सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड: क्या एक चुगली की वजह से हुआ था मर्डर?
विशेष
• NOIDA 30 May 2025, (अपडेटेड 30 May 2025, 6:54 PM IST)
सिद्धू मूसेवाला की हत्या हुए अब तीन साल हो चुके हैं। मामला कोर्ट में चल रहा है और सिद्धू के परिवार को इंतजार है कि हत्यारों का सजा होगी।

सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड, Photo Credit: Khabargaon
तारीख़ 10 अक्टूबर 2020, रात के क़रीब 12 बजकर 25 मिनट, जगह चंडीगढ़ का इंडस्ट्रियल एरिया फ़ेज़ 1, सफ़ेद रंग की एक फॉर्चूनर कार सेंट्रा मॉल की पार्किंग से निकलती है और कुछ ही दूरी पर स्थित सिटी एमपोरियम मॉल की तरफ़ बढ़ती है। इस कार में एक 26 साल का शख़्स मौजूद था। जैसे ही यह कार सिटी एंपोरियम के पास पहुंचती है तभी अचानक एक मोटरसाइकिल इस कार के पास आकर रुकती है जिस पर तीन लोग सवार थे। इनमें से दो लड़के पिस्टल के साथ नीचे उतरते हैं और गाड़ी में सवार शख़्स पर गोलियां चलानी शुरू कर देते हैं। इस दौरान 9 गोलियां चलाई जाती हैं जिनमें से कार में बैठे शख़्स को तीन गोलियां लगती हैं। पहली सिर पर, दूसरी हाथ पर और तीसरी कंधे पर। जिससे उस शख़्स की मौक़े पर ही मौत हो जाती है लेकिन यह कोई आम कत्ल नहीं था। इस एक कत्ल की वजह से पूरे पंजाब में कत्लेआम का एक दौर शुरू होने वाला था। जिसका एक निशाना कहीं न कहीं पंजाब का मशहूर सिंगर सिद्धू मूसेवाला भी बनने वाला था। सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद उसके कत्ल के मास्टरमाइंड गोल्डी बराड़ का एक पोस्ट आता है। जिसमें विक्की मिद्धूखेड़ा के साथ-साथ एक और नाम शामिल था जिसकी मौत का बदला सिद्धू की हत्या से लेने के बात कही गई थी, वह नाम था गुरलाल बराड़ का, जिसके कत्ल की कहानी हमने अभी आपको सुनाई।
गुरलाल बराड़ को उसकी ही फॉर्चूनर कार में गोलियों से भून दिया गया जिसकी हत्या की ज़िम्मेदारी ली थी बंबीहा गैंग ने। सवाल यह उठता है कि गुरलाल बराड़ आख़िर था कौन? कैसे उसकी हत्या के तार सिद्धू मूसेवाला की हत्या से जुड़ते हैं? और बंबीहा गैंग और लॉरेंस बिश्नोई गैंग की आख़िर क्या दुश्मनी थी जिसकी वजह से बंबीहा गैंग ने गुरलाल बराड़ की हत्या की ज़िम्मेदारी ली? कैसे स्टूडेंट पॉलिटिक्स से निकले ये दोनों गैंग्स आज एक दूसरे के खून की प्यासे हैं? सिद्धू मूसेवाला की बहन अफ़साना खान को लेकर गोल्डी बराड़ ने क्या खुलासे किए? साथ ही बात होगी परमीश वर्मा गोलीकांड के एक आरोपी की जिसके तार सिद्धू मूसेवाला से जोड़े गए…अंत में बात होगी सिद्धू मूसेवाला की हत्या करने वाले हत्यारे के बयान की कैसे मूसेवाला की हत्या को प्लान किया गया और कैसे 27 मई को भी हो सकती थी मूसेवाला की हत्या? 29 मई 2025 को सिद्दू मूसेवाला को इस दुनिया से गए 3 साल हो गए ऐसे में हम उस हर पहलू को टटोलने की कोशिश करेंगे जिसके तार इस हत्याकांड से जुड़ते हैं।
एक कत्ल और गैंगवॉर में फंस गया मूसेवाला
सबसे पहले बात गुरलाल बराड़ हत्याकांड की। गुरलाल बराड़ स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी (SOPU) से जुड़ा एक स्टूडेंट लीडर था और लॉरेंस बिश्नोई गैंग का मेंबर था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरलाल बराड़ गैंबलिंग के एक रैकेट के साथ भी जुड़ा हुआ था और हत्या से कुछ वक़्त पहले ही सेंट्रा मॉल में स्थित पारा क्लब के बाहर एक महिला को थप्पड़ मारने के लिए भी उस पर एक केस दर्ज हुआ था। यह वही पारा क्लब है जिससे उस रात गुरलाल बराड़ अपने दोस्त का बर्थडे सेलिब्रेट करके निकला था। यानी कुल मिलाकर बात इतनी है कि इस छोटी सी उम्र में ही गुरलाल बराड़ एक गैंग के साथ मिलकर गैंगस्टर बन चुका था लेकिन गुरलाल का परिचय बस इतना ही नहीं है। गुरलाल बराड़ असल में गोल्डी बराड़ का चचेरा भाई भी था। वही गोल्डी बराड़ जिसने लॉरेंस गैंग के साथ मिलकर सिद्धू मूसेवाला की हत्या करवाई।
