी दिखाई देती हैं। साथ ही इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों, रोपवे और पालकियों का विकल्प उपलब्ध है। श्रावण अष्टमी और नवरात्रों में विशेष मेले और उत्सव होते हैं, जिनमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

 

मान्यता है कि नैना देवी मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई सभी मनोकामना पूरी हो जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी उपासना करने से जीवन में आ रहे सभी कष्ट और दुःख-दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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