इमाम का बेटा कैसे बना भारत का दुश्मन नंबर 1, आसिम मुनीर की पूरी कहानी
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• ISLAMABAD 02 May 2025, (अपडेटेड 02 May 2025, 5:55 PM IST)
भारत और पाकिस्तान के ताजा तनाव के बीच सबसे ज्यादा चर्चा पाकिस्तानी आर्मी के मुखिया आसिम मुनीर की हो रही है। पहलगाम हमले के बाद उनका एक बयान काफी चर्चा में भी है।

पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर, Photo Credit: Asim Munir
सय्यद सरवर मुनीर पंजाब के जालंधर में रहते थे। जब हिंदुस्तान का बंटवारा हुआ तब वह पाकिस्तान चले गए। मुनीर सबसे पहले टोबा टेक सिंह गए। सआदत हसन मंटो की कहानी वाला टोबा टेक सिंह। वही टोबा टेक सिंह जिसके बारे में बिशन सिंह समेत लाहौर के पागलखाने के तमाम पागल पूछते थे कि टोबा टेक सिंह हिंदुस्तान में है या पाकिस्तान में। खैर, सय्यद सर्वर मुनीर टोबा टेक सिंह में ज़्यादा दिन नहीं रुके। यहां से रावलपिंडी के ढेरी हसनाबाद गए। वहां की एक मस्जिद में इमाम बने। अब यहीं उनका घर था। ज़िंदगी आगे बढ़ी। औलादें हुईं। जिन्हें सरवर मुनीर ने इस्लाम से जुड़ी शिक्षा दी, उन्हें मदरसों में पढ़ाया। बच्चों ने भी दीन की तालीम में दिलचस्पी ली। एक बेटा आगे चलकर हाफिज़ हुआ। कुरान कंठस्थ कर ली।
सरवर मुनीर ने एक आम ज़िंदगी जी। शायद ही कभी सोचा होगा कि उनका बेटा न सिर्फ रालवपिंडी के GHQ में बैठेगा, बल्कि सारी रवायतें तोड़ पूरे पाकिस्तान का सबसे ताकतवर शख्स बनेगा। उन्होंने यह भी नहीं सोचा होगा कि उनका बेटा एक ऐसा बयान देगा, जो उस मुल्क पर हमले का ट्रिगर पॉइंट बन जाएगा, जहां से वह आए थे।
हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान के 11वें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल सय्यद आसिम मुनीर अहमद शाह की। आसिम मुनीर ने 16 अप्रैल को ओवरसीज पाकिस्तानियों की कॉन्फ्रेंस में जो कहा, वह कोई नई बात नहीं थी। जनरल जिया उल हक के दौर में आर्मी जॉइन करने वाला शख्स की कश्मीर, हिंदुस्तान या 2 नेशन थ्योरी को लेकर और क्या ही कह देता और कैसे कह देता। यह बयान उन्होंने 2022 में आर्मी चीफ बनने के बाद भी दिए थे। इस बार हंगामा इसलिए हो गया क्योंकि आसिम मुनीर ने जब कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बताया, हिंदुओं और मुसलमानों के बीच ज़हर बोया, उसी के महज 6 दिन बाद कश्मीर में आतंकी हमला हो गया, जहां आतंकवादियों ने आईडी चेक की, फिर गोली मारी। लिहाजा मुनीर के बयान को पहलगाम से जोड़ा जा रहा है और सीमा के दोनों तरफ अनहोनी की आशंका है। यह तय है कि कुछ होगा लेकिन क्या और इसकी कीमत किसे चुकानी होगी, साफ नहीं है।
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आर्मी चीफ तो पाकिस्तान में मुनीर से पहले भी 10 आए लेकिन मुनीर के रहते दोनों देशों के बीच जिस तरह तनाव हुआ, उसके उदाहरण कम ही हैं और मुनीर से सिर्फ हिंदुस्तान ही परेशान नहीं है। पूछिए इमरान खान से कि उनकी बर्बादी में मुनीर का क्या रोल है? पूछिए पाकिस्तानी सेना के उन अफसरों से, जो यह सोचते रह गए कि मुनीर जैसा शख्स जो किसी फौजी बैकग्राउंड वाले परिवार से नहीं आता, वह न सिर्फ लगातार प्रमोट होता रहा, बल्कि ISI चीफ भी बना और फिर आर्मी चीफ बनकर अपवादों की लिस्ट में शामिल हुआ।
आसीम मुनीर आज पाकिस्तान का स्टेट भी हैं और डीप स्टेट भी। आइए यह समझने की कोशिश करें कि आसिम मुनीर हैं क्या चीज़, क्योंकि आप यह जान गए, तो समझ जाएंगे कि मुनीर का अगला कदम क्या और कैसा हो सकता है।
आखिर कौन हैं आसिम मुनीर?
