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कश्मीर से महाराष्ट्र और नॉर्थ ईस्ट तक भारत की 5 'वैली ऑफ फ्लावर'

इस लेख में खबरगांव आपको देश के ऐसे 5 वैली ऑफ फ्लावर के बारे में बता रहा है जो कि काफी खूबसूरत हैं। साथ ही इस लेख में आप यह भी जान पाएंगे कि इन जगहों पर कब घूमने जाना चाहिए।

Representational Image । Photo Credit: X/@gemsofbabus__

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: X/@gemsofbabus__

जब हम भारत के प्राकृतिक सौंदर्य की बात करते हैं, तो हमारे ज़हन में आमतौर पर बर्फीली चोटियां, घने जंगल, या समुंदर की लहरें उभरती हैं। लेकिन इन सबके बीच भारत की कुछ ऐसी वादियां भी हैं जहां प्रकृति अपने सबसे रंगीन और कोमल रूप में सामने आती है—फूलों की घाटियां। ये घाटियां केवल पौधों या फूलों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह इतनी जीवंत हैं कि हर साल यहां पर हजारों लाखों पर्यटक जाते हैं।


इन घाटियों की खास बात यह है कि ये न केवल सुंदर हैं, बल्कि पारिस्थितिकी, वनस्पति विज्ञान और संरक्षण की दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। इन स्थानों में कई फूलों की प्रजातियाँ ऐसी हैं जो सिर्फ यहीं पाई जाती हैं और दुनिया में और कहीं नहीं मिलतीं। यही नहीं, इन घाटियों को इनके नेचुरल रूप में रखने के लिए यह भी कोशिश की गई है कि पर्यटन के साथ साथ यह भी सुनिश्चित किया जा सके मानव दखल कम से कम हो।

 

इनमें से कई घाटियां वर्ल्ड हेरिटेड में हैं और अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को पूरा करती हैं। ये हैं—उत्तराखंड की फूलों की घाटी, सिक्किम की युमथांग वैली, महाराष्ट्र का कास पठार, नागालैंड-मणिपुर की ज़ुकू वैली, और श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन। खबरगांव आपको इस लेख में इन्हीं पांच घाटियों के बारे में बताएगा कि इनकी क्या खासियत है और यहां तक कैसे पहुंच सकते हैं।

 

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उत्तराखंड की फूलों की घाटी

हिमालय की गोद में स्थित, उत्तराखंड की फूलों की घाटी दुनिया की सबसे प्रसिद्ध वाइल्ड फ्लावर वैलीज़ में से एक है। यह घाटी समुद्र तल से लगभग 3,658 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और जुलाई से सितंबर तक यहां एक हज़ार से अधिक फूलों की प्रजातियां खिलती हैं। इस घाटी को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था और 2005 में इसे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा मिला। यहां पाए जाने वाले प्रमुख फूलों में ब्रह्म कमल, ब्लू पॉपी, ऑर्किड्स और कोबरा लिली प्रमुख हैं।

 

पर्यटन की दृष्टि से, यह घाटी ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए जानी जाती है। हर साल करीब 60,000 से ज्यादा पर्यटक यहां पहुंचते हैं। यहां आने के लिए पहले ऋषिकेश से जोशीमठ, फिर गोविंदघाट और फिर घांघरिया तक सड़क मार्ग से जाना होता है, उसके बाद लगभग 4 किमी की ट्रेकिंग करनी होती है। पहुंचने में मुश्किल जरूर है, लेकिन अनुभवी ट्रैवलर्स के लिए यह सुखद यात्रा बन जाती है। यहां जाने का सबसे अच्छा समय जुलाई से अगस्त के बीच होता है, जब फूल अपनी पूरी तरह से खिले होते हैं। सर्दियों में यह क्षेत्र बर्फ से ढंक जाता है और बंद हो जाता है।

युमथांग वैली ऑफ फ्लॉवर्स

सिक्किम की युमथांग वैली को पूर्वोत्तर भारत का ‘स्वर्ग’ कहा जाता है। यह घाटी समुद्र तल से लगभग 11,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यहां 24 से अधिक प्रकार के रोडोडेंड्रॉन खिलते हैं। मार्च से जून के बीच यह घाटी फूलों से ढंक जाती है और एक रंगीन कालीन जैसी दिखती है। युमथांग वैली को ‘सिक्किम वैली ऑफ फ्लॉवर्स’ के नाम से भी जाना जाता है।

यह घाटी केवल फूलों के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी शांत वादियों, हॉट स्प्रिंग्स, और याक चरागाहों के लिए भी जानी जाती है। राज्य सरकार ने यहां जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें गाइडेड टूर, लिमिटेड एंट्री और इन्वायर्नमेंट-फ्रेंडली गतिविधियां शामिल हैं।

 

सिक्किम की यह घाटी समुद्र तल से लगभग 11,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यहां रोडोडेंड्रॉन की 24 से अधिक प्रजातियां खिलती हैं। मार्च से जून तक यह घाटी सबसे रंगीन और जीवंत रहती है।

 

यहां हर साल लगभग 1 लाख पर्यटक आते हैं। पहुंचने के लिए गंगटोक से लाचुंग और फिर युमथांग तक सड़क मार्ग है। लाचुंग में रात बिताकर अगली सुबह युमथांग पहुंचा जाता है। रास्ता काफी सुंदर है और पहाड़ी रास्ता होने के बावजूद भी यह काफी सुरक्षित है।

 

यहां जाने का का मौसम अप्रैल से जून तक सबसे उपयुक्त होता है। दिसंबर से फरवरी के बीच यह घाटी बर्फ से ढंक जाती है। विदेशी पर्यटकों को यहां जाने के लिए इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है।

कास पठार

महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित यह पठार समुद्र तल से 1,200 मीटर की ऊंचाई पर है। अगस्त-सितंबर में यहां हजारों प्रजातियों के छोटे-छोटे फूल खिलते हैं। इसे महाराष्ट्र का वैली ऑफ फ्लॉवर्स कहा जाता है।

 

यहां हर साल करीब 1.5 लाख से अधिक पर्यटक आते हैं। पुणे और मुंबई से यहां पहुंचना आसान है — सड़क मार्ग से सतारा तक बस या ट्रेन से पहुंचा जा सकता है और फिर टैक्सी या लोकल बस से कास पठार तक।

 

यहां का सबसे अच्छा समय अगस्त से सितंबर है। सरकार ने यहां हर दिन आने वाले विजिटर्स की संख्या सीमित कर रखी है, जिससे टिकट पहले से बुक करना जरूरी हो जाता है।

ज़ुकू वैली

पूर्वोत्तर भारत की यह घाटी अपेक्षाकृत कम प्रसिद्ध होने के बावजूद जैव विविधता और नैसर्गिक सौंदर्य के मामले में अत्यंत समृद्ध है। नागालैंड और मणिपुर की सीमा पर स्थित ज़ुकू वैली समुद्र तल से लगभग 2,452 मीटर की ऊंचाई पर है। यह घाटी खासतौर पर ज़ुकू लिली के लिए जानी जाती है, जो केवल इसी क्षेत्र में पाई जाती है और जुलाई में खिलती है।

 

पर्यटक यहां कोहिमा से ट्रेकिंग शुरू करते हैं और ज़ुकू घाटी पहुंचते हैं, जहां उन्हें घास के मैदानों पर बिछी रंग-बिरंगे फूलों की चादर मिलती है। यह घाटी अभी पर्यटकों से अधिक भीड़-भाड़ से मुक्त है, लेकिन भविष्य में इसके संरक्षण और स्मार्ट टूरिज्म को लेकर योजनाएं बनाई जा रही हैं।

 

यहां हर साल करीब 20,000 से 30,000 पर्यटक पहुंचते हैं, जिनमें से अधिकतर ट्रेकिंग और एडवेंचर टूरिज्म के शौकीन होते हैं। यहां पहुंचने के लिए कोहिमा से विस्वेमा गांव तक गाड़ी से और फिर करीब 6-8 किमी की ट्रेकिंग करनी होती है।

 

यहां का ट्रेक मध्यम श्रेणी का माना जाता है, इसलिए अच्छे फिटनेस वालों के लिए उपयुक्त है। यहां आने का सबसे अच्छा समय जुलाई से सितंबर है, जब घाटी पूरी तरह फूलों से ढंकी होती है। यहां कैंपिंग की अनुमति है लेकिन पहले से अनुमति लेना जरूरी है।

श्रीनगर ट्यूलिप गार्डन

कश्मीर की खूबसूरत वादियों में स्थित श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है। इसे 2007 में खोला गया था और यह डल झील के किनारे ज़बरवान पहाड़ियों की तलहटी में फैला है। यह एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है और हर साल अप्रैल में ट्यूलिप फेस्टिवल के समय लगभग 3 लाख से अधिक पर्यटक यहां पहुंचते हैं। यहां हर साल अप्रैल में ट्यूलिप फेस्टिवल आयोजित होता है, जिसमें 60 से अधिक वैरायटी के लाखों ट्यूलिप फूल खिलते हैं।

 

देश-विदेश से लाखों पर्यटक यहां आते हैं, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है। इस गार्डन को हर साल नए किस्मों के ट्यूलिप और अन्य फूलों से सजाया जाता है, जिससे यह हर साल एक नया अनुभव देता है।

 

यहां पहुंचना बेहद आसान है—श्रीनगर एयरपोर्ट से टैक्सी या ऑटो द्वारा गार्डन तक 30-40 मिनट में पहुंचा जा सकता है। यहां का आदर्श समय मार्च के अंत से अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक होता है। यह स्थान परिवारों, कपल्स और फोटोग्राफरों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है। कश्मीर की सुंदरता और सुरक्षा व्यवस्था के चलते पिछले कुछ वर्षों में यहां पर्यटकों की संख्या में बड़ा इज़ाफा हुआ है।

 

भारत की ये पांच फूलों की घाटियां टूरिजम के दृष्टिकोण से काफी  महत्त्वपूर्ण हैं।

 

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