अमेरिका के 'शैडो प्रेसिडेंट' कहे जाने वाले पीटर थील की कहानी क्या है?
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• WASHINGTON D.C. 11 Jul 2025, (अपडेटेड 11 Jul 2025, 12:55 PM IST)
अमेरिका में पीटर थील का नाम कई वजहों से मशहूर है। उनके बारे में एक चर्चित बात यह है कि उन्हें अमेरिका का 'शैडो' प्रेसिडेंट भी कहा गया है।

पीटर थील की कहानी, Photo Credit: Khabargaon
साल 2016, जगह - फ्लोरिडा की एक अदालत। कटघरे में खड़ा था न्यूयॉर्क का एक मीडिया मुगल, निक डेंटन और उस पर मुकदमा ठोका था दुनिया के सबसे मशहूर रेसलर्स में से एक, हल्क होगन ने। केस सीधा सा लग रहा था। निक की वेबसाइट 'गॉकर' ने हल्क होगन का एक प्राइवेट सेक्स टेप लीक कर दिया था। गॉकर अपनी हेकड़ी में था। उसे लगा, यह केस भी बाकी केसों जैसा है। थोड़ा बहुत जुर्माना लगेगा या कोर्ट के बाहर मामला सुलझ जाएगा लेकिन इस केस में कुछ अजीब था। बहुत अजीब। हल्क होगन के वकील देश के सबसे महंगे वकीलों में से थे। उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं दिख रही थी। वह पानी की तरह पैसा बहा रहे थे। गॉकर ने जब लाखों डॉलर देकर मामला खत्म करने की कोशिश की तो होगन के वकीलों ने साफ मना कर दिया। उनका मकसद पैसा नहीं था। उनका मकसद था गॉकर को जड़ से उखाड़ फेंकना। उसे दिवालिया करना। उसे हमेशा के लिए खत्म कर देना।
पत्रकार, वकील, सब हैरान थे। एक रेसलर के पास इतना पैसा, इतनी ताकत कहां से आई? फिर, जब फैसला आया और गॉकर मीडिया 14 करोड़ डॉलर के जुर्माने के नीचे दबकर बर्बाद हो गया, तब जाकर असली खिलाड़ी का नाम सामने आया। वह खिलाड़ी हल्क होगन नहीं था। वह था सिलिकॉन वैली का एक अरबपति। एक ऐसा शख्स जो लगभग 10 साल से इस मौके का इंतजार कर रहा था। उसने एक छोटी सी बात का बदला लेने के लिए, चुपचाप, एक दशक तक योजना बनाई और फिर करोड़ों डॉलर फूंक दिए।
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क्यों? क्योंकि सालों पहले गॉकर ने एक छोटा सा आर्टिकल छापा था। तीन लाइन का- जिसमें लिखा था कि पीटर थील गे हैं। बस, इतनी सी बात और इसी बात का बदला दुनिया ने इस अंदाज में देखा। पढ़िए सिलिकॉन वैली के उस 'गॉडफादर' की कहानी, जिसे दुनिया का सबसे खतरनाक विचारक भी कहा जाता है। यह कहानी है एक ऐसे शख्स की, जिसने अपने दोस्त एलन मस्क को उन्हीं की कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया; जिसने एक नौजवान लड़के मार्क ज़करबर्ग पर पहला बड़ा दांव लगाकर फेसबुक को खड़ा करने में सबसे अहम भूमिका निभाई; जिसने डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति बनाया और अब जिसके हाथ में चाबी है उस दरवाजे की, जो व्हाइट हाउस के सबसे बड़े दफ्तर, ओवल ऑफिस तक जाता है। यह कहानी है पीटर थील की।
एलन मस्क और पीटर थील की कहानी
साल 2000, सिलिकॉन वैली में सब कुछ रॉकेट की रफ्तार से ऊपर जा रहा था। स्टॉक मार्केट आसमान छू रहा था। रातों-रात कंपनियां बन रही थीं और अरबों-खरबों में बिक रही थीं। इसी तूफानी माहौल के बीच, पालो ऑल्टो की एक बिल्डिंग में दो कहानियां एक साथ पक रही थीं। एक ही छत के नीचे। एक सीढ़ी के इस पार, दूसरी उस पार।