आसिम मुनीर का जन्म 1968 में रावलपिंडी में हुआ। उनके पिता सय्यद सरवर मुनीर ढेरी हसनाबाद की मस्जिद अल कुरेश के इमाम थे, उसके बाद वह लालकुर्ती, रावलपिंडी के FG टेक्निकल हाई स्कूल में स्कूल प्रिन्सिपल रहे थे। आसिम मुनीर की शुरुआती पढ़ाई इस्लामिक रीति रिवाजों के हिसाब से रावलपिंडी के मरकजी मदरसा दारउल तजवीद में हुई। रावलपिंडी में रहने वाले आसिम मुनीर के पड़ोसी बताते हैं कि उनका परिवार हमेशा से धार्मिक प्रवृत्ति का था। शायद यही वजह है कि मुनीर अपने लगभग हर भाषण में कुरान की आयतों को कोट भी किया करते हैं।
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मुनीर ने 25 अप्रैल 1986 को पाकिस्तान आर्मी की फ्रंटीयर फोर्स रेजीमेंट से अपना सफर शुरू किया, अपने करिअर की शुरुआत में वह सऊदी अरब में बतौर लेफ्टिनेंट कर्नल पोस्टेड थे। पाकिस्तान ने लंबे समय तक मिडिल ईस्ट के मुस्लिम देशों को फौज किराए पर दी है। पाकिस्तान की फौज उन देशों के लिए लड़ी भी है। बदले में मिलते हैं दिनार, जिनसे पाकिस्तानी इस्टैबलिशमेंट हथियार खरीदता है। ऐसी ही एक तैनाती में मुनीर सऊदी पहुंचे थे। यहीं उन्हें कुरान पूरी कंठस्थ हुई और वह हाफ़िज़ ए कुरान बने।
अपने करियर में मुनीर की तैनाती पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और सियाचिन में भी रही। यह पाकिस्तान में फौजियों के लिए आम बात है। मुनीर के जीवन में नाटकीयता आई तब, जब इमरान खान से उनका सामना हुआ। इमरान को फौज ही लेकर आई थी। शुरू में सब अच्छा भी चला लेकिन जब इमरान ने अपनी चलानी चाही, वही फौज उनके खिलाफ हो गई। इमरान बनाम फौज पर अगर उपन्यास होता, तो सबसे मसालेदार चैप्टर आसिम मुनीर वाला होता।
जब इमरान खान प्रधानमंत्री बने, तब आसिम मुनीर मिलिटरी इंटेलिजेंस यानी MI के डायरेक्टर जनरल थे। 2018 में उनका प्रमोशन हुआ और अक्टूबर में उन्हें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का डायरेक्टर जनरल बना दिया गया। यहां से मुनीर और पाकिस्तानी डीप स्टेट के बीच संबंधों को औपचारिकता मिली। पाकिस्तानी फॉरेन पॉलिसी फौज तय करती है लेकिन उसके लिए खटकर्म सारे ISI को करने होते हैं। अफगानिस्तान से लेकर जम्मू कश्मीर तक हम आईएसआई के किए धरे को ही देख रहे हैं तो ISI के डीजी का पाकिस्तान में बड़ा रसूख होता है और खौफ भी लेकिन बतौर डीजी आईएसआई मुनीर ज्यादा लंबा सफर तय नहीं कर पाए। महज 8 महीने बाद जून 2019 में आसिम मुनीर को पद से हटा दिया गया। किसी भी आईएसआई चीफ का कार्यकाल इतना कम नहीं रहा है। मुनीर को हटाया क्यों गया?