अब सवाल यह है कि गुरलाल बराड़ के कत्लकांड में सिद्धू मूसेवाला का नाम कैसे आया। इसका जवाब मिलता है गोल्डी बराड़ द्वारा इंडिया टुडे के पत्रकार अरविंद ओझा को दिए एक इंटरव्यू में, इस बातचीत के दौरान गोल्डी बराड़ ने अपने भाई गुरलाल बराड़ की हत्या को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया था। गोल्डी ने पंजाबी म्यूज़िक इंडस्ट्री की एक फ़ेमस सिंगर अफ़साना खान का नाम लेकर एक वाक़या सुनाया। गोल्डी का दावा है कि उसके भाई गुरलाल बराड़ ने एक म्यूज़िक कंपनी खोली थी जिसका गाना अफ़साना खान से गंवाया गया था। जिसके बाद अफ़साना की गुरलाल से मुलाक़ात हुई तो दोनों में सिद्धू मूसेवाला को लेकर बातचीत हुई। बक़ौल गोल्डी उस वक़्त गुरलाल बराड़ की गलती यह थी कि उसने अफसाना खान के सामने सिद्धू मूसेवाला को बुरा भला कहा। यहां आपका यह जानना ज़रूरी है कि सिद्धू मूसेवाला अफ़साना खान को अपनी बहन की तरह मानता था और वह काफ़ी अच्छे दोस्त थे।
खैर गोल्डी बराड़ आगे बताता है कि गुरलाल ने जो भी कहा- अफ़साना ने सिद्धू मूसेवाला को जाकर बता दिया। गोल्डी बराड़ इंडिया टुडे को दिए इस इंटरव्यू में दावा करता है कि इसके बाद मनदीप सिंह धालीवाल नाम का एक शख़्स गुरलाल बराड़ को फ़ोन करता है, उससे पूछता है कि उसने सिद्धू मूसेवाला के ख़िलाफ़ क्या कहा। गुरलाल बराड़ इसे लेकर सफ़ाई देता है लेकिन मनदीप धालीवाल उसे मारने की धमकी देता है। गोल्डी बराड़ आगे यह भी दावा करता है कि सिद्धू ने ही मंदीप धालीवाल को कहा था जिसके बाद धालीवाल ने फ़ोन कॉल पर धमकी दी। गोल्डी बराड़ के मुताबिक़ नवी खेमकरण जो 2017 में पंजाब यूनिवर्सिटी से PUSU के बैनर तले प्रेसिडेंट का चुनाव लड़ता है। उसके फ़ोन पर कॉल आया था, गुरलाल को मारने की धमकी दी गई थी। बक़ौल गोल्डी इसके 10 दिन बाद ही गुरलाल बराड़ की हत्या हो जाती है। हालांकि, इन दावों में कितनी सच्चाई है यह फ़िलहाल जांच का विषय है और अफ़साना खान भी ऐसे एलिगेशंस को नकार चुकी हैं लेकिन इस पूरे बयान के बाद एक नाम जिसके बारे में जानना ज़रूरी हो जाता है वह है मनदीप सिंह धालीवाल।
सियासत की नर्सरी में गैंगवॉर का ककहरा
मनदीप सिंह धालीवाल पंजाब यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट ऑर्गेनाइज़ेशन PUSU का एक ऐक्टिव लीडर था। बंबीहा गैंग चलाने वाले गैंगस्टर लक्की पटियाल का मनदीप सिंह धालीवाल के साथ काफ़ी गहरा रिश्ता था। हालांकि, उस वक़्त ये दोनों ही गैंगस्टर नहीं बल्कि पंजाब यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट थे और स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स में ऐक्टिव थे। यह उस दौर की बात है जब पंजाब यूनिवर्सिटी में दो स्टूडेंट ऑर्गेनाइज़ेशन काफी अहम मानी जाती थीं, जिनमें एक तरफ़ थी PUSU यानी Panjab University Students' Union और दूसरी तरफ़ थी SOPU यानी Student Organisation of Panjab University, SOPU के लीडर्स की बात करें तो उनमें विक्की मिद्दूखेड़ा और लॉरेंस बिश्नोई SOPU के एक्टिव मेंबर्स हुआ करते थे। हालांकि, उस वक़्त एक और स्टूडेंट ऑर्गेनाइज़ेशन पंजाब यूनिवर्सिटी में धीरे-धीरे अपनी जगह बना रही होती है जिसका नाम था SOI यानी Student Organisation of India। SOI की स्थापना 2009 में हुई थी और यह अकाली दल द्वारा बैक की जाने वाली स्टूडेंट ऑर्गेनाइज़ेशन थी।