एक तरफ थी एक्स.कॉम। इसके मालिक थे- एलन मस्क। मस्क तब भी बड़े खिलाड़ी थे। अपनी पिछली कंपनी बेचकर 2 करोड़ 20 लाख डॉलर बनाए थे और वह सारा पैसा, एक मिलियन डॉलर की मैकलारेन (McLaren) स्पोर्ट्स कार खरीदने के बाद, इस नई कंपनी में झोंक दिया था। उनका सपना बड़ा था। एक्स.कॉम को दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन बैंक बनाना था।
सीढ़ी के दूसरी तरफ थी कॉन्फिनिटी। इसे बनाया था दो लोगों ने। एक था पीटर थील और दूसरा, मैक्स लेवचिन नाम का एक नौजवान कंप्यूटर जीनियस। इनकी कंपनी एक छोटी सी सर्विस चलाती थी, जिसका नाम था पेपैल। दोनों कंपनियां एक ही काम कर रही थीं। इंटरनेट पर पैसा भेजना। दोनों ही पानी की तरह पैसा बहा रही थीं। नए ग्राहक जोड़ने के लिए एक्स.कॉम हर नए अकाउंट पर 20 डॉलर मुफ्त में दे रहा था। पेपैल 10 डॉलर। नतीजा? दोनों कंपनियों के ग्राहक तो बढ़ रहे थे लेकिन वे हर रोज दिवालिया होने के करीब भी पहुंच रही थीं।
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एक दिन मस्क, थील के पास पहुंचे। बोले, भाई लड़कर दोनों मर जाएंगे। साथ आ जाते हैं। थील को बात जंच गई। दोनों कंपनियां एक हो गईं। नाम पड़ा एक्स.कॉम और पेपैल उसका एक प्रोडक्ट बन गया। कागजों पर मस्क बड़े खिलाड़ी थे। वह कंपनी के सबसे बड़े शेयरहोल्डर और चेयरमैन बने। कुछ महीनों बाद खुद को CEO भी बना लिया।
मगर यह दोस्ती ज्यादा दिन नहीं चली। दोनों की शख्सियत में जमीन-आसमान का फर्क था। मस्क एक जिंदादिल, मुंहफट इंजीनियर थे। वह खतरा मोल लेने में यकीन रखते थे। थील एक ठंडे दिमाग वाले, हर कदम नाप-तौलकर चलने वाले शतरंज के खिलाड़ी थे। एक किस्सा है। एक दिन थील और मस्क, सिकोया कैपिटल के बड़े निवेशक माइक मॉरिट्ज़ से मिलने जा रहे थे। मस्क अपनी मिलियन डॉलर मैकलारेन में चला रहे थे। कार की तेजी दिखाने के चक्कर में मस्क ने गाड़ी एक गड्ढे में दे मारी। कार हवा में उछली और कबाड़ बन गई। दोनों बाल-बाल बचे। मस्क ने थील से कहा, 'पता है, मैंने पढ़ा था कि अमीर लोग स्पोर्ट्स कार खरीदते हैं और उसे ठोक देते हैं। मुझे लगा मेरे साथ ऐसा कभी नहीं होगा, इसलिए मैंने इंश्योरेंस भी नहीं कराया।' थील को लगा कि यह आदमी बेपरवाह है।
एलन मस्क का तख्तापलट
कंपनी के भीतर भी जंग शुरू हो चुकी थी। मस्क चाहते थे कि पेपैल का नामोनिशान मिटा दिया जाए। सब कुछ एक्स.कॉम के नाम से चले। थील और उनकी टीम को यह मंजूर नहीं था। पेपैल तब तक इंटरनेट पर एक बड़ा नाम बन चुका था लेकिन मस्क अपनी जिद पर अड़े थे।
इसी खींचतान के बीच, थील ने एक दिन सबको चौंका दिया। मई 2000 में उन्होंने एक ईमेल भेजा। सब्जेक्ट लाइन थी: 'एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट पद से इस्तीफा।' उन्होंने कहा कि वह थक गए हैं और अब कंपनी मस्क के हवाले कर रहे हैं। 'वर्ल्ड डॉमिनेशन' यानी दुनिया पर राज करने की योजना अब मस्क ही पूरी करेंगे।