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इल्जाम लगे उस वक्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे इमरान खान पर। कहा गया कि इमरान के दबाव में कमर बाजवा ने आसिम मुनीर को इसलिए हटा दिया क्योंकि वह इमरान की पत्नी द्वारा किए गए करप्शन की जांच करना चाहते थे। इन आरोपों का जवाब इमरान खान ने 2023 के एक एक्स पोस्ट में दिया था और कहा था कि ये आरोप पूरी तरह गलत हैं। न तो उन्होंने आसिम को हटवाया न ही आसिम ने उन्हें बुशरा बीबी के खिलाफ कोई सबूत दिखाए थे।
आर्मी चीफ कैसे बने आसिम मुनीर?
इसके बाद मुनीर 2021 तक पाकिस्तानी पंजाब के गुजरांवाला में तैनात 30 कोर के क्वार्टमास्टर जनरल रहे,फिर आया नवंबर 2022, पाकिस्तान के 10वें आर्मी चीफ कमर बाजवा 27 नवंबर को रिटायर होने वाले थे। देश को नए आर्मी चीफ की जरूरत थी। पाकिस्तान के पिछले कुछ आर्मी चीफ की तरह बाजवा भी अपनी पोस्ट में इक्स्टेन्शन चाहते थे, मगर उन्हें एक्सटेंशन मिल नहीं रहा था। 23 नवंबर 2022 को पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने बाजवा को एक खत लिखा और नए आर्मी चीफ के लिए नामों का सुझाव देने के लिए कहा। बाजवा ने जो सिफारिशें भेजीं, उनमें आसिम मुनीर का नाम भी था। अब यहां दो बातें हुईं। बाजवा जब पाकिस्तान की 10 कोर के कमांडर थे, तब मुनीर फोर्स कमांडर नॉर्दन एरिया थे। माने मुनीर ने उनके साथ करीब से काम किया था। फिर नवाज़ शरीफ ने लंदन में बैठे-बैठे कह दिया कि आर्मी चीफ बनाते वरिष्ठता के सिद्धांत का पालन होगा। मुनीर तब पाकिस्तान में सबसे सीनियर 3 स्टार जनरल थे। नवाज़ के भाई शाहबाज़ ने इसी तर्क पर 24 नवंबर 2022 को मुनीर का नाम आगे बढ़ाया और राष्ट्रपति के पास फाइल भेजी। आसिम मुनीर के लिए भी रास्ता साफ था, क्योंकि अब उन्हें आईएसआई से बेदखल करने वाले इमरान खान प्रधानमंत्री नहीं थे।
वह लॉन्ग मार्च निकाल रहे थे। बोल तो यही रहे थे कि लाहौर से इस्लामाबाद तक मार्च चुनावों के लिए हो रहा है लेकिन अंदर की बात यह भी थी कि वह सरकार पर मुनीर की जगह किसी और को आर्मी चीफ बनाने पर दबाव डाल रहे थे। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी पीटीआई से थे। माने इमरान की पार्टी। मुनीर के नाम की फाइल उन्हीं के पास आई। वह नियुक्ति को रोक तो नहीं सकते थे क्योंकि उनके दस्तखत महज़ फॉर्मैलिटी थे लेकिन एक पेच था। मुनीर रिटायर होने वाले थे 27 नवंबर 2022 को तो अल्वी को सिर्फ फाइल लेकर बैठे रहना था लेकिन जब इस्टैब्लिशमेंट का मन बन जाए, तो क्या प्रधानमंत्री और क्या राष्ट्रपति। मुनीर के नाम का ऐलान हुआ ही इसलिए था, क्योंकि ऐसा होने से कोई रोक नहीं सकता था। प्रमोशन के साथ ही रिटायरमेंट की तारीख अपने आप बढ़ गई थी और 29 नवंबर को मुनीर ने चार्ज ले लिया।
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अगर सब ठीक रहा, तो वह पाकिस्तान में सबसे लंबे कार्यकाल वाले सैनिक अफसर हो सकते हैं। यहां औपचारिक कार्यकाल की बात हो रही है। खुद जनरल बाजवा 6 साल बाद रिटायर हुए लेकिन उन्होंने एक्सटेंशन लिया था। 2024 में एक कानून बना, जिसके तहत पाकिस्तान के आर्मी चीफ अब 3 के बजाय 5 साल तक पद पर रह सकते हैं। इस कानून ने मुनीर के हाथ मज़बूत किए हैं। वह 2027 के आखिर तक आर्मी चीफ रहेंगे। क्या एक्सटेंशन भी लेंगे, भविष्य बताएगा।
