भारतीय संस्कृति में अलग-अलग धार्मिक परंपराएं और पूजा पद्धतियां हजारों वर्षों से चल रही हैं, जिसमें स्मार्त समुदाय और वैष्णव समुदाय को प्रमुख रूप से माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, स्मार्त परंपरा की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी, जो अद्वैत वेदांत दर्शन पर आधारित है। इसमें यह माना जाता है कि सभी देवी-देवता एक ही परमात्मा के रूप हैं, चाहे वह भगवान शिव हों, विष्णु हों या फिर देवी दुर्गा हों। स्मार्त अनुयायी अक्सर पंचायतन पूजा करते हैं, जिसमें पांच देवताओं की एक साथ आराधना की जाती है।
दूसरी ओर, वैष्णव समुदाय के लोग भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण को भक्ति का केंद्र मानते हैं। भागवत पुराण और विष्णु पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ही सृष्टि के पालनकर्ता और मोक्षदाता हैं। वैष्णव मान्यता में भगवान विष्णु सर्वोच्च ईश्वर हैं और अन्य सभी देवताओं का अस्तित्व उन्हीं से है। इनके अनुयायी माथे पर ऊर्ध्वपुंड्र तिलक लगाते हैं। इस समुदाय के लोग भजन-कीर्तन, विष्णु नामस्मरण और भगवान के मंदिरों में विशेष पूजा करते हैं।
दोनों समुदायों का अंतर केवल देवता की आराधना में ही नहीं, बल्कि उनके दर्शन और जीवन दृष्टिकोण में भी झलकता है। जहां स्मार्त समुदाय विविधता में एकता का प्रतीक है, वहीं वैष्णव समुदाय भक्ति और समर्पण की गहरी परंपरा को आगे बढ़ाता है। पौराणिक कथाएं बताती हैं कि यह भिन्नता सनातन धर्म की समृद्धि और उसके बहुरंगी स्वरूप की पहचान है।
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स्मार्त समुदाय
उत्पत्ति और मान्यता
- स्मार्त परंपरा का आधार आदि शंकराचार्य के माध्याम से स्थापित अद्वैत वेदांत दर्शन है।
- 'स्मार्त' शब्द 'स्मृति' से आया है, यानी ये लोग स्मृति ग्रंथों, वेदों, पुराणों और उपनिषदों का पालन करते हैं।
मुख्य पूजा पद्धति
- इस समुदाय के लोग 'पंचायतन पूजा' करते हैं। जिसमें भगवान शिव, विष्णु, देवी (दुर्गा/पार्वती), गणेश और सूर्य पांचों देवताओं की समान रूप से पूजा होती है।
- इनका मानना है कि सभी देवता एक ही परमात्मा के अलग-अलग रूप हैं।
देवता
- इस समुदाय के लोग किसी एक देवता तक सीमित नहीं हैं। यह लोग भगवान शिव, विष्णु, शक्ति, गणेश, सूर्य सभी की आराधना करते हैं।
पौराणिक मान्यता
- अद्वैत वेदांत के अनुसार, ब्रह्म (परम सत्य) एक है और सभी देवी-देवता उसी के रूप हैं।
भौगोलिक प्रसार
- स्मार्त समुदाय के लोग मुख्य रूप से दक्षिण भारत (विशेषकर तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश) में हैं। हालांकि, पूरे भारत में इनके अनुयायी हैं।
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वैष्णव समुदाय
उत्पत्ति और मान्यता
- वैष्णव परंपरा का केंद्र भगवान विष्णु और उनके अवतारों (राम, कृष्ण आदि) की भक्ति है।
- इनका आधार भक्ति योग और पुराणों में वर्णित वैष्णव आचार है।
मुख्य पूजा पद्धति
- ये लोग विष्णु और उनके अवतारों को ही सर्वोच्च मानते हैं और उनकी ही पूजा करते हैं।
- भजन, कीर्तन, नाम-स्मरण और मंदिर सेवा इनकी प्रमुख भक्ति विधियां हैं।
देवता
- मुख्य देवता विष्णु (और उनके अवतार)। देवी लक्ष्मी की भी पूजा होती है लेकिन भगवान विष्णु के साथ।
पौराणिक मान्यता
- भगवान विष्णु को जगत का पालनकर्ता और मोक्ष देने वाला परमेश्वर माना जाता है।
- भागवत पुराण, विष्णु पुराण, रामायण और महाभारत में वैष्णव भक्ति का विस्तार मिलता है।
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भौगोलिक प्रसार
- वैष्णव समुदाय के लोग मुख्य रूप से उत्तर भारत, गुजरात, राजस्थान और ओडिशा में हैं।