और फिर वह गायब हो गए। ऑफिस आना बंद। फोन उठाना बंद। ठीक इसी वक्त एलन मस्क ने अपनी कॉलेज की दोस्त जस्टिन से शादी की थी। काम में इतने डूबे थे कि हनीमून पर भी नहीं जा पाए थे। अब उन्होंने दो हफ्ते की छुट्टी प्लान की। ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में ओलंपिक देखने जाना था और साथ में निवेशकों से भी मिलना था। उन्हें शायद अंदाजा नहीं था कि उनकी गैरहाजिरी में उनके साम्राज्य का सबसे बड़ा सिपहसालार ही उनकी कुर्सी छीनने की तैयारी कर रहा है।
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जैसे ही मस्क प्लेन में बैठे, थील के वफादारों ने अपना खेल शुरू कर दिया। मैक्स लेवचिन, डेविड सैक्स, रीड हॉफमैन- ये वह लोग थे जिन्हें थील पेपैल में लाए थे। इन सबने एक गुप्त मीटिंग की। तय हुआ कि मस्क को हटाना होगा। किसी ने थील को फोन किया और पूछा, 'अगर बोर्ड मस्क को निकाल दे तो क्या आप CEO बनेंगे?' थील ने फौरन हां कर दी। अगले दिन, ये लोग इस्तीफे की चिट्ठियों और एक पेटिशन के साथ निवेशक माइक मॉरिट्ज़ के ऑफिस पहुंच गए। मॉरिट्ज़ के लिए यह मुश्किल घड़ी थी। उन्होंने मस्क पर दांव लगाया था लेकिन कंपनी के सारे बड़े इंजीनियर, साथ छोड़ने की धमकी दे रहे थे। कंपनी वैसे ही डूब रही थी। ये लोग चले जाते तो सब खत्म हो जाता। मॉरिट्ज़ ने हथियार डाल दिए। वह थील को वापस लाने पर राजी हो गए।
एलन मस्क को यह खबर तब मिली जब वह हवा में थे, अपनी हनीमून यात्रा पर। वह गुस्से से भर गए। उन्होंने फौरन वापस आने का फैसला किया। वह पालो ऑल्टो पहुंचे, अपने लोगों को इकट्ठा किया, सत्ता वापस पाने की कोशिश की लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। बोर्ड ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था और इस तरह, पीटर थील वापस अपनी कंपनी के राजा बन गए। एक ऐसा तख्तापलट, जिसकी कहानियां सिलिकॉन वैली में आज भी सुनाई जाती हैं। यह सिर्फ बिजनेस की लड़ाई नहीं थी। ये थील की शख्सियत की पहली बड़ी झलक थी। एक ऐसा खिलाड़ी जो दोस्ती, वफादारी और नियमों को अपनी मर्जी से तोड़-मरोड़ सकता था और ये तो बस शुरुआत थी।
पीटर थील की कहानी क्या है?
सवाल यह है कि पीटर थील आखिर है कौन? कहां से आया है यह आदमी और ऐसा क्या था उसकी परवरिश में कि वह इस कदर बेरहम और शातिर बन गया? इस कहानी को समझने के लिए हमें वक्त में पीछे चलना होगा। साल 1968, जर्मनी का फ्रैंकफर्ट शहर। यहीं एक साल पहले पीटर थील का जन्म हुआ था। उसके पिता, क्लाउस थील एक जर्मन इंजीनियर थे जो एक अमेरिकी कंपनी के लिए काम करते थे। कंपनी ने उन्हें परिवार समेत अमेरिका भेज दिया, क्लीवलैंड शहर में।
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वह अमेरिका में उथल-पुथल का दौर था। फ्री लव, हिप्पी कल्चर और कम्युनिज्म की लहर चल रही थी। थील के माता-पिता, क्लाउस और सुजैन पक्के ईसाई और परंपरावादी थे। उन्हें यह माहौल ज़रा भी रास नहीं आया। इसी दौर में रिचर्ड निक्सन जैसे नेताओं का उदय हुआ, जो 'साइलेंट मेजॉरिटी' की बात करते थे। निक्सन दावा करते थे कि बहुत से अमेरिकी हैं, जो उनकी नीतियों के समर्थक तो हैं लेकिन वे खुलकर बोलते नहीं। खैर, यह साइलेंट मेजॉरिटी एक और मामले में इकट्ठा थी - ये सब 60’s के हिप्पी, फ्री लव टाइप के आंदोलनों से चिढ़ते थे। थील का परिवार इसी साइलेंट मेजॉरिटी में से एक था और कट्टर रिपब्लिकन बन गया।