सरकार से बेदखल होने के बाद से इमरान लगातार फौज पर हमलावर रहते थे। उन्होंने आम पाकिस्तानियों के मन में ये बात डाल तो दी थी कि फौज में सबकुछ ठीक तो नहीं चल रहा है। इमरान के हर बयान के साथ फौज की क्रेडिबिलिटी पर चोट पहुंचती थी। तिसपर फौज के मुखिया वही आसिम मुनीर बन गए, जिनसे इमरान का 36 का आंकड़ा था।
इमरान खान की गिरफ्तारी और सेना का ऐक्शन
9 मई 2023 को इमरान खान को करप्शन और सरकारी खजाने की लूट से जुड़े मामलों में गिरफ़्तार कर लिया गया। इमरान खान के गिरफ्तार होने के बाद वह हुआ जो पाकिस्तान के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ था। इमरान खान की गिरफ़्तारी का विरोध करते हुए जनता ने रावलपिंडी में सेना के हेडक्वार्टर पर हमला कर दिया, लूटपाट मच गई, सेना ने भी जवाबी कार्रवाई की थी, जिसमें 10 लोगों की मौत भी हुई थी। लाहौर में तो कोर कमांडर का घर ही लूट लिया गया। जब ये सब हो रहा था आर्मी चीफ आसिम मुनीर ही थे। मुनीर ने देख लिया कि जनता के बीच इमरान खान का कद उनसे बड़ा है तो उन्होंने इमरान को ठिकाने लगाने पर और ध्यान देना शुरू किया।
9 मई के दंगों के बाद मुनीर पर एक इल्जाम अमेरिकी डिप्लोमेट ज़लमे खलीलजाद ने लगाया था। उनका कहना था कि जब वह सिलाकोट कैंट गए थे जहां दंगों के दौरान कई बिल्डिंग पर हमला किया गया था, वहां मुनीर सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को धमका रहे थे। खलीलजाद के अनुसार, मुनीर कह रहे थे कि अगर किसी के भी घरवाले दंगे में शामिल थे तो वह उन्हें छोड़ेंगे नहीं। दंगे आम लोगों ने किए थे और इनपर कार्रवाई पाकिस्तान की पुलिस को करनी थी लेकिन मामला चला सैनिक अदालतों में, जिसे लेकर दबे सुर में ही सही, फौज की आलोचना हुई।
मुनीर और इमरान के बीच का टसल आज भी जारी है, 17 अप्रैल 2024, पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने जेल में थे। बुशरा बीबी की हाल ही में गिरफ्तारी हुई थी। जेल से इमरान ने बयान दिया, 'अगर मेरी पत्नी को कुछ हुआ तो मैं आसिम मुनीर को छोड़ूंगा नहीं।'
एक तरफ मुनीर इमरान से निपटने में लगे थे, दूसरी तरफ पाकिस्तानी सेना बलोचिस्तान में लगातार नुकसान उठा रही थी। बलोच विद्रोही, पाकिस्तानी सेना को दुरूह पहाड़ी रास्तों पर घात लगाकर मारने लगे। इन हमलों के वीडियो भी बनाए जाते और फिर उन्हें वायरल किया जाता। अपने से पहले हुए 10 आर्मी चीफ्स की तरह मुनीर इसका कोई हल निकाल नहीं पा रहे हैं। फिर भी वह दूसरे आर्मी चीफ्स से अलग हैं। क्यों, अब ये समझते हैं।
सबसे पहली बात है बैकग्राउंड। मुनीर से पहले पाकिस्तान में जितने भी आर्मी चीफ हुए, वे इलीट परिवारों से आते थे। उनके परिवार के लोग या तो मिलिट्री में ही थे या ब्यूरोक्रेसी में। आसिम मुनीर एक मध्यमवर्गीय पाकिस्तानी परिवार में पले बढ़े। पिता स्कूल में पढ़ाते थे, उससे पहले इमाम थे। ऐसे घरों के बच्चे पाकिस्तानी सेना में तो खूब जाते हैं लेकिन इतना ऊंचा कोई नहीं उठा, जितना आसिम मुनीर।
