श्रीलंका के त्रिंकोमाली शहर में स्थित थिरुकोनेश्वरम मंदिर एक प्राचीन और पवित्र हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर सिर्फ हिंदू धर्म के लिए ही नहीं, बल्कि बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय श्रीलंका के दौरे पर हैं और इस दौरान उन्होंने घोषणा की है कि भारत सरकार इस प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्धार (पुनर्निर्माण व सौंदर्यीकरण) में श्रीलंका की सहायता करेगा। आइए जानते
थिरुकोनेश्वरम मंदिर का परिचय
यह मंदिर श्रीलंका के पूर्वी तट पर स्थित है, जहां समुद्र के किनारे एक ऊंची चट्टान पर इसे बनाया गया है। यह मंदिर भगवान शिव के पंच ईश्वर (Pancha Ishwaram) स्वरूपों में से एक है- श्रीलंका में स्थित पांच प्रमुख शिव मंदिरों में से एक। इसका नाम 'थिरुकोनेश्वरम' भगवान शिव के नाम 'कोनेश्वर' अर्थात जो सभी कोण के अधिपति हैं, पर रखा गया है। कहा जाता है कि यह मंदिर रामायण काल से भी जुड़ा है। मान्यता है कि रावण का भाई विभीषण इस मंदिर आस्था रखते थे। यह भी माना जाता है कि इस स्थल पर भगवान शिव ने एक बार ब्रह्मा और विष्णु को दर्शन दिए थे।
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बौद्ध धर्म से जुड़ा महत्व
हालांकि यह मंदिर मूलतः शिव को समर्पित है लेकिन बौद्ध ग्रंथों और इतिहास में भी इसका उल्लेख मिलता है। त्रिंकोमाली क्षेत्र उनमें से एक है, जहां हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायी लंबे समय तक साथ रहते आए हैं। इस मंदिर को लेकर बौद्ध ग्रंथों में भी उल्लेख है कि यहां बौद्ध भिक्षु साधना किया करते थे। मंदिर परिसर और उसके आसपास बौद्ध स्तूप, मूर्तियां और शिलालेख पाए गए हैं। यह स्थल बौद्ध धर्म के लिए भी एक साधना केंद्र रहा है।
थिरुकोनेश्वरम न सिर्फ धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण स्थल रहा है। यहां बौद्ध और हिंदू रीति-रिवाजों का संगम देखा जा सकता है। समुद्र की शांत लहरों और चट्टानों के बीच स्थित यह मंदिर बौद्ध ध्यान और ध्यान-साधना के लिए आदर्श स्थल माना जाता था।
भारत की सहायता और उद्देश्य
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित भारत की सहायता कई पहलुओं पर केंद्रित होगी, जिसमें मंदिर का सौदर्यीकरण शामिल होगा। इससे धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। साथ ही यह सांस्कृतिक सहयोग दोनों देशों की मित्रता को और गहरा कर सकता है।