हिंदू धर्म में रंग पंचमी पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि के दिन रंग पंचमी के रूप में होली पर मनाया जाता है। भारत के कुछ हिस्सों में इस दिन धूमधाम से होली खेली जाती है। यह पर्व होली उत्सव की पांच दिन के बाद मनाया जाता है। इस दिन मथुरा-वृंदावन के कुछ मंदिरों में होली महोत्सव का समापन होता है।
रंग पंचमी 2025 तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि 18 मार्च रात्रि 10:09 पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 20 मार्च मध्य रात्रि 12:30 पर होगा। ऐसे में रंग पंचमी पर्व 19 मार्च 2025, बुधवार के दिन मनाया जाएगा।
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रंग पंचमी का महत्व
रंग पंचमी होली के बाद मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है, जिसे भारत के कई हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार होली के पांच दिन बाद आता है और मुख्य रूप से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रंग पंचमी को शुभ माना जाता है और इसे सकारात्मक ऊर्जा, भक्ति और आनंद का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन का मुख्य महत्व आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि रंग पंचमी के दिन वातावरण में मौजूद सात्विक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है और नकारात्मक शक्तियां कमजोर पड़ जाती हैं। इस दिन गुलाल और रंगों का खेल सिर्फ आनंद के लिए नहीं बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण होता है। यह त्योहार मुख्य रूप से देवी-देवताओं को समर्पित होता है और इसे अच्छे ऊर्जा प्रवाह के लिए विशेष माना जाता है।
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में रंग पंचमी विशेष रूप से बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। यहां पर खासतौर से गेर नृत्य और फूलों की होली खेली जाती है। इंदौर की रंग पंचमी तो देशभर में प्रसिद्ध है, जहां हजारों लोग एक साथ सड़कों पर उतरकर रंगों से खेलते हैं और पारंपरिक संगीत और नृत्य का आनंद लेते हैं।
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हिंदू धर्म में रंग पंचमी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसे सृष्टि में रंगों के संतुलन और सकारात्मकता बनाए रखने का एक माध्यम माना जाता है। यह त्योहार यह संदेश देता है कि जीवन में खुशियों को बांटने और आपसी प्रेम को बढ़ाने के लिए एक-दूसरे के साथ रंगों की तरह मिलना आवश्यक है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।