पंजाब में 2007 से लेकर 2017 तक अकाली दल की सरकार रही और 2015 से पहले अकाली दल ने PUSU और SOPU के जो तगड़े स्टूडेंट लीडर्स थे, उन्हें SOI में शामिल करवाना शुरू कर दिया। इसी दौरान PUSU से लक्की पटियाल और मनदीप धालीवाल SOI में शामिल हुए तो SOPU से विक्की मुद्धूखेड़ा जैसे लीडर्स ने SOI का दामन थाम लिया जिसके बाद साल 2015 में पहली बार SOI ने पंजाब यूनिवर्सिटी के इलेक्शन जीते। इस जीत में विक्रम सिंह मजीठिया की भूमिका अहम मानी जाती है। हालांकि, इस जीत के बाद लक्की पटियाल और विक्की मुद्दूखेड़ा में दूरियां बढ़ने लगीं क्योंकि विक्की मिद्दूखेड़ा अकाली दल की लीडरशिप के काफ़ी क़रीब आ गए थे। पंजाबी जर्नलिस्ट रितेश लखी की रिपोर्ट के मुताबिक़, विक्की मिद्धूखेड़ा तो आगे चलकर अकाली दल की लीडरशिप के साथ ख़ुद को मुख्यधारा की राजनीति में ले आते हैं लेकिन लक्की पटियाल और मनदीप धालीवाल अपराध की दुनिया में चले जाते हैं। उस दौरान लक्की पटियाल गिरफ्तार हुआ लेकिन जब वह बेल पर बाहर आया तो दुबई फ़रार हो गया।
2016-17 का ही वह वक़्त था जब पंजाबी गायकों से फिरौतियां मांगने का दौर शुरू हुआ, जिसमें बंबीहा गैंग की मुख्य भूमिका थी। इस गैंग में सुखप्रीत बुड्ढा, दिलप्री बाबा, हरविंदर रिंदा और लक्की पटियाल जैसे अपराधी शामिल थे। परमीश वर्मा का केस तो आपको याद ही होगा जब उनसे फिरौती मांगी जाती है लेकिन जब वह फिरौती देने से मना कर देते हैं तो उनपर गोली चलाई जाती है। जिसमें उनकी जान बाल-बाल बच गई थी। पंजाबी जर्नलिस्ट रितेश लखी के मुताबिक़, इस गोलीकांड में दिलप्रीत और लक्की पटियाल शामिल थे। परमीश वर्मा का ही वह केस था जिसमें मनदीप सिंह धालीवाल को भी नामज़द किया जाता है। जिसके बाद मनदीप सिंह धालीवाल फ़रार हो जाता है और वह भी दुबई पहुंच जाता है।
दूसरी तरफ़ दुबई से लक्की पटियाल और सुखप्रीत बुड्ढा अरमेनिया फ़रार हो जाते है लेकिन वहां ये दोनों पकड़े जाते हैं। भारतीय एजेंसियां सुखप्रीत बुड्ढा को तो भारत डिपोर्ट करवा लेती हैं लेकिन लक्की पटियाल हाथ नहीं आता है। आज भी ऐसा माना जाता है कि लक्की पटियाल अरमेनिया से ही अपनी गैंग चला रहा है। दूसरी तरफ़ जब यह सब चल रहा था तब दबई में बैठा मनदीप सिंह धालीवाल अपना धंधा चला रहा होता है। इसी दौरान मनदीप सिंह और गैंग यूट्यूब पर एक 'ठग लाइफ' नाम का चैनल बनाते हैं। इस पर म्यूज़क अपलोड होना शुरू होता है। इसी दौरान एक गाना सिद्धू मूसेवाला भी इनके लिए गाता है। यह एक ऐसा लिंक है जो सिद्धू मूसेवाला को मनदीप सिंह धालीवाल के साथ जोड़ता है और यह लिंक सिर्फ़ इतना ही नहीं है।
2021 में सिद्धू मूसेवाला कांग्रेस ज्वाइन कर लेता है और इसके बाद एक घटना और होती है। ख़बर आती है कि पंजाब पुलिस ने मनदीप सिंह धालीवाल को गिरफ्तार कर लिया है। द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, मनदीप सिंह पंजाब लौट आया था और वह 'ठग लाइफ' और 'गोल्ड मीडिया' जैसे म्यूज़िक लेबल के लिए काम कर रहा था। इन दोनों लेबल्स में बंबीहा गैंग के गैंगस्टर्स का पैसा लगा था। खैर मनदीप सिंह पर परमीश वर्मा गोली कांड को लेकर केस चलता है और पुलिस का कहना था कि उसने गोली चलाने वाले शूटर्स की मदद की थी। हालांकि, रितेश लखी के मुताबिक़ गोल्डी बराड़ का यह कहना था कि सिद्धू मूसेवाला ने ही पंजाब के कांग्रेस लीडर्स के साथ मिलकर मनदीप सिंह धालीवाल का सरंडर करवाया था। इसमें पंजाब कांग्रेस के कुछ नेताओं का भी नाम आता है तो कुल मिलाकर बात इतनी है कि पर्दे के पीछे कुछ और भी चल रहा था जिसे लेकर अब भी जांच जारी है।