कुछ साल अमेरिका में गुजारने के बाद, क्लाउस को कंपनी ने एक नई जगह भेजा। एक ऐसी जगह जो उस वक्त दुनिया में सबसे ज्यादा विवादित थी। रंगभेद वाला अफ्रीका। क्लाउस को नामीबिया के रेगिस्तान में एक यूरेनियम की खदान बनाने का काम मिला था। यह खदान साउथ अफ्रीका के गुप्त परमाणु हथियार कार्यक्रम का एक अहम हिस्सा थी। यहां गोरे मैनेजरों, जैसे कि थील परिवार को कंपनी की तरफ से शानदार मेडिकल सुविधाएं और कंट्री क्लब की मेंबरशिप मिलती थी। वहीं, अश्वेत मजदूर जानवरों जैसी हालत में काम करते थे। उन्हें बंधुआ मजदूरों की तरह रखा जाता था।
पीटर का बचपन इन्हीं माहौल में बीता। अकेले, दोस्तों के बिना। वह या तो किताबें पढ़ता रहता या फिर अपने घर के पीछे एक सूखी नदी में अकेले खेलता रहता। उसकी जिंदगी में सिर्फ दो लोग थे, उसके माता-पिता और वे भी हमेशा मौजूद नहीं होते थे।
अफ्रीका के बाद परिवार वापस अमेरिका लौटा, कैलिफोर्निया की फोस्टर सिटी में बस गया। यहीं पीटर के असली किरदार की नींव पड़ी। वह स्कूल में सबसे होशियार था। इतना होशियार कि उसे अपनी होशियारी पर गुरूर था। वह बाकी बच्चों से घुलता-मिलता नहीं था। उसे लगता था कि बाकी सब बेवकूफ हैं। वह अपने दोस्तों की इयरबुक में लिखता था, 'शायद तुम कभी मेरे स्कोर से एक पॉइंट कम तक पहुंच पाओ।'
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उसका पसंदीदा खेल शतरंज था। वह स्कूल का चैंपियन था और एक वक्त पर अमेरिका के टॉप अंडर-13 खिलाड़ियों में गिना जाता था। हार उसे बर्दाश्त नहीं थी। उसका दूसरा शौक था 'डंजन्स एंड ड्रैगन्स' नाम का एक फैंटेसी गेम। इस गेम में एक खिलाड़ी 'डंजन मास्टर' बनता है, जो पूरी कहानी और उसके नियमों को कंट्रोल करता है। पीटर हमेशा डंजन मास्टर ही बनना चाहता था। उसे कंट्रोल पसंद था लेकिन उसकी ये अजीब आदतें और होशियारी उसे महंगी भी पड़ी। वह छोटा और दुबला-पतला था, इसलिए स्कूल के दबंग लड़के उसे बहुत परेशान करते थे। उसके दोस्त रात में दूसरों के घर के बाहर से 'For Sale' के बोर्ड उखाड़ लाते और पीटर के घर के बाहर गाड़ देते। अगले दिन स्कूल में सब उसका मजाक उड़ाते।
इन सब तानों और बदमाशी का नतीजा क्या हुआ? पीटर थील और ज्यादा अकेला और विद्रोही होता गया। उसके चेहरे पर एक ही भाव रहने लगा- 'भाड़ में जाए दुनिया।' हाई स्कूल के बाद वह अपनी ड्रीम यूनिवर्सिटी, स्टैनफोर्ड पहुंचा। उसे लगा कि यहां उसे अपने जैसे होशियार लोग मिलेंगे लेकिन यहां भी उसे निराशा ही हाथ लगी। उसे स्टैनफोर्ड का खुला माहौल, पार्टी कल्चर और लड़के-लड़कियों का मिलना-जुलना बिलकुल पसंद नहीं आया। उसे लगता था कि ये सब लोग पढ़ाई छोड़कर फालतू कामों में लगे हैं। वह खुद सुबह 8 बजे लाइब्रेरी जाता और रात को बंद होने पर ही लौटता।