मुनीर की ट्रेनिंग ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल (OTS) मंगला में हुई, न कि एबटाबाद की पाकिस्तान मिलिट्री एकेडमी PMA में। ओटीएस को खोला गया था अफसरों की कमी से निपटने के लिए क्योंकि PMA से अफसरों की जो खेप आ रही थी, वह पाकिस्तान को पूरी नहीं पड़ रही थी। जब अफसरों की संख्या पटरी पर आ गई तो ओटीएस को बंद भी कर दिया गया। ज़ाहिर है, सेना के भीतर PMA से आने वालों का रुतबा OTS से आने वाले अफसरों से अलग है। मुनीर के आने से पहले, पाकिस्तान के 10 में से 8 आर्मी चीफ पीएमए से थे लेकिन मुनीर ने OTS में ही सोच लिया था कि उन्हें थोड़े में संतोष नहीं करना है। कोर्स पूरा हुआ, तो उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर मिली। माने वह अपने कोर्स में अव्वल आए थे।
सेना में भी हावी रहे हैं सुन्नी
अपवादों की एक और लिस्ट है, जिसमें आसिम मुनीर का नाम शामिल है। पाकिस्तान सुन्नी बहुल देश है। सारे बड़े पदों पर आपको सुन्नी ही देखने को मिलेंगे। आसिम मुनीर से पहले के 10 में से आठ आर्मी चीफ सुन्नी थे। मोहम्मद मूसा और याहया खान के बाद आसिम मुनीर आर्मी चीफ बनने वाले महज तीसरे शिया मुसलमान हैं। मुनीर सुन्नी न होने की कमी को वैसे अपने बयानों से पूरा करते रहते हैं। 2023 में पेशावर में दिए एक बयान में उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की सेना शहीदों की सेना है जिसका मोटो है - ईमान, तकवा और जिहाद फी सबीलिल्लाह, तकवा यानी संयम और जिहाद फी सबीलिल्लाह का मतलब अल्लाह की राह में जिहाद करना।
पाकिस्तान के बनने के बारे में मुनीर ने जो बयान 16 अप्रैल को दिया वह 2023 में पेशावर में भी दिया था। यह ऐसी बात थी जिससे शायद तमाम इस्लामिक स्कॉलर्स खफा होंगे। उन्होंने कहा था कि अब तक सिर्फ दो जगहें ऐसी हैं जो कलमे की बुनियाद पर बनी हैं। पहला तो मदीना जिसे पैगंबर मुहम्मद ने खुद बसाया था और दूसरा पाकिस्तान है।
मुनीर जब 2022 में आर्मी चीफ बने थे तब पाकिस्तान की जनता और मिलिट्री दोनों ही संकट के दौर से गुजर रहे थे। यह संकट सिर्फ आर्थिक या दुश्मन सैनिकों का नहीं था बल्कि अपनी सेना के अंदर का भी था जो कि अभी भी बना हुआ है। यह संकट है पाकिस्तान की सेना के लोगों का आतंकी संगठनों से लगाव। ऐसा एक बार नहीं कई बार देखा गया है। 2011 में ब्रिगेडियर अली खान को एक आतंकी संगठन के साथ मिलकर बगावत की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
2009 के आतंकी हमले में एक स्पेशल फोर्सेस के एक अफसर मुहम्मद इलयास कश्मीरी का हाथ था। लिहाजा आसिम मुनीर को अपनी सेना के अंदर मौजूद बागियों से भी सावधान रहना था।
पहलगाम में हुए हमले के पीछे भी पाकिस्तानी इस्टैबलिशमेंट की यही चिंता है कि कैसे फौज के टूटते इकबाल को फिर बुलंद किया जाए। बलोचिस्तान में लगातार पाकिस्तानी फौजी मारे जा रहे हैं। हाल में पूरी ट्रेन ही अगवा कर ली गई। फिर चोलिस्तान में जो सिंचाई योजनाएं लाई जा रही हैं, उनके लिए उस पानी को डायवर्ट किया जाना है, जो पंजाब और सिंध को मिलता है। तो सेना के इस प्रॉजेक्ट को लेकर भी लोग खफा हैं। तो मुनीर ने वही किया, जो उनसे पहले के आर्मी चीफ करते आए हैं, पाकिस्तान पर भारत के हमले का डर पैदा किया। कैसे, भारत में आतंकवादी हमला करवाकर। आज पाकिस्तान में फौज की सिबिल रेटिंग इसीलिए ऊपर है, क्योंकि एक माहौल तैयार हुआ है। कि भारत कुछ करने वाला है, जिससे निपटने के लिए फौज की ज़रूरत पड़ेगी।
मुनीर की पर्सनैलिटी के दूसरे पहलू
