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राम और रावण दोनों के लिए क्यों खास है रामेश्वरम? पढ़ें पौराणिक कहानी

मर्यादा पुरुषोत्तम राम, पूर्ण पुरुष हैं। वे जगत के ईश्वर हैं लेकिन क्या आपको पता है कि उनके भी एक ईश्वर हैं, जिनकी वे आराधना करते हैं। कौन हैं भगवान राम के ईश्वर रामेश्वरम?

Rameshwaram Temple

मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना भगवान राम ने की थी. (फोटो क्रेडिट- www.tamilnadutourism.tn.gov.in)

भरण: पोषणधार: शरण्य: सर्वव्यापका, करुण: निर्मलगुणै पूर्णा रामस्तु भगवान स्वयं। भगवान राम, परब्रह्म हैं। यह संसार उनका विग्रह है। क्या आप जानते हैं कि भगवान राम भी एक भगवान की आराधना करते हैं? जब उन पर रावण वध का पाप लगा तो उन्हें पापमुक्ति कैसे मिली? किसने उनका पापमोचन किया? अगर इन सवालों का जवाब आप नहीं जानते हैं तो ये धर्मकथा आपके लिए ही है। 

आदिगुरु शंकराचार्य ने चारों दिशाओं में एक-एक धामों को स्थापित किया। इसे सनातन परंपरा में चौथे धाम की मान्यता मिली है। 3 वैष्णव धाम और शैव धाम की स्थापना करके आदिगुरु शंकराचार्य ने शैव-वैष्णवों में ऐसी समता स्थापित कराई कि अब पूरा हिंदू धर्म एक धर्म नजर आता है। 

कौन हैं रामेश्वरम?

तमिलनाडु में समुद्र तट पर रामायणकालीन एक मंदिर बसा है जिसे रामेश्वरम कहते हैं। यह भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। भगवान राम ने ही यहां सबसे पहली पूजा की थी। लंका विजय से पहले उन्होंने रेत से शिवलिंग बनाया था और भगवान शिव की कठोर साधना की थी। भगवान राम, इस भूमि पर ज्योति के तौर पर प्रकट हुए और यहीं वे रामेश्वरम कहलाए।

भगवान राम ने क्यों की थी इस मंदिर की स्थापना?

जब मां सीता का हरण हुआ तो भगवान राम ने विजयश्री के लिए यहां पूजा की थी। जब वे रावण का वध करके मां सीता के साथ लौटे तो उन्हें ब्रह्म हत्या का पाप लग गया। ऋषियों ने कहा कि भगवान को इस पाप का प्रायश्चित करना चाहिए। भगवान राम ने पापमोचन के लिए शिवलिंग की स्थापना की और विधिवत जलाभिषेक किया। 

12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं रामेश्वरम
भगवान ज्योति रूप से यहां विराजते हैं इसलिए यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस ज्योतिर्लिंग का नाम रामेश्वरम पड़ गया। रामेश्वरम मतलब राम के ईश्वर। कहते हैं कि भगवान राम ने इसकी स्थापना की थी, मां सीता ने इसका पूजन किया था। 

क्यों खास है यह धाम?
रामेश्वरम मंदिर शताब्दियों पुराना है। इसकी शिल्पकला अद्भुत है। मंदिर में गोपुरम है। यहां धनुषकोटि, चक्रतीर्थ, शिवतीर्थ, अगस्त्यतीर्थ, गंगातीर्थ, यमुनातीर्थ और 24 अन्य तीर्थ हैं। रामेश्वरम मंदिर में कुल 24 कुएं हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन मात्र से ही सारे पाप मिट जाते हैं। हिंदू धर्म में यह चारधाम का अंतिम पड़ाव है। बद्रीनाथ, जगन्नाथ, द्वारका के बाद जो भक्त रामेश्वरम की यात्रा करते हैं उनकी सभी कामना पूरी होती है और उन्हें सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है।

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