भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट ले ली है। रिटायरमेंट लेने के बाद विराट पत्नी अनुष्का के साथ प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचे। विराट और अनुष्का ने प्रेमानंद महाराज का आशीर्वाद लिया। वे दोनों अक्सर उनसे मिलने वृंदावन जाते रहते हैं।
विराट और अनुष्का का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में प्रेमानंद महाराज जी ने उनसे सवाल पूछा कि क्या तुम खुश हो? विराट ने हां में जवाब दिया। प्रेमानंद महाराज ने उनसे कहा, 'हम आपको थोड़ा प्रभु का विधान बताते हैं। ये वैभ मिलना कृपा नहीं। ये आपके पुण्य है। पापी ने भी अगर पुण्य किया तो उसे वैभव, धन मिलेगा। वैभव, धन या यश मिलना भगवान की कृपा नहीं मानी जाती है। भगवान की कृपा मतलब अंदर का चिंतन बदलना जिससे आपके अननंत जन्मों का संस्कार भस्म होकर अगला जो है बड़ा उत्तम होगा। अंदर के चिंतन से होगा। बाहर से कुछ नहीं होगा। अंदर का चिंतन का मतलब क्या बन गया बाहर से हमें सुख, यश मिलता है, अंदर से हमको कोई मतलब नहीं है। कोई विरलय होती है तो भगवान आपको एक रास्ते देते हैं। यह मेरा रास्ता है। यह परम शांति का रास्ता है'।
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प्रेमानंद महाराज ने समझाया मुश्किल समय का मतलब
उन्होंने आगे कहा, 'जब सब अच्छा रहता है तो हमें इस बात का ऐहसास नहीं होता है। मगर जब प्रतिकूलता आती है तो लगता है इतना झूठा संसार। कोई भी बड़ा संत अगर बदला है तो उसके पीछे प्रतिकूलता होती है। जब भी प्रतिकूलता आए तो आनंदित होकर समझे कि भगवान की मेरी ऊपर कृपा हो रही है। आप अपने जीवन को सुधार करो। उसके बाद जो होगा वो कमाल होगा। आपको सब मिलेगा। आप जैसे है वैसे ही रहो। आपके अंदर के चिंतन में यश की भावना ना आ जाए। भक्ति की अनुकूलता में रहो। आपके अंदर के चिंतन में होना चाहिए प्रभु बहुत समय हो गया एक बार आपसे मिलना चाहता हूं। आनंदपूर्वक भगवान का नाप जप करो। बिल्कुल चिंता मत करो। सब हो जाएगा'।
नापजप को लेकर अनुष्का ने पूछा सवाल
इसके बाद अनुष्का पूछती हैं, 'बाबा क्या नामजप से सब हो जाएगा'? प्रेमानंद महाराज ने कहा, 'पूरा, यह हम अपने जीवन का अनुभव बताते हैं। सांख्ययोग,अष्टांग योग, कर्म योग और भक्ति योग, चारों योगों में प्रवेश रहा है। पहले हम सन्यांसी रहे हैं 20 साल। 20 साल काशी विश्वनाथ में रहे हैं। पहले हम सांख्ययोग, अष्टांग योग, कर्म योग में अच्छे से रहने के बाद भक्ति योग में आए हैं। स्वयंम भगवान शंकर से कोई ज्ञानी तो नहीं ना, सनकादिक से बढ़कर कोई ज्ञानी नहीं है ना वो हरि शरणम हरि शरणम जपते रहते हैं। भगवान शंकर हर समय राम राम जपते रहते हैं। हम वृंदावनवासी प्रिया प्रितम के उपासी जो राम में रा वही रा है धा है वह रस देने वाली व्यक्तित्व है तो हम राधा राधा जपते हैं। मतलब आप ये समझों हमारी तार्किक बुद्धि रही है। हमारी श्रद्धालु बुद्धि नहीं रही। सन्यांसी की जो बुद्धि होती है वह तर्क प्रधान होती है कसौटी पर कसने पर नहीं होती है। हमेशा तार्किक बुद्धि होनी चाहिए। हम सिर्फ भावुकता में राधा राधा का प्रचार नहीं करते हैं, हम इसलिए नहीं कह रहे हैं कि हमने ग्रंथों और उपन्यांसों में पढ़ा है। स्वयंम स्वाद लेकर कह रहे हैं। अगर आप राधा राधा जपते हो तो इसी जन्म में भगवत प्राप्ति हो जाएगी। इसी जन्म में होगी जैसे कोई कहता है तुम सत्य बोलो, मंदिर में बैठकर बोलो। हम इसी वृंदावन में बैठकर बोल रहे हैं करोड़ों मंदिर इसकी समानता नहीं कर सकते हैं, भगवान का परम धाम है'।
कैसे करना है राधा नाम का जाप
उन्होंने आगे कहा, 'अगर राधा राधा नाम चल रहा है तो इसी जन्म में भगवत प्राप्ती हो जाएगा। हमारी आखिरी श्वास से राधा निकला तो हमें इसी जन्म में श्रीजी की प्राप्ति हो जाएगी। इसमें कोई संशय नहीं और कोई संसाधनों की आवश्यकता नहीं है। आप केवल अंदर ही अंदर चलिए और उसको लिखिए। देखिए हमें बहुत अधिक नाम जपने की चेष्ठा नहीं करनी है। लेकिन मन लगाकर। आप अपने दिमाग में राधा लिखो। खुले नेत्रों से देखो दिखाई दे रहा है राधा लिखा हुआ, वहीं कान में सुनो राधा, वहीं, अंदर उठाओ राधा। जब तीनों का एकाकार हो जाए तो ये करोड़ों नाम जप के बराबर है। आप स्नान करने के बाद कुछ देर शांति से राधा राधा लिखो, इसे चिंतन में बिठाओ। ये अभ्यास आप कुछ दिनों तक करके देख लो। परिणाम आप खुद देखना। कोई घाटे का सौदा तो है नहीं। खूब आनंदित रहो। काम करते रहो'।