अब मुनीर की पर्सनैलिटी के दूसरे पहलुओं पर चलते हैं। पाकिस्तान के किसी भी आर्मी चीफ पर जब बात होगी तो करप्शन, नेपटिज़म जैसे शब्द भी जरूर सामने आएंगे। मुनीर पर आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने सरकारी संस्थानों में अपने उन रिश्तेदारों की नियुक्ति करवाई जो उस नौकरी के काबिल नहीं थे और इन रिश्तेदारों के कार्यकाल में संस्थानों में भ्रष्टाचार की खबरें भी सामने आईं।
फैक्ट फोकस पाकिस्तान के खोजी पत्रकारों का नेटवर्क है, उसने आसिम मुनीर पर लगे आरोपों पर विस्तृत रिपोर्ट छापी है। इस रिपोर्ट में सबसे पहला नाम है आसिम मुनीर के मामा सय्यद बाबर अली शाह का। सय्यद बाबर अली शाह को इस्लामाबाद का अघोषित राजा बताते हुए फैक्स फोकस ने लिखा कि आसिम मुनीर के आर्मी चीफ बनने के बाद शाह सरकारी संस्थानों में नियुक्ति, प्रमोशन, अवार्ड्स जैसी कई गतिविधियों में सीधे तौर पर शामिल होने लगे थे। शाह ने ही इशक अली जहांगीर नाम के शख्स को फेडरल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसीयानी FIA का डायरेक्टर जनरल बनवाया था। इशक अली जहांगीर के कार्यकाल में FIA पर करप्शन के कई आरोप लगे और जहांगीर को जनवरी 2025 में बर्खास्त कर दिया गया था।
एक और रोचक केस मुनीर की कज़न सय्यदा हाजरा सोहेल का है। हाजरा सोहेल पाकिस्तान एजुकेशन एंडोमेंट फंड (PEEF) में स्कॉलरशिप मैनेजर के एक मामूली से पद पर थीं, आज वह उसी कंपनी की CEO हैं। आरोप ये हैं कि स्कालरशिप मैनेजर से CEO बनने के सफर में उनकी मदद न सिर्फ रावलपिंडी के जनरल हेडक्वार्टर से हुई बल्कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इसमें पूरी मदद की। सब कुछ हुआ आसिम मुनीर की सिफारिश पर।
इन्हीं में से एक नाम आता है मोहसिन नकवी का जो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष हैं, उनकी एक पहचान और है। वह आसिम मुनीर की पत्नी इरम आसिम के करीबी रिश्तेदार भी हैं। आसिम मुनीर पर आरोप यह भी है कि आर्मी चीफ बनने के महज 55 दिन बाद उन्होंने मोहसिन नकवी को पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत पंजाब का चीफ इग्ज़ेक्यटिव बना दिया, या बनवा दिया। वहां से आगे बढ़ते हुए मोहसिन नकवी 2024 में पीसीबी के चैयरमैन बने और 2024 में ही पाकिस्तान के इंटरनल मिनिस्टर बन गए, इन दोनों पदों पर वह आज भी बने हुए हैं।
आसिम मुनीर और भारत
मुनीर ने अपने करीयर के कुछ साल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भी बिताए हैं। वह वन स्ट्राइक कोर मंगला के चीफ ऑफ स्टाफ थे। 2019 में फरवरी का महीना था जब 14 तारीख को पुलवामा में हुए एक हमले में 40 सीआरपीएफ सिपाही शहीद हुए थे। इसी के जवाब में बालाकोट में भारत ने एयरस्ट्राइक की थी। इसी के बाद भारत पाकिस्तान की सेनाओं के बीच सरहद पर गोलीबारी का दौर शुरू हुआ था और इसी दौरान विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान ने हिरासत में ले लिया था। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान पाकिस्तान की सबसे बड़ी इंटेलिजेंस एजेंसी के शीर्ष पद पर आसिम मुनीर ही थे। तो पुलवामा को लेकर भी उनपर उंगली उठी थी। अब पहलगाम को लेकर उठ रही है।
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