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रबी-अल-अव्वल का चांद देखने के बाद ही क्यों मनाते हैं ईद-ई-मिलाद?

इस्लाम धर्म में ईद-ई-मिलाद को अहम पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को रबी-अल-अव्वल महीने का चांद देखने के बाद ही मनाया जाता है, आइए जानते हैं क्या है इस पर्व की विशेषता?

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प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo Credit: AI

ईद-ई-मिलाद जिसे ईद-ए-मिलादुन्नबी और बारावफात भी कहा जाता है, इसे इस्लाम धर्म में एक अहम पर्व के रूप में मनाया जाता है।  ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, साल 2025 में 4 या 5 सितंबर के आसपास यह त्योहार मनाया जाएगा। हालांकि, यह तारीख अभी निश्चित नहीं है। ईद-ई-मिलाद हजरत मोहम्मद के जन्मदिन की याद में मनाया जाता है। इस साल ईद-ए-मिलाद रबी अल-अव्वल महीने की 12वीं तारीख को मनाया जाएगा। यह तारीख रबी-अल-अव्वल का चांद देखने के बाद ही निर्धारित की जाती है, क्योंकि इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा की गति पर आधारित है, इसलिए इसका हर महीना चांद देखने के बाद ही शुरू होता है। 


ईद-ई-मिलाद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिदों में दुआएं मांगते हैं। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मोहम्मद साहब की शिक्षा और उनके जीवन के प्रसंगों को याद किया जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन जुलूस निकालकर भाईचारे का संदेश भी फैलाते हैं। ईद-ई-मिलाद का महत्व सिर्फ पैगंबर मोहम्मद के जन्म का उत्सव मनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इस दिन को इंसानियत, शांति और भाईचारे का पैगाम देने का प्रतीक भी माना जाता है। इस मौके पर लोग गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हैं।

 

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चांद देखने के बाद ही क्यों मनाते हैं ईद-ई-मिलाद?

इस्लामिक कैलेंडर चंद्र आधारित हैं – इसमें 12 महीने होते हैं और हर नया महीना चांद दिखने से शुरू होता है।

 

रबी-अल-अव्वल का महत्व – यह इस्लामी कैलेंडर का तीसरा महीना है। हजरत मोहम्मद साहब का जन्म रबी अल-अव्वल की 12वीं तारीख को हुआ था, इसलिए इस दिन को 'ईद-ए-मिलाद' के रूप में मनाया जाता है।

 

चांद देखने की परंपरा – जिस दिन रबी-अल-अव्वल महीने का चांद दिखाई देता है, उसी दिन से इस महीने की गिनती शुरू होती है। इसी आधार पर तय किया जाता है कि 12वीं तारीख कब पड़ेगी।

 

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सटीक तिथि का निर्धारण – अलग-अलग देशों या शहरों में चांद अलग-अलग दिन दिख सकता है, इसलिए ईद-ए-मिलाद की तारीख भी अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग हो सकती है।

सिया और सुन्नी समुदाय के लोगो ऐसे मनाते है ईद-ई-मिलाद

सुन्नी समुदाय के लोग मुहम्मद साहब के जन्मदिवस को आमतौर पर 12 वीं रबी-अल-अव्वल को मनाते हैं। जबकि कुछ शिया समुदाय के लोग इसे रबी-अल-अव्वल महीने की 17 तारीख को मानते हैं। इस्लामिक कैलेंडर (हिजरी) के अनुसार, अगर समय पर महीनें की शुरुआत में चांद नहीं दिखता, तो उस महीने की शुरुआत एक दिन छोड़कर की जाती है। ऐसे में अगर रबी-अल-अव्वल महीने का चांद सही समय पर नहीं दिखेगा, तो उस महीने की शुरुआत एक दिन छोड़कर मानी जाएगी। 

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