भारतीय संस्कृति में सप्ताह के हर दिन का एक विशेष महत्व होता है। शनिवार का दिन खासतौर पर शनिदेव को समर्पित होता है। शनि ग्रह को कर्म का दाता कहा गया है, जो व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों का फल अवश्य देते हैं। शनिवार को काला रंग पहनने और इसका प्रयोग करने की परंपरा बहुत पुरानी है। आइए जानते हैं कि शनिवार और काले रंग का क्या संबंध है और इसके पीछे क्या मान्यताएं हैं।
काला रंग क्यों होता है महत्वपूर्ण?
मान्यता है कि शनिदेव का प्रिय रंग काला है। काले रंग का संबंध शनि ग्रह की उर्जाओं से जोड़ा जाता है। शनि को न्याय का देवता कहा गया है और यह व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। काला रंग गंभीरता, शक्ति और नकारात्मकता से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शनिवार को काले रंग का उपयोग करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति पर उनकी विशेष कृपा बनी रहती है।
यह भी पढ़ें: 51 शक्तिपीठ: भारत से श्रीलंका तक, ये हैं देवी सती के पवित्र धाम
क्या है धार्मिक मान्यताएं?
- शनिदेव की मूर्ति काले रंग की होती है: मंदिरों में शनि की प्रतिमा अक्सर काले पत्थर से बनी होती है। इससे यह संदेश मिलता है कि काला रंग शनिदेव का स्वरूप है और इसे धारण कर हम उनसे जुड़ते हैं।
- दृष्टि से बचाव: शनि की दृष्टि को बहुत तीव्र और प्रभावशाली माना जाता है। मान्यता है कि काले रंग का उपयोग करने से व्यक्ति शनि की कठोर दृष्टि से बच सकता है और उसे राहत मिलती है।
- दान में काले वस्त्र और तिल: शनिवार को विशेष रूप से काले वस्त्र, काले तिल और काले चने दान करने का महत्व बताया गया है। इससे शनि दोष शांत होता है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।