“बोले नी बंबीहा बोले”
अब लगे हाथ लॉरेंस गैंग और बंबीहा गैंग के इतिहास पर भी एक नज़र मार लेते हैं। इस कहानी की शुरुआत होती है, साल 2010 से, जब चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज की स्टूडेंट पॉलिटिक्स में लॉरेंस बिश्नोई की एंट्री होती है। 2011 में बिश्नोई DAV कॉलेज से SOPU की तरफ़ से कॉलेज प्रेसिडेंट चुना जाता है। जिसके बाद बिश्नोई के स्पोर्ट्स और उसके राइवल्स में झगड़े आम हो जाते हैं। इन झगड़ों से निपटने के लिए लॉरेंस बिश्नोई, जग्गू भगवानपुरिया और रॉकी फाज़िलका जैसे गैंग्सटर्स की मदद लेता है। यही वह वक़्त था जब पंजाब यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट पॉलिटिक्स में गैंगस्टर्स की एंट्री होती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, 2010 से 2017 के बीच लॉरेंस बिश्नोई पर पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में तीन दर्जन के क़रीब क्रिमिनल केस चल रहे थे। इसी दौरान लॉरेंस के साथ पिक्चर में एंट्री होती है संपत नेहरा की। संपत नेहरा चंडीगढ़ के श्री गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज (SGGSC)-26 का स्टूडेंट था और उसकी मुलाक़ात लॉरेंस से साल 2012 में हुई। उस वक़्त संपत नेहरा पर भी दो केस चल रहे थे। लॉरेंस बिश्नोई के बाद SOPU का प्रेसिडेंट संपत नेहरा को बनाया गया और यही संपत नेहरा आगे चलकर लॉरेंस बिश्नोई का सबसे ख़ास बन गया और हर जुर्म में लॉरेंस बिश्नोई के साथ खड़ा दिखा। दूसरी तरफ़ बंबीहा गैंग था जो बिश्नोई गैंग की तरह ही पंजाब में ऐक्टिव था। इस गैंग को शुरू करने वाला दविंदर बंबीहा नाम का एक गैंगस्टर था कभी कबड्डी प्लेयर हुआ करता था लेकिन दविंदर बंबीहा को सितंबर 2016 में ही पुलिस ने एंकाउंटर में मार गिराया था। जिसके बाद सुखप्रीत बुड्ढा, दिलप्रीत बाबा, हरविंदर रिंदा और लक्की पटियाल जैसे गैंगस्टर्स ने बंबीहा गैंग को आगे बढ़ाया। कुल मिलाकर बात इतनी है कि यह वह दौर था जब लॉरेंस बिश्नोई गैंग और बंबीहा गैंग में वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। फिर 15 जुलाई 2017 को पंजाब के फ़रीदकोट डिस्ट्रिक्ट में पड़ते कोटकपूरा शहर में लवी दियोरा नाम के एक गैंग्सटर का कत्ल कर दिया गया इस कत्ल में लॉरेंस गैंग शामिल था जिसके बाद लॉरेंस गैंग और बंबीहा गैंग के बीच गैंगवॉर शुरू हो गई।
रिपोर्ट्स के मुताबिक़, गुरलाल बराड़ को इसी राइवलरी के तहत मारा गया। खैर गुरलाल बराड़ की हत्या के बाद फ़रीदकोट के डिस्ट्रिक्ट यूथ कांग्रेस चीफ़ गुरलाल पहलवान की फ़रवरी 2021 में गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिसकी ज़िम्मेदारी लॉरेंस गैंग ने ली। इसके बाद 7 अगस्त को लॉरेंस के ख़ास और यूथ अकाली दल लीडर विक्की मिद्दूखेड़ा गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिसके पीछे बंबीहा गैंग का हाथ बताया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक़, लॉरेंस बिश्नोई विक्की मिद्दूखेड़ा को अपने भाई की तरह मानता था। यह वह कत्लकांड था जिसने सिद्धू मूसेवाला को इस पूरी गैंगवॉर के बीच एक बार फिर से लाकर खड़ा कर दिया था। असल में सिद्धू मूसेवाला के मैनेजर शगनप्रीत पर इस हत्या में शामिल होने का इल्ज़ाम लगा। दावा किया गया कि जिन शूटर्स ने विक्की मिद्दूखेड़ा को गोली मारी उनके रहने का इंतज़ाम शगनप्रीत ने ही किया था। गोल्डी बराड़ अपने दिए इंटरव्यूज़ में इस बात की ओर भी इशारा करता है कि शगनप्रीत को दुबई भगाने में सिद्धू मूसेवाला ने मदद की थी। हालांकि, दूसरी तरफ़ मीडिया रिपोर्ट्स का यह भी दावा है कि शगनप्रीत सिर्फ़ सिद्धू मूसेवाला का ही मैनेजर नहीं था, वह इंडस्ट्री के और गायकों के शोज़ भी अरेंज करता था। अब सच्चाई क्या है वह तो जांच में ही सामने आ सकती है।
