logo

ट्रेंडिंग:

लंबोदर संकष्टी चतुर्थी व्रत के लिए ये नियम हैं जरूरी और जानें कथा

भगवान गणेश को समर्पित चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं चतुर्थी व्रत के नियम और इस व्रत से जुड़ी कथा।

Image of Bhagwan Ganesh

भगवान गणेश।(Photo Credit: Canva)

वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश को समर्पित चतुर्थी व्रत का पालन किया जाता है। बता दें कि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी व्रत को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। पंचांग में बताया गया है कि 17 जनवरी के दिन लंबोदर संकष्टी चतुर्थी व्रत का पालन किया जाएगा। मान्यता है कि नियमों का पालन कर यह व्रत रखने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होता है।

लंबोदर संकष्टी चतुर्थी व्रत के नियम

  • व्रत के दिन प्रातः स्नान करके शुद्ध कपड़े पहनें। मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें। किसी भी व्रत को सफल बनाने में शुद्धता का विशेष महत्व है। व्रत के दिन सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करते हुए संकल्प लें और इसके बाद पूजा करें।
  • चतुर्थी व्रत के दिन व्रती केवल फलाहार कर सकते हैं। इस दिन प्याज, लहसुन, और तामसिक भोजन का परहेज करें। साथ ही इस दिन मांस-मदिरा का सेवन भूलकर भी न करें। कई भक्त इस दिन निर्जला व्रत भी करते हैं।
  • चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं। गणेश जी को दूर्वा, फूल, मोदक और लड्डू अर्पित करें। साथ ही संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है।

यह भी पढ़ें: इंद्र होकर भी मिला था सांप बनने का श्राप, पढ़ें राजा नहुष की कथा

चतुर्थी व्रत की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया था कि वह अपने अहंकार के कारण कलंकित होंगे। कथा में बताया गया है कि एक बार गणेश जी अपने वाहन मूषक पर सवार होकर जा रहे थे। रास्ते में मूषक ठोकर खाकर गिर गए, जिससे भगवान गणेश भी गिर पड़े। यह दृश्य देखकर चंद्रमा हंस पड़े। उनकी हंसी गणेश जी को अपमानजनक लगी और उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि कोई भी व्यक्ति उन्हें देखेगा तो उसे झूठे कलंक का सामना करना पड़ेगा।

 

चंद्रमा ने अपनी गलती का अहसास किया और भगवान गणेश से क्षमा मांगी। गणेश जी ने अपनी उदारता दिखाते हुए कहा कि श्राप का प्रभाव केवल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन रहेगा। इस दिन जो भी भक्त गणेश जी की पूजा करके चंद्र दर्शन करेंगे, उनके सारे दोष समाप्त हो जाएंगे। इस प्रकार यह व्रत श्राप मुक्ति और सुख-समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हो गया।

लंबोदर संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चतुर्थी व्रत का पालन करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को श्रद्धा और नियमों से करने पर भगवान गणेश भक्तों को सफलता का आशीर्वाद देते हैं। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक रूप से बल्कि मानसिक और शारीरिक शांति प्रदान करने में भी सहायक होता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap