केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संसद में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को लेकर दिए बयान के बाद समूचा विपक्ष उनपर तीखे प्रहार कर रहा है। संसद से लेकर सड़कों और सोशल मीडिया पर प्रदर्शन हो रहे हैं और वरिष्ठ मंत्री शाह से माफी मांगने के साथ में उनका इस्तीफा मांगा जा रहा है।
संसद के शीतकालीन सत्र में आंबेडकर पर आए इस बयान के बाद कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन के सभी सासंदों ने संसद परिसर में बाबा साहब आंबेडकर की 'नीली' फोटो और बैनर लिए जय भीम के नारे लगाए। साथ ही संविधान को लेकर डॉक्टर आंबेडकर के योगदान को बताया।
आंबेडकर के साथ क्यों जुड़ा है नीला रंग?
मगर इस बीच एक सवाल उठ रहा है कि आखिर नीला रंग डॉ बीआर आंबेडकर के साथ क्यों जुड़ा है? क्यों हर दलित संगठन और पार्टियों के आंदोलनों में कार्यकर्ता नीले रंग के बैनर और फोटो लिए रहते हैं? आपने देखा होगा कि गांवों के दूर दराज के इलाकों में भी जो डॉक्टर आंबेडकर की मुर्तियां लगी हुई हैं उनका रंग भी नीला होता है।
दरअसल, नीला रंग डॉक्टर भीमराव आंबेडकर से जुड़ा हुआ है। यही वजह है कि जब भी दलिल आंदोलन या प्रदर्शन होते हैं तो उसमें झंडे से लेकर बैनर, बाबा साहब की फोटो का रंग नीला ही होता है।
नीले रंग का आंबेडकर से संबंध
डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को मानने वाले करोड़ों अनुयायियों के लिए नीला रंग आंबेडकरवादी आंदोलन का पर्याय है। आंबेडकर को मानने वाली पार्टियों ने अपने झंडे में नीरे रंग को अपनाकर शामिल कर लिया है। इस तरह से नीला रंग और आंबेडकरवादी आंदोलन एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। आंबेडकर ने जिन पार्टियों की स्थापना की थी या जिनकी स्थापना के लिए पहल की थी, उनके झंडे नीले रंग के थे।
शेड्यूल्ड फेडरेशन ऑफ इंडिया से नीले रंग का रिश्ता
साल 1942 में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन ऑफ इंडिया पार्टी (SCAFE) की स्थापना की थी। पार्टी का चुनाव चिन्ह हाथी था और इसका झंडा नीले रंग का थ। झंडे के बीच में अशोक चक्र स्थित था। इसके बाद 1956 में जब पुरानी पार्टी को खत्म कर रिपब्लिकन पार्टी का गठन किया गया तो इसमें भी इसी नीले रंग के झंडे का इस्तेमाल किया गया।
कहा जाता है कि बाबा साहब का प्रिय कलर नीला ही था। नीला रंग आकाश का कलर है जोकि उसकी व्यापकता को दर्शाता है। बाबा साहब का भी यही विजन था। बाबा साहब की प्रतिमा हमेशा नीले रंग के कोट में दिखती है। उनके एक हाथ में संविधान की किताब और दूसरे हाथ की एक अंगुली उठी दिखती है जोकि आगे बढ़ने का सूचक है।
समता सैनिक दल का नीले रंग से नाता
बता दें कि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने साल 1927 में समता सैनिक दल की स्थापना की थी और साल 1944 में कानपुर में हुए सम्मेलन में पार्टी के गठन पर भीमराव आंबेडकर के सामने एक प्रस्ताव पारित हुआ। संविधान का मसौदा आंबेडकर को भेजा गया और उनकी मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू कर दिया गया। पार्टी के संविधान में समता सैनिक पार्टी के झंडे के बारे में जानकारी दी गई है कि समता सैनिक दल की टोपियां नीले रंग की थीं। बताया जाता है कि इस रंग का डॉक्टर आंबेडकर ने ही दिया था।
इसके साथ ही बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने 3 अक्टूबर 1957 को रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के स्थापना की घोषणा की। उन्होंने पार्टी के संविधान, लक्ष्य, नीतियों और पार्टी के भविष्य का खाका तैयार किया। इसके बाद पार्टी में नीले रंग को बरकरार रखा गया।