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अयोध्या: 'भए प्रगट कृपाला' अभिजीत मुहूर्त में हुआ रामलला का सूर्य तिलक

अयोध्या में स्थित श्री रामजन्मभूमि मंदिर में आज यानी रामनवमी के दिन रामललला का सूर्य तिलक होगा। आइए जानते हैं इसके पीछे का विज्ञान।

Image of Ayodhya Ramlala

अयोध्या राम मंदिर(Photo Credit: @aniadhikaryy/X)

आज देशभर में रामनवमी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। बता दें कि अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में आज के वशिष्ठ आयोजन होते हैं और इस दिन लाखों की संख्या में भक्त रामलला के दर्शन के लिए आते हैं। आज के दिन अयोध्या राम मंदिर में भगवान के दर्शन के साथ-साथ 'सूर्य तिलक' भी एक मुख्य आकर्षण होता है। बता दें कि दोपहर 12 बजे सूर्य की सीधी किरणें भगवान श्रीराम की मूर्ति के मस्तक पर ठीक तिलक स्थान पर पड़ी। इसे ही सूर्य तिलक कहा जाता है। यह एक तरह से भगवान सूर्य द्वारा भगवान राम को उनके जन्मदिवस पर तिलक करने का प्रतीक है।

 

अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने के बाद यह दूसरी बार होगा, जब राम नवमी के दिन रामलला का सूर्य तिलक हुआ। बता दें कि इस मुहूर्त को भगवान के जन्म का माना जाता है। यह आयोजन हजारों श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव होता है।

 

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सूर्य तिलक के पीछे का विज्ञान क्या है?

'सूर्य तिलक' का सिद्धांत वास्तुशास्त्र और एस्ट्रोनॉमी पर आधारित है। इसे पूरी तरह वैज्ञानिक ढंग से डिजाइन किया गया है। मंदिर के गर्भगृह में सूर्य की किरणें राम नवमी के दिन विशेष कोण से प्रवेश करती हैं। इसके लिए खास लेंस, शीशे और धातु प्लेट्स का इस्तेमाल किया गया है। बता दें कि सूर्य की स्थिति प्रतिवर्ष राम नवमी के दिन एक खास डिग्री (लगभग 90° के पास) पर होती है। उसी के आधार पर मंदिर की बनावट की गई है।

 

खगोलशास्त्रियों ने सूर्य की गति और पृथ्वी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए गर्भगृह का दरवाजा, मूर्ति की ऊंचाई और जगह को इस तरह रखा कि सूर्य की किरणें सीधे श्रीराम की मूर्ति के मस्तक पर पड़ें। इसके साथ सूर्य की रोशनी को एक दिशा में मोड़ने के लिए मंदिर में विशेष कांच और लेंस लगाए गए हैं। ये इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि सूर्य की रोशनी सिर्फ तिलक स्थान पर केंद्रित हो।

 

राम नवमी पर होने वाले आयोजन

राम नवमी श्रीराम के जन्म का पर्व है, जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। अयोध्या में यह दिन बहुत भव्य और आध्यात्मिक माहौल के साथ मनाया जाता है। राम नवमी के दिन अयोध्या के सभी प्रमुख घाटों पर श्रद्धालु पवित्र सरयू नदी में स्नान करते हैं। साथ ही मंदिर को फूलों, दीपों और पारंपरिक सजावटी वस्तुओं से सजाया जाता है। इस दौरान सुबह से ही मंदिर में श्रीराम जन्म की पूजा शुरू होती है। वेद मंत्रों और रामायण पाठ के साथ हवन, अभिषेक और आरती होती है।

 

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श्री राम जन्म उत्सव

दोपहर 12 बजे, श्रीराम का 'अवतरण काल' माना जाता है। ठीक उसी समय सूर्य तिलक की प्रक्रिया होती है। भगवान को झूले में झुलाया जाता है और जन्मोत्सव का उल्लास गूंजता है। इस दौरान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की झांकियां निकाली जाती हैं। नगर में भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस अवसर पर मंदिर में दिनभर भक्तों को प्रसाद और भंडारा वितरित किया जाता है। खीर, पूड़ी, चना और हलवा विशेष प्रसाद के रूप में बनाए जाते हैं। पूरे दिन श्रीरामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण का पाठ होता है। संध्या में भजन, कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

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