वामन जयंती भगवान विष्णु के पांचवें अवतार वामन अवतार के रूप में मनाई जाती है। यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन रूप में अवतार लेकर दैत्यराज बलि को पराजित किया था और देवताओं का स्वर्गलोक वापस दिलाया था। भगवान विष्णु के इस रूप की पूजा दक्षिण भारत के कोच्चि में स्थित त्रिक्काकारा मंदिर में की जाती है। भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ी कथाएं भी प्रचलित हैं।
वामन जयंती केवल भगवान विष्णु के अवतार की याद नहीं दिलाती बल्कि यह भी सिखाती है कि अहंकार चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, धर्म और भक्ति के आगे झुकना ही पड़ता है। यह पर्व धर्म, दान और विनम्रता का प्रतीक माना जाता है। मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान सुख, धन की वृद्धि और पापों का क्षय होता है।
कब है वामन जयंती 2025?
पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में वामन जंयती की शुरुआत 04 सितम्बर, बृहस्पतिवार को सुबह 04:21 मिनट से होगी और इस तिथि का समापन 05 सितम्बर को सुबह 04:08 मिनट पर होगी। ऐसें में वामन जयंती 4 अगस्त को मनाई जाएगी। यह दिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को आती है।
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वामन अवतार की पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार दैत्यराज महाबली एक अत्यंत दानी और पराक्रमी राजा थे। उनके पराक्रम से देवता भी भयभीत थे और उन्होंने इंद्रलोक तक अपना अधिकार कर लिया था। महाबली की उदारता इतनी प्रसिद्ध थी कि वह किसी भी याचक (मांगने वाले) को खाली हाथ नहीं लौटाते थे।
देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने वामन (एक बौने ब्राह्मण) के रूप में अवतार लिया। वामन बालक रूप में महाबली के यज्ञ स्थल पर पहुंचे और तीन पग भूमि दान में मांगी। महाबली ने यह दान स्वीकार कर लिया। उसी समय वामन ने विराट रूप धारण किया।
- पहले पग में उन्होंने पृथ्वी को नाप लिया।
- दूसरे पग में आकाश को।
- तीसरे पग के लिए स्थान नहीं बचा तो महाबली ने अपना सिर अर्पित कर दिया।
- भगवान विष्णु ने महाबली को पाताल लोक का राजा बना दिया और वचन दिया कि वह वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने पृथ्वी पर आएंगे।
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वामन जयंती व्रत की विशेषताएं
- यह पर्व विनम्रता और धर्म की स्थापना का प्रतीक है।
- वामन जयंती पर व्रत, पूजा और दान करने का विशेष महत्व है।
- मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से पापों का क्षय, समृद्धि की प्राप्ति और संतान सुख मिलता है।
- तुलसी, पीले पुष्प और भगवान विष्णु के मंत्र का जाप इस दिन विशेष फलदायी माना जाता है।