भारत में रमजान का पवित्र महीना 2 मार्च यानी रविवार से मनाया जा रहा है। दिल्ली के जामा मस्जिद और लखनऊ के शाही इमाम ने इसकी घोषणा की। सऊदी अरब में, पहला रोजा शनिवार, 1 मार्च को मनाया गया। यहां शुक्रवार को चांद दिखने के बाद रोजा शुरू हुआ।
रमजान इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने की शुरुआत और सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच 29 से 30 दिनों के उपवास की अवधि को कहते है। बता दें कि रमजान इस्लाम धर्म का सबसे पाक महीना माना जाता है। रमजान के 30 दिनों में हर मुसलमान रोजा रखता है और आखिरी दिन अल्ला का शुक्रिया अदा कर ईद-उल-फितर का त्योहार मनाते हैं। इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भारत में रोजा रखने का नियम क्या है? आइये समझें...
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पूरे एक महीने रखा जाता है रमजान
भारत में रोजा रखने का नियम इस्लामी शरिया और कुरान-हदीस के आधार पर तय होता है। रोजा इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और इसे रमजान के पूरे महीने में रखा जाता है। भारत में रोजा रखने के नियम इस्लामी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होते हैं जिसका पालन मुस्लिम समुदाय करता है।
रोजा रखने के नियम
रोजा सहरी से शुरू होता है फिर इफ्तार (सूर्यास्त के बाद का भोजन) के साथ रोजा खोला जाता है। भारत में सहरी और इफ्तार का समय शहरों के हिसाब से अलग-अलग होता है, जिसे इस्लामी कैलेंडर और स्थानीय समय के अनुसार देखा जाता है।
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किन चीजों से रोजा टूट जाता है?
जानबूझकर खाना-पीना, सिगरेट पीने से रोजा टूट सकता है। वहीं, माहवारी या प्रसव के दौरान महिलाओं का रोजा रखना वर्जित होता है गलत इरादे से किसी भी प्रकार का शरीरिक संबंध इस दौरान गलत माना जाता है। इसके अलावा अगर कोई घर में बीमार व्यक्ति है तो ऐसे में रोजा रखना अनिवार्य नहीं होता। वहीं, गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी उपवास नहीं रखती है।
ऐसे में अगर कोई व्यक्ति किसी कारण से रोजा नहीं रख पाया तो उसे बाद में रोजा रखना होता है। अगर वह आगे भी रोजा नहीं रख पाया तो इसकी भरपाई के लिए गरीबों को खाना खिलाने या दान देना जरूरी होती है।
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होटलों में मुस्लिमों के लिए विशेष खाने की व्यवस्था
बता दें कि भारत में रोजा रखना पूरी तरह से धार्मिक मामला है। कई राज्यों में रमजान के दौरान सरकारी कर्मचारियों को विशेष छुट्टी दी जाती है। मदरसों और मुस्लिम समुदाय के स्कूलों में सहरी और इफ्तार के लिए विशेष व्यवस्थाएं होती हैं। कई राज्यों में होटल और रेस्तरां रमजान के समय मुस्लिमों के लिए विशेष खाने की व्यवस्था करते हैं।