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ऐसा मंदिर जहां पूरे परिवार के साथ पूजे जाते हैं भगवान गणेश

राजस्थान में स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर अपनी पौराणिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर को राजस्थान के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है।

Trinetra Ganesh Mandir

त्रिनेत्र गणेश मंदिर की तस्वीर: X handle/ Mohan yadav

राजस्थान का सवाई माधोपुर जिला केवल रणथंभौर नेशनल पार्क और बाघों के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि यहां स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर भी करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। रणथंभौर किले के भीतर स्थित यह ऐतिहासिक मंदिर देशभर में अपनी अनूठी परंपराओं और पौराणिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालु विवाह, संतान प्राप्ति और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए गणेश जी से प्रार्थना करते हैं। ऐसा विश्वास है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां मनोकामना करता है, उसकी इच्छा जरूर पूरी होती है।

 

मान्यताओ के अनुसार, इस मंदिर को 13वीं शताब्दी में महाराजा हम्मीर देव चौहान ने स्थापित किया था। कहा जाता है कि यह मंदिर करीब 700 साल से भी ज्यादा पुराना है और राजस्थान के सबसे प्राचीन भगवान गणेश मंदिरों में से एक है। यहां स्थित भगवान गणेश की तीन आंखों वाली मूर्ति ज्ञान, दिव्यता और संरक्षण का प्रतीक मानी जाती है।  

 

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मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

त्रिनेत्र गणेश मंदिर से जुड़ी कथाएं बहुत प्रचलित है। इस मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, 1299 ईस्वी में राजा हम्मीर देव चौहान और अलाउद्दीन खिलजी के बीच युद्ध चल रहा था। युद्ध के दौरान रणथंभोर किले में भोजन और अन्य आवश्यक संसाधन कम हो रहे थे। ऐसे में राजा हम्मीर देव ने गणेश जी से युद्ध की कठिनाई से मुक्ति की प्रार्थना की थी। कथा की मान्यता के अनुसार, उसी रात गणेश जी ने उनके स्वप्न में आकर आश्वासन दिया कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। अगले दिन एक चमत्कार हुआ, किले की दीवार पर त्रिनेत्र गणेश की मूर्ति प्रकट हो गई और युद्ध अचानक समाप्त हो गया। उसके साथ ही गोदामों में फिर से भोजन और अन्य सामग्री भर गई।

 

कथा के अनुसार, 1300 ईस्वी में हम्मीर देव चौहान ने इस चमत्कारी मूर्ति के उपस्थिति के स्मरण (याद) में मंदिर का निर्माण करवाया, जिसमें गणेश जी के साथ उनकी पत्नियां रिद्धि, सिद्धि और पुत्र शुभ-लाभ की मूर्तियां भी स्थापित की गईं। रंथंभौर गणेश मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में रणथंभौर किले के भीतर स्थित है। यह मंदिर पूरे भारत में बहुत प्रसिद्ध है और इसे 'त्रिणेत्र गणेश मंदिर' भी कहा जाता है।

 

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मंदिर की विशेषता

इस मंदिर की सबसे खास विशेषता यह है कि यहां शादी का पहला निमंत्रण पत्र (लड्डू पत्री) भगवान गणेश जी को भेजने की परंपरा है। लोग मानते हैं कि गणेश जी को विवाह का पहला निमंत्रण भेजने से वैवाहिक जीवन सुखमय और सफल होता है। हर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। मान्यता के अनुसार, यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान गणेश की पूजा उनके पूरे परिवार के साथ होती है। 

मंदिर तक पहुंचने का रास्ता

  • नजदीकी रेलवे स्टेशन : रणथंभौर गणेश मंदिर के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 11 किलोमीटर दूर है।
  • सड़क मार्ग: सवाई माधोपुर राजस्थान के प्रमुख शहरों (जयपुर, कोटा, उदयपुर, दिल्ली) से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है।
  • नजदीकी एयरपोर्ट: यहां का नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लगभग 180 किलोमीटर दूर है। वहां से सड़क और रेल मार्ग से मंदिर पहुंचा जा सकता है।

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