वहीं, दूसरी तरफ सिद्धू मूसेवाला के एक गाने को भी वजह बताया जाता है जिस वजह से वह इस गैंगवॉर का शिकार हो गए। असल में गुरलाल बराड़ की हत्या से 4 महीने पहले सिद्धू मूसेलाला ने जून 2020 को एक गाना गया था “बोले नी बंबीहा बोले”। कुछ जानकारों का मानना था कि इस गाने के ज़रिए सिद्धू मूसेवाला ने बंबीहा गैंग की सराहना की जिससे वह लॉरेंस गैंग और गोल्डी बराड़ की आंख में चुभने लगे थे। एक बात और जिस मंदीप सिंह धालीवाल की बात हमने वीडियो में पहले कही थी उसकी गिरफ़्तारी भी विक्की मिद्दूखेड़ा की हत्या के महज़ 11 दिन बाद हुई थी। ऐसे में यह भी एक वजह हो सकती है कि विक्की मिद्दूखेड़ा और गुरलाल बराड़ की हत्या के साथ उसके क़ातिलों ने सिद्धू को भी जोड़ दिया।
“29 मई बड़ी मनहूस-सी”
इन सब घटनाओं के बाद आख़िरकार 2022 के मई महीने की 29 तारीख़ भी आ गई, जब सिद्धु मूसेवाला को गोल्डी बराड़ द्वारा सुपारी पर भेजे गए क़ातिलों ने अपना निशाना बनाया और बड़ी बेरहमी से जवाहरके गांव में सरेआम उनकी गाड़ी को घेरकर उनकी हत्या कर दी। सिद्धू की हत्या कैसे हुई यह कहानी सबको पता है लेकिन ये बहुत कम लोग जानते होंगे कि सिद्धू मूसेवाला की हत्या 27 तारीख़ को भी हो सकती थी जिसका खुलासा उनके ही कातिल प्रियव्रत फ़ौजी ने पकड़े जाने के बाद किया था।
सिद्ध मूसेवाला की हत्या के तीन हफ़्ते बाद गुजरात के कच्छ से तीन आरोपियों को पकड़ा गया। इन तीन आरोपियों में दो मेन शूटर्स थे जिन्होंने मूसेवाला पर गोलियां चलाईं थीं। इन आरोपियों से पुलिस के भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद हुआ था लेकिन इनसे जो जानकारी निकलकर सामने आई थी उससे सिद्धू की हत्या का पूरा प्लॉट समझ आता है।
इस हत्याकांड में पुलिस के हाथ जो आरोपी लगे थे, उनमें से एक था प्रियव्रत फ़ौजी, दूसरा था कशिश और तीसरा था केशव कुमार। इन लोगों के पास से मिले हथियारों में अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर के साथ हाई एक्सप्लोसिव ग्रेनेड मिले थे। ये ग्रेनेड लॉन्चर्स AK47 पर भी लगाए जा सकते हैं। इसके साथ ही 9 इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर्स, एक असॉल्ट राइफ़ल और तीन पिस्टल बरामद हुए थे। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, स्पेशल सेल के सोर्सेज़ का कहना था कि यह हथियार विदेश में ही बने थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक़, जब पुलिस ने मूसेवाला के हत्यारों में से एक प्रियव्रत फ़ौजी से पूछताछ की तो उससे जो जानकारी निकलकर सामने आई वह काफ़ी चौंकाने वाली थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक़, प्रियव्रत फ़ौजी ने बताया कि मूसेवाला की हत्या में जो हथियार इस्तेमाल किए गए उसका कंसाइनमेंट पाकिस्तान से भेजा गया था। इस कंसाइनमेंट को ड्रोन के ज़रिए सरहद पार करवाया गया था और इस कंसाइमेंट में अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर और डेटोनेटर्स इसलिए दिए गए थे कि अगर सिद्धू मूसेवाला गलियों से बच जाता है तो वह ग्रेनेड्स का इस्तेमाल कर सके, यानी किसी भी सूरत में सिद्धू मूसेवाला बचना नहीं चाहिए था।
