कर्नाटक में स्थित उडुपी श्री कृष्ण मठ मंदिर दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध और पूजनीय मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है और अपनी अनोखी पूजा पद्धति, ऐतिहासिक महत्व और धार्मिक वातावरण के लिए जाना जाता है। इस मंदिर की ख्याति न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी फैली हुई है। यहां हर साल हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। उडुपी श्री कृष्ण मठ मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि यह भक्ति, प्रेम और भगवान के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
यहां स्थित भगवान कृष्ण की मूर्ति का बाल स्वरूप हर भक्त के हृदय में स्नेह और अपनापन जगाता है। मंदिर की परंपराएं, उसकी ऐतिहासिक मान्यता और भगवान कृष्ण के प्रति अटूट श्रद्धा इसे एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाती हैं।
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पौराणिक मान्यताएं
किंवदंती के अनुसार, बहुत समय पहले यह मूर्ति द्वारका में रानी रुक्मिणी के महल में थी। एक भक्त और संत मध्वाचार्य, जिन्हें द्वैत वेदांत दर्शन का संस्थापक भी कहा जाता है। उन्होंने समुद्र से एक बड़े लकड़ी के गट्ठर (गोपिचंदन) को बाहर निकाला। जब उस गट्ठर को खोला गया, तो उसमें से भगवान कृष्ण की सुंदर मूर्ति मिली। कथा के अनुसार, यह वही मूर्ति थी जिसे रुक्मिणी जी ने पूजा था। मध्वाचार्य जी इस मूर्ति को लेकर उडुपी आए और यहां श्री कृष्ण मठ की स्थापना की। तब से यह स्थान एक प्रमुख वैष्णव तीर्थ बन गया।
एक अन्य कथा 16वीं शताब्दी के एक भक्त कनकदास से जुड़ी है, जिन्हें शुरू में मंदिर में प्रवेश से रोक दिया गया था लेकिन उन्होंने गहन ध्यान के माध्यम से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त की, जिसके परिणामस्वरूप मंदिर की दीवार में एक खिड़की का निर्माण हुआ था।
मंदिर की विशेषता
उडुपी श्री कृष्ण मठ मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां भगवान कृष्ण की मूर्ति सीधे दर्शन के लिए सामने नहीं है। भक्तजन भगवान के दर्शन कन्हा नवरंध्र नाम की खिड़की से करते हैं, जो सोने और चांदी से सजाई गई है। यह नौ छेदों वाली खिड़की है, इसे नवग्रह किटिकी भी कहा जाता है। यह खिड़की मंदिर के बाहरी हिस्से में स्थित है, जिससे भक्त अंदर प्रवेश किए बिना ही दर्शन कर सकते हैं। यहां की मूर्ति बाल रूप में भगवान कृष्ण की है, जिन्हें माखन चुराते और गले में मोरपंख धारण किए दर्शाया गया है।
यह मंदिर अष्ट मठ प्रणाली के लिए भी प्रसिद्ध है। अष्ट मठ का अर्थ है कि यहां पूजा और प्रबंधन की जिम्मेदारी बारी-बारी से आठ मठों के संतों के पास होती है। हर दो साल में पूजा करने का अधिकार एक मठ से दूसरे मठ में चला जाता है।
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मंदिर तक कैसे पहुंचे
- उडुपी श्री कृष्ण मठ मंदिर, कर्नाटक के उडुपी शहर के मध्य में स्थित है।
- नजदीकी एयरपोर्ट – नजदीकी एयरपोर्ट मंगलुरु (मैंगलोर) है, जो लगभग 60 किलोमीटर दूर है। एयरपोर्ट से टैक्सी या बस के जरिए आसानी से मंदिर पहुंचा जा सकता है।
- नजदीकी रेलवे स्टेशन – उडुपी रेलवे स्टेशन, कोंकण रेलवे लाइन पर स्थित है और मुंबई, गोवा, मंगलुरु जैसे बड़े शहरों से सीधा जुड़ा हुआ है।
- सड़क के रास्ते – कर्नाटक के प्रमुख शहरों से उडुपी के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 66 से यहां पहुंचना आसान है।