काशी यानी वाराणसी इसे भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता है। मान्यता है कि यह वह स्थान है जहां कण-कण में भगवान शिव वास करते हैं। इस शहर में हजारों प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें से कुछ रहस्यमय और चमत्कारी माने जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर यहां स्थित है, जो रत्नेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर को काशी करवट के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर अपनी अलौकिक बनावट, अद्भुत स्थिति और रहस्यमयी इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर गंगा नदी के किनारे स्थित है।
रत्नेश्वर महादेव मंदिर वाराणसी (काशी) में स्थित एक ऐसा रहस्यमयी शिव मंदिर है, जो अपनी पौराणिक कथाओं और रहस्यों की वजह से लोगों को आकर्षित करता है। यह मंदिर गंगा नदी के तट पर मणिकर्णिका घाट और सिंधिया घाट के बीच में स्थित है। इस मंदिर की पहचान सिर्फ उसकी सुंदरता से ही नहीं, बल्कि इसके पानी में डूबे रहने और रहस्यमयी झुकाव के कारण भी होती है।
पौराणिक मान्यता
रत्नेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी एक प्रसिद्ध मान्यता यह है कि इसका निर्माण रत्नाबाई नामक एक महिला ने करवाया था, जो कथिततौर पर मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर की दासी थीं। वह भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थीं और उन्होंने भगवान भोलेनाथ की आराधना में यह मंदिर बनवाया था। मंदिर का नाम उन्होंने अपने नाम पर रत्नेश्वर रखा था।
यह भी पढ़ें: भूमिजा या रावण की बेटी? सीता के जन्म से जुड़ी कहानियां क्या हैं
मान्यताओं के अनुसार, जब यह बात अहिल्याबाई होल्कर को पता चली, तो उन्होंने अपना अपमान समझा क्योंकि वह चाहती थीं कि मंदिर का नाम उनके हिसाब से रखा जाए। इस बात से नाराज होकर उन्होंने रत्नाबाई को श्राप दिया कि यह मंदिर कभी भी पूर्ण रूप से जल से बाहर नहीं आएगा और इस मंदिर का शिवलिंग हमेशा गंगा नदी की गोद में डूबा रहेगा। मान्यता है कि तभी से यह मंदिर वर्ष के ज्यादातर माह में पानी में डूबा रहता है और केवल कुछ दिनों के लिए ही पूरी तरह दिखाई देता है।
धार्मिक मान्यताएं
भगवान शिव का दुर्लभ दर्शन: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है लेकिन वर्ष में केवल कुछ दिन ही शिवलिंग के दर्शन हो पाते हैं, जब गंगा का जलस्तर बहुत कम होता है।
गर्भगृह का जलमग्न रहना: मंदिर का गर्भगृह अधिकतर समय गंगा नदी के पानी में डूबा रहता है। यह भक्तों की श्रद्धा का प्रतीक बन चुका है। भक्तों का मानना है कि जब बाबा दर्शन देते हैं, तो वह एक विशेष अवसर होता है।
पूजा अनुष्ठान: पानी में डूबे रहने की वजह से यहां नियमित पूजा नहीं हो पाती लेकिन जैसे ही पानी कम होता है, श्रद्धालु यहां आकर जलाभिषेक और पूजन करते हैं।
हमेशा पानी में डूबा रहना: रत्नेश्वर महादेव मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह साल भर गंगा के पानी में डूबा रहता है। ऐसा माना जाता है कि यह सिर्फ एक संयोग नहीं, बल्कि श्राप का परिणाम है।
झुका हुआ मंदिर: यह मंदिर करीब 9 डिग्री झुका हुआ है, जो कि इटली की मशहूर पीसा की मीनार से भी अधिक है। फिर भी यह आज तक गिरा नहीं है और न ही इसमें कोई बड़ा नुकसान हुआ है।
भूकंप या जलवर्षा से अडिग: मंदिर पर कई बार आकाशीय बिजली गिरी है और गंगा की लहरें इसे लगातार छूती हैं, फिर भी यह मंदिर स्थिर और मजबूत बना हुआ है। यह अपने आप में एक रहस्य है।
यह भी पढ़ें: पुत्रदा एकादशी: इस दिन रखा जाएगा श्रावण महीने का अंतिम एकादशी व्रत
मंदिर तक कैसे पहुंचें?
रत्नेश्वर महादेव मंदिर काशी (वाराणसी) में स्थित है, जो उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक शहर है।
नजदीकी रेलवे स्टेशन: वाराणसी जंक्शन देश के सभी बड़े शहरों से जुड़ा है।
नजदीकी एयरपोर्ट: बाबतपुर हवाई अड्डा (लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट) यहां का निकटतम एयरपोर्ट है।
सड़क के रास्ते कैसे पहुंचें: उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन की बसें वाराणसी को विभिन्न शहरों से जोड़ती हैं।
मंदिर तक पहुंचने के लिए मणिकर्णिका घाट या सिंधिया घाट से पैदल जाया जा सकता है लेकिन ध्यान रहे कि मंदिर पानी में डूबा रहता है, इसलिए इसके दर्शन केवल गंगा का जलस्तर घटने पर ही संभव हो पाते हैं।