इसके अलावा प्रियव्रत फ़ौजी ने यह भी बताया कि सिद्धू मूसेवाला की हत्या की सुपारी उसे कैसे मिली? फ़ौजी ने बताया कि सोनीपत में उस पर एक हत्या का मामला चल रहा था, जिसके चलते वह बचने के लिए पहले ही छिपता-छिपाता घूम रहा था। इसी दौरान उसके एक करीबी मोनू डागर ने उससे संपर्क किया जिसकी बात पहले ही कनाडा में बैठे गैंगस्टर गोल्डी बराड़ से चल रही थी। असल में गोल्डी बराड़ ने सिद्धू मूसेवाला की हत्या की सुपारी एक शाहरुख नाम के एक शूटर को पहले ही दे रखी थी लेकिन शाहरुख इस वारदात को अंजाम दे पाता उससे पहले ही वह दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ गया। जिसके बाद गोल्डी बराड़ ने मोनू डागर से संपर्क किया।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, प्रियव्रत फ़ौजी ने पुलिस को बताया कि मोनू डागर के ज़रिए उसकी बात गोल्डी बराड़ से हुई जिसने सिद्धू मूसेवाला की हत्या के लिए फ़ौजी को भारी रक़म का ऑफ़र दिया। इसके साथ ही गोल्डी ने उसे बाक़ी शूटरों की मदद करने… हथियार मुहैया करवाने और रहने की जगह देने की भी बात कही। प्रियव्रत के मुताबिक़, उसने गोल्डी बराड़ का ऑफ़र मान लिया और वह अप्रैल के आख़िरी हफ़्ते में पंजाब चला गया। जहां एक गांव में रहने के लिए उसे 5 हज़ार महीने किराए का एक कमरा दिया गया। जिसके बाद शुरू हुई मूसेवाला की हत्या की प्लानिंग। प्रियव्रत फ़ौजी के मुताबिक़, उसने मूसेवाला के घर के बाहर अपने कुछ लड़के रेकी के लिए तैनात कर दिए। फ़ौजी का कहना था कि उसके आदमियों ने सिद्धू मूसेवाला के गार्ड से भी बातचीत की थी।
27 मई को ही होने वाली थी मूसेवाला की हत्या!
रिपोर्ट के मुताबिक़, प्रियव्रत फ़ौजी ने पूछताछ को दौरान कुछ ऐसा खुलासा भी किया जिससे यह साफ़ पता चलता है कि सिद्धू मूसेवाला की हत्या 29 मई 2022 से दो दिन पहले 27 मई को भी हो सकती थी। असल में प्रियव्रत ने पूछताछ के दौरान यह बताया था कि सिद्धू मूसेवाला 27 मई को अपनी SUV में अपने घर से निकला था और उस वक़्त उसके साथ कोई सिक्योरिटी गार्ड मौजूद नहीं था लेकिन यह सब इतनी जल्दबाज़ी में हुआ कि प्रियव्रत फ़ौजी और बाक़ी शूटर्स को तैयारी का मौक़ा ही नहीं मिला। प्रियव्रत ने बताया था कि 27 मई को उसके साथी कशिश ने दो और शूटर्स को साथ लेकर सिद्धू मूसेवाला का पीछा किया लेकिन सिद्धू मूसेवाला उस दिन बचकर निकल गया।
प्रियव्रत ने बताया था कि सिद्धू उस दिन अपनी गाड़ी से निकलकर कोर्टरूम में चला गया था और बाद में वह वहां से दूसरी गाड़ी में निकल गया, जिसके चलते उस दिन सिद्धू की जान बच गई लेकिन 29 मई को मूसेवाला की क़िस्मत ने उसे धोखा दे दिया और वह इन हथियारों की गोलियों का शिकार हो गया। बक़ौल इंडियन एक्सप्रेस यह पूरी जानकारी एक सीनियर पुलिस ऑफ़िसर द्वारा इंडियन एक्सप्रेस को दी गई थी। मूसेवाला की हत्या जिस दिन हुई, उससे ठीक एक दिन पहले ही उसकी सुरक्षा में कटौती की गई थी। मूसेवाला की सुरक्षा में पंजाब पुलिस के चार जवानों की तैनाती थी लेकिन 28 मई को दो जवानों को सुरक्षा से हटा लिया गया और 29 मई को मूसेवाला की हत्या हो गई। सवाल उठे कि जब खुफिया रिपोर्ट थी कि मूसेवाला का नाम गैंगस्टर्स की हिट लिस्ट में शामिल है तो फिर सुरक्षा में ढिलाई क्यों बरती गई? दरअसल, पंजाब सरकार ने राज्य के 400 VVIPs की सुरक्षा में कटौती की थी और इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह थी कि आम आदमी पार्टी के नेताओं ने जनता की वाहवाही बटोरने के लिए इन VVIPs की लिस्ट को सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया था। जिससे यह जानकारी सार्वजनिक हो गई कि मूसेवाला की सुरक्षा भी कम कर दी गई है। जिस पर चंडीगढ़ हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार से सवाल भी पूछा था कि लिस्ट सार्वजनिक क्यों की गई?