यहीं पर उसकी राजनीतिक सोच और पुख्ता हुई। उसे लगने लगा कि ये जो उदारवादी, 'पॉलिटिकली करेक्ट' लोग हैं, यही अमेरिका की सारी समस्याओं की जड़ हैं। इसी सोच के तहत, उसने कैंपस में एक कट्टरपंथी दक्षिणपंथी अखबार शुरू किया। नाम था 'द स्टैनफोर्ड रिव्यू'। यह अखबार कैंपस में मल्टीकल्चरलिज्म यानी बहुसंस्कृतिवाद और पॉजिटिव ऐक्शन जैसी नीतियों के खिलाफ लिखता था।
यही वह मिट्टी थी, जिसमें पीटर थील नाम का पौधा पला-बढ़ा। एक ऐसी परवरिश जिसमें दौलत थी, बेहतरीन पढ़ाई थी लेकिन दोस्त नहीं थे। अपनापन नहीं था। नतीजा यह हुआ कि उसने पूरी दुनिया को ही अपना दुश्मन मान लिया और तय कर लिया कि वह इस दुनिया के सारे नियम तोड़ेगा। अपनी शर्तों पर और दुनिया को दिखा देगा कि असली ताकत क्या होती है।
गॉडफादर, फेसबुक और एक बिगड़ैल बच्चा
पेपैल को ईबे (eBay) के हाथों बेचने के बाद पीटर थील के पास दो चीजें थीं - बेशुमार पैसा और सिलिकॉन वैली में एक खतरनाक 'डॉन' वाली इज्जत। लोग उन्हें पेपैल माफिया का गॉडफादर कहने लगे थे। अब वह एक नए शिकार की तलाश में थे। एक ऐसा नौजवान, एक ऐसा आइडिया, जिस पर वह दांव लगा सकें और उसे दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बना सकें। वह आइडिया उन्हें मिला साल 2004 में।
कहानी में एंट्री होती है शॉन पार्कर की। पार्कर सिलिकॉन वैली के 'बैड बॉय' थे। उन्होंने नैपस्टर बनाया था, वह सर्विस जिसने पूरी म्यूजिक इंडस्ट्री को घुटनों पर ला दिया था। पार्कर, थील के दोस्त बन चुके थे। एक दिन पार्कर, थील के पास दो लड़कों को लेकर पहुंचे। उनमें से एक लड़का मुश्किल से 20 साल का रहा होगा। अजीब सा, चुपचाप रहने वाला। उसने एक टी-शर्ट, जींस और एडिडास की चप्पलें पहन रखी थीं। वह मीटिंग में ज्यादातर वक्त नीचे टेबल की तरफ ही देखता रहा। उस लड़के का नाम था मार्क ज़करबर्ग।
ज़करबर्ग और उनके दोस्त ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए एक वेबसाइट बनाई थी। 'द फेसबुक', वह आग की तरह फैल रही थी। थील, ज़करबर्ग की बातों से ज्यादा उनकी खामोशी और आत्मविश्वास से प्रभावित हुए। उन्हें ज़करबर्ग में अपनी छवि दिखाई दी। एक और आउटसाइडर। जिसने कुछ महीने पहले ही हार्वर्ड की ऑनलाइन डायरेक्टरी हैक करके फेस-मैश नाम की एक वेबसाइट बनाई थी, जिस पर यूनिवर्सिटी की लड़कियों की तस्वीरों को 'हॉट' या 'नॉट' में रेट किया जाता था। थील को समझ आ गया, यह लड़का नियम तोड़ने से नहीं डरता।
मैक्स चैफकिन पीटर थील पर लिखी किताब 'द कॉन्ट्रेरियन' में बताते हैं कि मीटिंग के आखिर में थील ने ज़करबर्ग से सिर्फ इतना कहा, 'dont waste this'और फेसबुक के नाम पर 5 लाख डॉलर का चेक काट दिया। यह फेसबुक में लगा पहला बड़ा पैसा था लेकिन थील ने सिर्फ पैसा नहीं दिया। उन्होंने ज़करबर्ग को वह दिया जो पैसे से कहीं ज्यादा कीमती था- सत्ता। उन्होंने डील को इस तरह से बनाया कि कंपनी का पूरा कंट्रोल मार्क ज़करबर्ग के हाथ में आ जाए। इसके लिए कंपनी को नए सिरे से रजिस्टर किया गया। इस खेल में फेसबुक के दूसरे को-फाउंडर किनारे कर दिए गए। ज़करबर्ग ने बाद में अपने एक दोस्त को भेजे मैसेज में लिखा भी, 'ये ट्रिक मैंने उससे (थील से) सीखी और अब मैं एडुआर्डो(को-फाउंडर) के साथ यही करूंगा।'
