वैशाख पूर्णिमा व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने की अंतिम तिथि होती है, जो पूर्णिमा को आती है। इसे बहुत शुभ और पवित्र माना गया है। धार्मिक दृष्टि से इस दिन पर पूजा-पाठ को बहुत अहमियत दी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु, भगवान बुद्ध और पितरों की पूजा का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इस दिन के नियम, पूजा विधि और इसके महत्व को विस्तार से।
वैशाख पूर्णिमा के पालन योग्य नियम
ब्रहमचर्य का पालन – इस दिन व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक संयम रखना चाहिए। असत्य, क्रोध, हिंसा और वाणी पर नियंत्रण रखना जरूरी होता है।
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- स्नान और दान का विशेष महत्व – सूर्योदय से पहले पवित्र नदी, सरोवर या घर पर गंगाजल मिले पानी से स्नान करना चाहिए।
- व्रत का नियम – इस दिन व्रत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है। दिनभर फलाहार लेकर प्रभु का ध्यान करना चाहिए।
- सात्विक भोजन – इस दिन प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा जैसे तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए।
- परोपकार और दान – जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जल से भरा कलश, पंखा, छाता, सत्तू, गुड़ आदि का दान करना चाहिए।
- मौन और ध्यान – इस दिन मौन रहकर ध्यान और आत्मचिंतन करना लाभदायक होता है।
वैशाख पूर्णिमा की पूजा विधि
- प्रातः स्नान – सूर्योदय से पूर्व उठकर गंगाजल मिले जल से स्नान करें। हो सके तो किसी नदी या तीर्थ स्थल पर स्नान करें।
- दीप जलाएं – पूजा स्थल पर तांबे या पीतल के दीपक में गाय के घी का दीप जलाएं।
- भगवान विष्णु की पूजा – भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने सफेद फूल, तुलसी पत्र, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- भगवद्गीता या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें – विष्णु भगवान की महिमा सुनना और पढ़ना इस दिन विशेष फलदायक होता है।
- सत्यनारायण व्रत कथा – इस दिन श्री सत्यनारायण व्रत कथा सुनना अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। कथा के बाद प्रसाद सभी में वितरित करें।
- तुलसी में जल अर्पण – तुलसी के पौधे में जल चढ़ाकर दीपक जलाएं और उसकी परिक्रमा करें।
- भगवान बुद्ध की पूजा – चूंकि यह दिन बुद्ध पूर्णिमा भी होता है, इसलिए शांति, करुणा और ज्ञान के प्रतीक गौतम बुद्ध की पूजा भी की जाती है। उनकी मूर्ति को स्नान कराकर फूल चढ़ाएं और ध्यान करें।
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वैशाख पूर्णिमा का महत्व
यह दिन पवित्र स्नान, दान और पूजा से कई जन्मों के पापों का नाश करने वाला माना गया है। भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान और महापरिनिर्वाण इसी दिन हुआ था, इसलिए यह बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पितृदोष और ग्रह दोष से मुक्ति के लिए भी यह दिन उत्तम माना गया है। पितरों के निमित्त तर्पण करने से उनका आशीर्वाद मिलता है। इसे धर्म, सत्य, और परोपकार की प्रेरणा देने वाला दिन भी माना जाता है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।