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रामनाथस्वामी मंदिर का इतिहास, जहां रामनवमी पर पूजा करेंगे पीएम मोदी

रामेश्वरम में स्थित रामनाथस्वामी मंदिर का रामायण काल से इतिहास जुड़ता है। आइए जानते हैं इस मंदिर का इतिहास और कुछ खास बातें।

Image of Ramnathswamy Mandir

रामनाथस्वामी मंदिर, रामेश्वरम(Photo Credit: tamilnadutourism.tn.gov.in)

6 अप्रैल 2025 को देशभर में राम नवमी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामेश्वरम स्थित रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे और साथ ही नए पंबन ब्रिज का उद्घाटन करेंगे। बता दें कि रामनाथस्वामी मंदिर न केवल भव्य शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है।

 

ऐसा इसलिए क्योंकि रामनाथस्वामी मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यहां भगवान राम से जुड़ी विभिन्न धार्मिक कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि इस मंदिर का पौराणिक महत्व, इतिहास और धार्मिक मान्यता क्या है।

रामेश्वरम मंदिर की पौराणिक कथा

रामेश्वरम का उल्लेख रामायण के साथ शिव पुराण के रुद्र संहिता में मिलता है। साथ ही विस्तृत रूप से रामायण कथा में यहां स्थित शिवलिंग के स्थापना की कथा मिलती है। पौराणिक कथा के अनुसार, रावण का वध कर जब भगवान राम, देवी सीता और लक्ष्मण जी अयोध्या लौट रहे थे, तब उनपर रावण जो एक ब्राह्मण था, के हत्या का पाप लगा हुआ था। उस समय ऋषियों के सुझाव पर श्री राम ने भगवान शिव की पूजा करने की इच्छा प्रकट की। इसके लिए श्रीराम ने अपने अनुज और सबसे प्रिय भक्त हनुमान जी को कैलाश पर्वत भेजा ताकि वे भगवान शिव का अवध्य शिवलिंग लेकर आएं।

 

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हनुमान जी के लौटने में देर हो गई, इसलिए माता सीता ने समुद्र तट की रेत से एक शिवलिंग बनाया और श्रीराम ने उसी शिवलिंग की पूजा की। इसे ‘रामलिंग’ कहा जाता है। बाद में हनुमान जी कैलाश पर्वत से लाए हुए शिवलिंग के साथ पहुंचे लेकिन तब तक श्रीराम पूजा कर चुके थे। तब भगवान राम ने हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए यह वचन दिया कि उनके लाए शिवलिंग की भी पूजा होगी और उसे ‘विश्वलिंग’ कहा जाएगा। आज भी यह मंदिर परिसर में स्थित है और भक्त पहले विश्वलिंग और फिर रामलिंग की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव ने श्रीराम को सभी पापों से मुक्ति का आशीर्वाद दिया और तभी से इस स्थान मोक्ष प्राप्ति के लिए पवित्र माना जाने लगा।

रामेश्वरम मंदिर का प्राचीन इतिहास

रामनाथस्वामी मंदिर द्रविड़ शैली में बना एक भव्य शिव मंदिर है, जो भारत के बारह ज्योतिर्लिंग और चार धाम में से एक है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में पांड्य राजाओं ने करवाया था लेकिन बाद में विजयनगर और अन्य राजाओं ने भी इसमें योगदान दिया। मंदिर का मुख्य शिवलिंग रामलिंगम कहलाता है और यह भगवान राम द्वारा स्थापित किया गया था। 

मंदिर की विशेषता यहां का दुनिया का सबसे लंबा मंदिर गलियारा (कॉरिडोर) है, जिसकी लंबाई लगभग 1,200 मीटर है और इसमें 1,212 स्तंभ हैं। मंदिर का मुख्य गोपुरम (द्वार) 53 मीटर ऊंचा है और इसकी नक्काशी अत्यंत सुंदर है।

 

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धार्मिक मान्यताएं और महत्व

रामेश्वरम मंदिर केवल एक शिव मंदिर नहीं है, बल्कि यह हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है। चार धाम यात्रा में रामेश्वरम (दक्षिण), बद्रीनाथ (उत्तर), द्वारका (पश्चिम) और पुरी (पूर्व) शामिल हैं। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस पवित्र स्थान पर स्नान करता है और रामनाथस्वामी की पूजा करता है, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां 22 तीर्थ कुंड (थीर्थम) हैं, जिनमें स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

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