पीटर थील ने एक नौजवान लड़के को बादशाह बना दिया था और खुद उसके सबसे बड़े सलाहकार, उसके गॉडफादर बन गए थे लेकिन यह रिश्ता हमेशा मजबूत नहीं रहा। जब 2012 में फेसबुक का IPO आया, तो वह बुरी तरह फ्लॉप हुआ। कंपनी के कर्मचारी निराश थे। उन्हें संभालने के लिए एक मीटिंग रखी गई और उस मीटिंग में बोलने के लिए पीटर थील को बुलाया गया। लोगों को लगा कि थील हौसला बढ़ाएंगे लेकिन थील ने जो कहा, उसने सबके होश उड़ा दिए। उन्होंने कहा, 'मेरी पीढ़ी से चांद पर बस्तियां बसाने का वादा किया गया था और बदले में हमें क्या मिला? फेसबुक।'
सोचिए, जिस कंपनी में आपने सबसे पहले पैसा लगाया, जिसके बोर्ड में आप बैठे हैं, उसी कंपनी के कर्मचारियों के सामने आप कह रहे हैं कि तुम्हारा काम तो कुछ भी नहीं है। यह थील की शख्सियत का एक और पहलू था। वह आलोचक थे और किसी को नहीं बख्शते थे, अपनों को भी नहीं।
ज़करबर्ग ने कभी थील की आलोचना का बुरा नहीं मना। बल्कि वह उन पर और ज्यादा भरोसा करने लगे क्योंकि ज़करबर्ग के आसपास सब लोग उनकी हां में हां मिलाने वाले थे। थील अकेले थे जो उन्हें सच बोलने की हिम्मत रखते थे, चाहे वह कितना भी कड़वा क्यों न हो और थील की यही हैसियत फेसबुक के सबसे बड़े राजनैतिक संकट में काम आई। साल 2016, फेसबुक पर आरोप लगा कि वह अपने 'ट्रेंडिंग टॉपिक्स' फीचर में दक्षिणपंथी यानी कंजर्वेटिव विचारों वाली खबरों को दबा रहा है। अमेरिका में हंगामा मच गया। ज़करबर्ग ने मदद के लिए किसे फोन किया? पीटर थील को।
थील, जो अब तक डॉनल्ड ट्रंप के समर्थक बन चुके थे, उन्होंने फेसबुक के हेडक्वार्टर में दक्षिणपंथी मीडिया के सबसे बड़े नामों की एक पंचायत बुलाई। इसमें टकर कार्लसन और ग्लेन बेक जैसे बड़े पत्रकार शामिल थे। थील ने ज़करबर्ग और इन पत्रकारों के बीच एक 'शांति समझौता' करवाया। यह वह पल था जब सिलिकॉन वैली की सबसे बड़ी कंपनी अपनी राजनीतिक सुरक्षा के लिए पूरी तरह से पीटर थील पर निर्भर हो गई।
बिग ब्रदर, जासूस और फौजी
फेसबुक और पेपैल जैसे स्टार्टअप्स बनाकर पीटर थील ने आम लोगों की दुनिया पर कब्जा कर लिया था। अब उनकी नजर एक नई दुनिया पर थी। एक अंधेरी दुनिया। जासूसों, फौजियों और सरकारों की दुनिया। इस कहानी की शुरुआत भी पेपैल से ही होती है। पेपैल के शुरुआती दिनों में रूसी हैकर कंपनी को रोज लाखों डॉलर का चूना लगा रहे थे। इन चोरों को पकड़ने के लिए, थील के जीनियस पार्टनर मैक्स लेवचिन (Max Levchin) ने एक सॉफ्टवेयर बनाया था। कोडनेम था - 'इगोर' (Igor)। इगोर का काम था करोड़ों ट्रांजैक्शन के डेटा में छिपे हुए पैटर्न को खोजना और चोरों को पकड़ना और वह इसमें माहिर था।
फिर तारीख आई 11 सितंबर, 2001। अमेरिका पर सबसे बड़ा आतंकवादी हमला हुआ। पूरा देश सदमे में था और पीटर थील के दिमाग में एक खतरनाक आइडिया कौंध रहा था। वह सोच रहे थे, 'अगर इगोर सॉफ्टवेयर इंटरनेट के चोरों को पकड़ सकता है तो क्या यह आतंकवादियों को नहीं पकड़ सकता?'
