हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख महीना वर्ष का दूसरा महीना होता है, जो चैत्र के बाद आता है। यह माह आमतौर पर अप्रैल-मई के बीच पड़ता है। वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख महीना आज यानी 13 अप्रैल, रविवार दिन से शुरू हो गया है। यह महीना धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ और पुण्यदायक माना जाता है। इसे पुण्य मास भी कहा जाता है क्योंकि इसमें किए गए स्नान, दान और जप का फल कई गुना बढ़कर प्राप्त होता है।
वैशाख महीने की विशेषताएं
- इस माह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में नदियों, तालाबों या गंगाजल से स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। मान्यता है कि इससे शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है और पापों से मुक्ति मिलती है।
- इस महीने धर्म-कर्म, पूजा-पाठ, कथा, व्रत और दान की विशेष महत्ता है। खासकर तुलसी, गाय और ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र या जल से भरे कलश दान करने का विशेष फल मिलता है।
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- वैशाख में गर्मी अधिक होती है, इसलिए प्यासों को जल पिलाना और जरूरतमंदों को ठंडा पानी या फल देना बड़ा पुण्य का कार्य माना गया है। जगह-जगह प्याऊ लगाने की परंपरा भी इसी कारण है।
- इस मास के स्वामी भगवान विष्णु माने जाते हैं। विशेष रूप से, मधुसूदन रूप की पूजा करने से रोग, शोक और भय से मुक्ति मिलती है। विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु स्तोत्र का पाठ करना शुभ होता है।
वैशाख महीने के नियम
- इस महीने में सात्विक भोजन, ब्रह्मचर्य पालन, झूठ, क्रोध और हिंसा से बचने की सलाह दी जाती है। संयम और शुद्ध विचारों का पालन करना चाहिए।
- एकादशी, पूर्णिमा और अमावस्या जैसे विशेष तिथियों पर व्रत रखना शुभ होता है। व्रत के साथ भगवान की कथा श्रवण और भजन-कीर्तन करने की परंपरा है।
- इस मास में 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप विशेष फलदायी होता है। सुबह-सुबह शांत वातावरण में ध्यान लगाने की भी परंपरा है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।