मूसेवाला हत्याकांड से जुड़े किरदार
सिद्धू मूसेवाला की हत्या में तीन मुख्य किरदार शामिल थे। पहला गोल्डी बराड़- जिसने हत्या की ज़िम्मेदारी ली, दूसरा दुबई में रहने वाला सचिन बिश्नोई जो लॉरेंस का भतीजा है। सचिन ने दावा किया था कि उसने ख़ुद मूसेवाला पर गोली चलाई। इस हत्याकांड में तीसरा बड़ा नाम विक्रम बराड़ का सामने आया था, जो बिश्नोई का पुराना साथी है और दुबई में रहता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक़, विक्रम बराड़ ने ही तीन-तीन लाख रुपये में शूटर्स हायर किए थे।
अब उन लोगों की बात भी कर लेते हैं जो इस हत्याकांड की अहम कड़ी बने। इनमें पहला नाम है प्रियव्रत फ़ौजी का जिसने सिद्धू के शूटर्स को लीड किया। हत्या के वक़्त वही गोल्डी बराड़ के टच में था। दूसरा है कशिश जो हत्याकांड में शामिल शूटर्स में से एक था और प्रियव्रत का ख़ास था। तीसरा नाम है मनप्रीत सिंह का जिसने हत्याकांड में शामिल कोरोला गाड़ी मुहैया करवाई थी। यह गाड़ी उसने सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के एक और आरोपी मनप्रीत भाऊ को दी थी। इस तरह चौथा आरोपी बन जाता है मनप्रीत भाऊ जिसने आगे यह गाड़ी दो शूटर्स को दी थी जो सरज मिंटू के ख़ास थे। जिसके बाद पांचवीं कड़ी बनता है सरज मिंटू जिसने गाड़ी शूटर्स को देने के लिए कहा था। इस लिस्ट में छठा नाम आता है प्रभदीप सिद्धू का जिसे गोल्डी बराड़ द्वारा जनवरी 2022 में ही सिद्धू की रेकी करने के लिए भेजा गया था, जिसके बाद सातवें आरोपी मोनू डागर ने शूटर्स की टीम बनाने में मदद की।
इसमें आठवां आरोपी केशव कुमार है जो प्रियव्रत और बाक़ी हत्यारों को लेकर मानसा गया और उसी ने हत्याकांड के बाद उन हत्यारों को मानसा से ले जाकर आगे छोड़ा। नौवां नाम पुणे के एक गैंगस्टर सतोश जाधव का है जिसे गुजरात के कच्छ से गिरफ्तार किया गया। पुलिस का कहना है कि हत्याकांड के बाद पहचाने जाने के डर से उसने अपना हुलिया बदल लिया। इस हत्याकांड में 10वां आरोपी है पवन बिश्नोई जिसने हत्याकांड में यूज़ की गई बोलेरो गाड़ी मुहैया करवाई और शूटर्स की छिपने में मदद भी की। 11वां आरोपी है नसीब जिसपर पवन बिश्नोई जैसे ही इल्ज़ाम हैं। 12वां आरोपी संदीप सिंह बताया गया जिसपर यह इल्ज़ाम था कि वह मूसेवाला की हत्या से पहले उसके घर गया और उसने फ़ैन बनकर मूसेवाला के साथ सेल्फ़ी खिंचवाई और फिर सिद्धू की जानकारी शूटर्स को दी।
इस हत्याकांड में 13वां अपराधी चरणजीत सिंह है जिसने शूटर्स को हथियार मुहैया करवाए और हत्याकांड में इस्तेमाल गाड़ियों के लिए फेक नंबर प्लेट का जुगाड़ भी किया। खैर सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद इस हत्याकांड को लेकर केस मानसा डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में शुरू हुआ जिसमें 1 मई 2024 को डिस्ट्रिक्ट सेशन कोर्ट जज एच एस ग्रेवाल ने 27 दोषियों के आरोप फ़्रेम किए। जिसमें गोल्डी बराड़ भी शामिल है। इनपर भारतीय दंड संहिता (IPC) धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 326, 148, 201, 212 और 120 और आर्म्स ऐक्ट के तहत केस चलाने को मंज़ूरी दी।