इसी एक सवाल से जन्म हुआ उनकी सबसे कुख्यात और सबसे ताकतवर कंपनी का। नाम रखा गया - पैलंटिर। 'पैलंटिर' नाम 'लॉर्ड ऑफ द रिंग्स' की कहानियों से लिया गया था। यह एक जादुई पत्थर था, एक 'सीइंग स्टोन', जिससे कोई भी दुनिया के किसी भी कोने में झांक सकता था लेकिन कहानी में इस पत्थर का इस्तेमाल अक्सर बुराई का प्रतीक, लॉर्ड सॉरॉन, जासूसी करने और दूसरों को धोखा देने के लिए करता था। पैलंटिर का मिशन था - सरकारों की मदद करना। कैसे? करोड़ों लोगों का डेटा छानकर। फोन रिकॉर्ड, बैंक ट्रांजैक्शन, ईमेल, ट्रैवल हिस्ट्री, सोशल मीडिया, सबकुछ। पैलंटिर का सॉफ्टवेयर इस सारे डेटा को मिलाकर एक नक्शा बनाता था, जिससे खुफिया एजेंसियां संदिग्धों पर नजर रख सकती थीं। आसान भाषा में कहें तो यह 'बिग ब्रदर' था, जो आप पर हर पल नजर रख रहा था।
इस कंपनी को बेचना आसान नहीं था। सिलिकॉन वैली के निवेशकों ने इस आइडिया को नकार दिया। तब थील ने एक और चाल चली। वह अपने पुराने लॉ स्कूल के दोस्त एलेक्स कार्प के पास पहुंचे। कार्प, थील से बिलकुल अलग थे। वह खुद को वामपंथी और उदारवादी बताते थे। उनके बाल हमेशा बिखरे रहते और वह अक्सर स्कीइंग वाले कपड़े पहनकर मीटिंग में पहुंच जाते लेकिन वह एक जबरदस्त सेल्समैन थे। थील ने उन्हें पैलंटिर का CEO बना दिया। थील और कार्प ने सीधे अमेरिकी सरकार का दरवाजा खटखटाया और उनकी लॉटरी लग गई। अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA की अपनी एक इन्वेस्टमेंट कंपनी है, इन-क्यू-टेल (In-Q-Tel)। उसने पैलंटिर में 20 लाख डॉलर का शुरुआती निवेश किया और बस, जासूसी की दुनिया में थील की एंट्री हो गई।
पैलंटिर की असली कामयाबी एक अफवाह से जुड़ी है। साल 2011 में, अमेरिकी नेवी सील्स ने पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मार गिराया। इसके बाद सिलिकॉन वैली में कानाफूसी होने लगी कि बिन लादेन को खोजने में पैलंटिर के सॉफ्टवेयर ने मदद की थी। कंपनी ने कभी खुलकर 'हां' नहीं कहा लेकिन इनकार भी नहीं किया। किताब 'द कॉन्ट्रेरियन' के मुताबिक, पैलंटिर के कर्मचारी पत्रकारों से कहते थे, आप गूगल पर 'Palantir Bin Laden' सर्च करके देख लीजिए। इस अफवाह ने कंपनी को रातों-रात मशहूर कर दिया। हर कोई उस 'किलर ऐप' को खरीदना चाहता था जिसने दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी को ढूंढ निकाला था।
जल्द ही, पैलंटिर का सॉफ्टवेयर सिर्फ आतंकवादियों को पकड़ने के लिए इस्तेमाल नहीं हो रहा था। डोनाल्ड ट्रंप के दौर में, अमेरिकी संस्था-Immigration and Customs Enforcement, यानी ICE, पैलंटिर की सबसे बड़ी ग्राहकों में से एक बन गई। ICE इसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों को ढूंढने और उन्हें देश से बाहर निकालने के लिए करने लगी। यहां तक कि उन मां-बाप का पता लगाने के लिए भी, जिनके बच्चों को सीमा पर उनसे अलग कर दिया गया था।
यह पीटर थील का सबसे बड़ा विरोधाभास था। एक तरफ वह आजादी और सरकार के कंट्रोल से मुक्ति की बातें करते थे और दूसरी तरफ, उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी जासूसी कंपनियों में से एक बना डाली थी। वह जिस 'डीप स्टेट' की आलोचना करते थे, अब उसी के सबसे बड़े हथियार सप्लायर बन चुके थे और उनका यह धंधा खूब फल-फूल रहा था।
एक अरबपति का इंतकाम
अब तक की कहानी में हमने पीटर थील के कई रूप देखे। एक शातिर बिजनेसमैन, एक दूर की सोचने वाला निवेशक और सरकारों के साथ काम करने वाला एक जासूस लेकिन अब हम आपको उनकी शख्सियत के सबसे खतरनाक पहलू से मिलवाएंगे। यह कहानी है इंतकाम की। एक ऐसे इंतकाम की, जो 10 साल तक ठंडी आंच पर पकता रहा और जब फटा, तो उसने पूरी मीडिया इंडस्ट्री को हिलाकर रख दिया।
