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पाताल भुवनेश्वर मंदिर: गुफाओं से प्रलय का नाता क्या है?

मान्यता के अनुसार, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर के मंदिर में दुनिया के खत्म होने का रहस्य छिपा है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए संकरे रास्तों वाली गुफा में जाना पड़ता है।

Patal Bhuvaneshwar

पाताल भुवनेश्वर, photo credit: social media

भारत के हर कोने में कई मंदिर और गुफाएं मौजूद हैं। हर एक मंदिर का कोई न कोई इतिहास और रहस्य रहा है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर मंदिर भी एक रहस्यमयी मंदिर है जिसमें कई रहस्य छिपे हुए हैं। इस मंदिर में एक गुफा है और माना जाता है कि इस गुफा में दुनिया के खत्म होने का राज छिपा हुआ है। इस मान्यता के कारण हर साल हजारों लोग यहां दर्शन करने जाते हैं।

 

पाताल भुवनेश्वर मंदिर जनपद पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट में स्थित है। स्कंद पुराण में भी इस प्राचीन गुफा की महिमा का वर्णन मिलता है। यह मंदिर देवदार के घने जंगलों से घिरा हुआ है और यहां भगवान शिव के दर्शन करने के लिए गुफा के अंदर जाना पड़ता है। यह गुफा समुद्र तल से करीब 90 फीट गहरी है। भगवान शिव के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को गुफा के अंदर 160 मीटर की यात्रा करनी पड़ती है। मान्यता है कि इस मंदिर में 33 कोटि देवी देवताओं का वास है।

 

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इस मंदिर की खोज किसने की?


इस गुफा की महिमा का जिक्र स्कंद पुराण में मिलता है। इस गुफा की खोज राजा ऋतुपर्णा ने की थी, जो सूर्य वंश के राजा थे और त्रेता युग में अयोध्या पर शासन करते थे। स्कंद पुराण में वर्णन है कि स्वयं महादेव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी वंदना करने यहां आते हैं। यह भी बताया गया  है कि राजा ऋतुपर्ण जब एक जंगली हिरण का पीछा करते हुए इस गुफा में दाखिल हुए तो उन्होंने इस गुफा के अंदर महादेव शिव सहित 33 करोड़ देवी देवताओं के दर्शन किये थे। द्वापर युग में पाण्डवों ने यहां चौपड़ खेला और कलयुग में जगदगुरु आदि शंकराचार्य 822 ई के आसपास इस गुफा में पहुंचे थे। उन्होंने इस गुफा में तांबे का एक शिवलिंग स्थापित किया। 

 

दुनिया के खत्म होने का रहस्य यहां छिपा है 

 

यह गुफा पत्थरों से बनी हुई है इसकी दीवारों से पानी रिसता रहता है जिसके कारण यहां के जाने का रास्ता बेहद चिकना है। इसके अंदर जाने के लिए जंजीरों का सहारा लेना पड़ता है। इस गुफा के अंदर शेष नाग जैसे आकार का एक पत्थर भी है। इस गुफा में एक शिवलिंग है और उसका आकार लगातार बढ़ रहा है। मान्यता है कि जब यह शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा, तब दुनिया खत्म हो जाएगी। अभी शिवलिंग की उंचाई 1.50 फीट और शिवलिंग अगर तीन फीट का हो गया तो यह गुफा के छत को छू लेगा और मान्यता के अनुसार, तब दुनिया खत्म हो जाएगी। इस गुफा में जाने के लिए संकरे रास्तों से होकर जाना पड़ता है। 


गुफा में हैं कई कलाकृतियां


इस गुफा में धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई प्राकृतिक कलाकृतियां स्थित हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने क्रोध में आकर गणेश जी का जो सिर शरीर से अलग किया था, वह उन्होंने इस गुफा में रखा था। माता पार्वती के कहने पर भगवान गणेश को हाथी का सिर लगाया गया। मान्याता है कि जो सिर भगवान शिव ने काटा था वह आज भी इस गुफा में मौजूद है। गुफा की दीवारों पर हंस बने हुए हैं जिसके बारे में यह माना जाता है कि यह ब्रह्मा जी के हंस है। गुफा के अंदर एक हवन कुंड भी है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसमें जनमेजय ने नाग यज्ञ किया था जिसमें सभी सांप जलकर भस्म हो गए थे। इस गुफा में एक हजार पैर वाला हाथी भी बना हुआ है।

 

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इस मंदिर में होते हैं चारों धामों के दर्शन


मान्यताओं के अनुसार, पाताल भुवनेश्वर मंदिर पूरी दुनिया में इकलौता ऐसा मंदिर है जहां केदारनाथ, बद्रीनाथ, अमरनाथ यानी चारों धामों के दर्शन होते हैं। इस गुफा में 33 कोटि देवी देवताओं के होने की भी मान्यता है। केदारनाथ बद्रीनाथ के अलावा इस गुफा में माता भुवनेश्वरी, आदि गणेश, महादेव की जटाएं, सात कुंड, मुक्ति द्वार और धर्म द्वार के साथ दूसरे देवी देवताओं की आकृतियों के भी दर्शन किए जा सकते हैं।

 

 

कब करें यात्रा?


अगर आप इस मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो अप्रैल से जून का समय सबसे बेहतर माना जाता है। इस मंदिर में दर्शन के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी लोगों से इस मंदिर में यात्रा करने की अपील की। उन्होंने कहा, 'भगवान भोलेनाथ को समर्पित पाताल भुवनेश्वर मंदिर जनपद पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट में स्थित है। स्कंद पुराण में भी इस प्राचीन गुफा की महिमा का वर्णन मिलता है। प्रत्येक वर्ष हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं, आप भी अपनी पिथौरागढ़ यात्रा के दौरान इस पवित्र स्थल के दर्शन अवश्य करें।'

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