जिन लोगों पर केस चल रहा है उनमें गोल्डी बराड़ के अलावा लॉरेन्स बिश्नोई, जग्गू भगवानपुरिया, सचिन बिश्नोई, अनमोल बिश्नोई, सचिन थापन, मोनू डागर, पवन बिश्नोई और मूसेवाला की हत्या में शामिल शूटर्स और उसकी हत्या की प्लानिंग करने वालों को आरोपी बनाया गया है। फ़िलहाल यह केस कोर्ट में चल रहा है और अभी इसपर कोई फ़ैसला नहीं आया है।
"नित्त कंट्रोवर्सी क्रिएट मिलूगी"
सिद्धू मूसेवाला के गानों के व्यूज़ यूट्यूब पर देखेंगे तो पता चलेगा कि पॉपुलैरिटी किस हद तक थी। न सिर्फ देश बल्कि विदेश में रह रहे भारतीयों तक में उसकी ऑडियंस थी लेकिन उसके गानों की वजह से कंट्रोवर्सी भी ख़ूब हुई। बानगी के तौर पर “जट्टी जियोने मोड़ दी बंदूक वर्गी” गाना है। जिसमें सिद्धू ने सिख वॉरियर माई भागो का ज़िक्र किया था… माई भागो सिख इतिहास का एक अहम हिस्सा है जो 17वीं शताब्दी में एक सिख वॉरियर के रूप में जानी जाती थीं। सिद्धू के गाने में माई भागो का ज़िक्र पंजाब के धार्मिक संगठनों को पसंद नहीं आया। सिद्धू पर IPC की धारा 295 के तहत केस दर्ज करने की अपील की गई और गाने को बैन करने की भी मांग उठी। 295 सेक्शन धार्मिक भावनाओं को आहत करने पर लगाया जाता है। जिसके बाद सिद्धू ने मार्च 2020 में अकाल तख्त पर जाकर माफी मांगी और अपने गाने से वह हिस्सा हटा लिया। हालांकि, बाद में उसने इसी रेफ्रेंस से 295 नाम से एक नया गाना रिलीज कर दिया। जिसमें एक लाइन थी- "नित्त कंट्रोवर्सी क्रिएट मिलूगी"।
साल 2020 में भी मूसेवाला का एक वीडियो आया। जिसमें वह AK47 से फायरिंग करते दिखे। वीडियो खूब वायरल हुआ। नतीजा यह हुआ कि पंजाब पुलिस ने आर्म्स ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। केस दर्ज होने के बाद मूसेवाला ने एक नया गाना ही बना दिया- "जट्ट उत्ते केस जेड़ा संजय दत्त ते!" ऐसे गानों की लिस्ट बहुत लंबी है जिसमें गानों की वजह से कंट्रोवर्सी और कंट्रोवर्सी के बाद मूसेवाला ने गाने बनाए। कंट्रोवर्सी भी ऐसी-वैसी नहीं बल्कि खालिस्तान समर्थक होने तक के आरोप लगे। किसान आंदोलन के दौरान आया गाना पंजाब 'माय मदरलैंड'में उसने खालिस्तानी नेता भरपूर सिंह बलवीर का भाषण शामिल किया था। इसके अलावा SYL को लेकर भी उसपर खालिस्तान समर्थक होने के आरोप लगाए। इस गाने को यूट्यूब से हटा दिया गया था। सिद्धू ने अपने इंटरव्यूज़ में भी इस बात को स्वीकारा था कि वह जरनैल सिंह भिंडरावाले को अपना पूर्वज मानते हैं। भिंडरावाला खालिस्तान समर्थक था, उसका क़िस्सा फिर कभी।
बहरहाल, मूसेवाला की मौत के बाद भी उसके गाने रिलीज किए गए। दावा किया जाता है कि वह मरने से पहले 100 गाने लिख चुका था। 15 गाने रिकॉर्ड कर चुका था लेकिन इस बीच AI के जरिए भी मूसेवाला की आवाज़ में कुछ गाने यूट्यूब पर अपलोड किए गए। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर एक गाना आया स्केपगोट 2। स्केपगोट नाम से वह पहले गाना गा चुका था। ऐसे में सवाल भी उठाए जाते हैं कि क्या मूसेवाला के नाम पर जो गाने रिलीज किए जाते हैं, वे भी AI से ही बनाए गए हैं या सचमुच वह रिकॉर्ड कर चुका था?
इन सवालों के बीच जो सच्चाई है वह ये कि एक पिता जो अपने बेटे पर जान छिड़कता था, जो कभी अपने बेटे की लाश पर अपनी पगड़ी उतारकर रोया था। एक मां जिसने अपने बेटे को अंतिम विदाई देते हुए उसे सहरे से सजाया था, वह आज भी अपने बेटे के लिए इंसाफ़ का इंतज़ार कर रहे हैं।
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