प्रत्येक वर्ष मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान महीने में उपवास रखते हैं। रमजान महीना मुस्लिमों में सबसे पवित्र महीने के रूप में माना गया है। मुस्लिम समुदाय के लोग इस महीने को त्योहार की तरह मनाते हैं। मुस्लिमों का मशहूर त्योहार ईद-उल-फितर भी इसी महीने में मनाया जाता है। इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग 29 या 30 दिन का उपवास रखते हैं। इनके इस उपवास को रोजा के नाम से भी जानते हैं। रमजान उस दिन से शुरू होगा, जिस दिन चांद दिखता है। चांद दिखने के बाद ही रोजे की शुरूआत होती है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार रमजान के पवित्र महीने की शुरूआत 1 मार्च से होने की उम्मीद है।
अगर 28 फरवरी को चांद दिखता है तो ऐसे में रोजा की शुरूआत अगले महीने मार्च की 1 तारीख से हो सकती है। वहीं अगर चांद मार्च की 1 तारीख को दिखता है तो ऐसे में रोजे की शुरूआत 2 मार्च से होगी। फिलहाल, इस बात को चांद के दिखने के हिसाब से बदला जा सकता है। अगर चांंद 28 फरवरी या 1 मार्च को दिख जाता है, तो रमजान का महीना 30 या 31 मार्च को खत्म हो जाएगा।
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कब होगी रमजान की शुरूआत
भारत में रमजान की शुरुआत शुक्रवार 28 फरवरी 2025 से हो सकती है। शाबान का चांद अगर 28 को नजर आता है तो पहला रोजा शनिवार 1 मार्च को रखा जाएगा। मार्च महीने के आखिर में यानी 30 या 31 मार्च को ईद मनाई जा सकती है। हालांकि, इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से रमजान महीने की शुरूआत शाबान के 29वें चांद का दीदार होने के बाद प्रारंभ होता है। चांद नजर आने के बाद ही रमजान की शुरुआत होगी और रोजेदार रोजा रखने की शुरुआत करेंगे।
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क्यों रखा जाता है रोजा?
रमजान को इस्लाम में पाक महीने के साथ ही खुदा के रहमत का खास महीना बताया गया है। इस्लामिक मान्यता के मुताबिक, इसी पवित्र माह में पैगंबर साहब को अल्लाह से कुरान की आयतें मिली थी। रमजान इस्लाम में आध्यात्मिकता और एकजुटता दिखाने का भी विशेष अवसर होता है। इस्लाम की मान्यताओं के हिसाब से रमजान के दौरान रोजा रखने से शरीर और आत्मा शुद्ध होते हैं। इस दौरान किए नेकी के कामों से अल्लाह खुश होते हैं और बरकत बनाए रखते हैं।