इस कहानी का दूसरा किरदार है गॉकर मीडिया। यह न्यूयॉर्क से चलने वाली एक मीडिया कंपनी थी। निडर, मुंहफट और बेहद क्रूर। उसका एक ही उसूल था - जो कहानी कोई छापने की हिम्मत न करे, उसे हम छापेंगे। गॉकर का एक ब्लॉग था, 'वैलीवैग', जो सिलिकॉन वैली की गॉसिप पर चलता था। कौन सा CEO किसके साथ सो रहा है, कौन ड्रग्स ले रहा है, किसके राज़ क्या हैं - वैलीवैग कुछ नहीं छोड़ता था। दिसंबर 2007, वैलीवैग ने पीटर थील के बारे में एक छोटा सा आर्टिकल छापा। हेडलाइन थी - 'Peter Thiel is totally gay, people।' यानी, 'लोगों, पीटर थील पूरी तरह से गे है'। उन दिनों थील ने अपनी सेक्सुअलिटी को सार्वजनिक नहीं किया था। उनके माता-पिता और निवेशकों को इस बारे में पता नहीं था। यह आर्टिकल थील के दिल में एक तीर की तरह चुभ गया। उन्हें लगा कि यह सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि उन पर एक हमला है। उन 'उदारवादी' मीडिया वालों का हमला, जिनसे वह अपनी पूरी जिंदगी नफरत करते आए थे। उन्होंने बदला लेने की ठान ली लेकिन यह बदला किसी फिल्मी विलेन की तरह फौरन नहीं लिया जाना था।
साल 2011, थील बर्लिन में थे, जब उनसे मिलने एक नौजवान पहुंचा। नाम था एरन डिसूजा। डिसूजा एक तेज-तर्रार वकील था। उसने थील के सामने एक प्लान रखा। प्लान था- गॉकर को कानूनी मुकदमों के जाल में फंसाकर बर्बाद कर देना। हम चुपचाप उन लोगों को ढूंढेंगे और पैसा देंगे, जिनका गॉकर ने नुकसान किया है। हम उनके मुकदमों को फंड करेंगे। गॉकर को पता भी नहीं चलेगा कि उसके पीछे कौन है। थील ने इस प्लान के लिए 1 करोड़ डॉलर यानी आज के हिसाब से लगभग 80 करोड़ रुपये का बजट मंजूर कर लिया।
अब उन्हें एक सही चेहरे की तलाश थी। एक ऐसा मोहरा, जिसके कंधे पर रखकर बंदूक चलाई जा सके और वह मोहरा उन्हें मिला मशहूर रेसलर हल्क होगन के रूप में। गॉकर ने होगन का एक प्राइवेट सेक्स टेप अपनी वेबसाइट पर डाल दिया था। थील को अपना केस मिल गया। उन्होंने होगन के वकीलों से संपर्क किया और उनके सारे कानूनी खर्चे उठाने का वादा किया। अब खेल शुरू हो चुका था। गॉकर को लगा कि यह एक आम मुकदमा है लेकिन होगन के वकीलों का रवैया अजीब था। वह केस को लंबा खींच रहे थे। गॉकर जब भी मामला निपटाने के लिए पैसों की पेशकश करता, वह मना कर देते। उनका मकसद पैसा जीतना था ही नहीं। उनका मकसद था गॉकर को कानूनी फीस और लंबे मुकदमे के बोझ तले कुचल देना।
इस लड़ाई में थील अकेले नहीं थे। मैक्स चैफकिन अपनी किताब 'द कॉन्ट्रेरियन' में बताते हैं कि थील ने चार्ल्स जॉनसन जैसे दक्षिणपंथी ब्लॉगर्स का भी सहारा लिया। जॉनसन की भी गॉकर से पुरानी दुश्मनी थी। थील के इशारे पर जॉनसन ने गॉकर के खिलाफ एक ऑनलाइन कैंपेन छेड़ दिया। आखिरकार, मार्च 2016 में, फ्लोरिडा की जूरी ने फैसला सुनाया। गॉकर पर 14 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया गया। यह एक ऐसा घाव था जिससे कंपनी कभी उबर नहीं सकी। कुछ ही महीनों में गॉकर मीडिया दिवालिया हो गया और हमेशा के लिए बंद हो गया।
जब दुनिया के सामने यह राज़ खुला कि इस पूरी तबाही के पीछे पीटर थील का हाथ था, तो उन्होंने बेशर्मी से इसे स्वीकार किया। उन्होंने कहा, 'यह बदला लेने के बारे में कम और दूसरों को डराने के बारे में ज्यादा था।' फिर उन्होंने वह लाइन कही जिसने उन्हें सिलिकॉन वैली का सबसे खतरनाक शख्स बना दिया। उन्होंने कहा, 'गॉकर को बर्बाद करना मेरी जिंदगी के सबसे परोपकारी कामों में से एक है।'
पीटर थील का ट्रंप कार्ड
पीटर थील अब तक सिलिकॉन वैली के बेताज बादशाह बन चुके थे। वह जिसे चाहते, उसे अर्श पर पहुंचा देते और जिससे नफरत करते उसे फर्श पर ले आते। अब उनकी नजर आखिरी और सबसे बड़ी कुर्सी पर थी - वाशिंगटन डी.सी. की कुर्सी। थील की राजनीति हमेशा से ही घुमावदार रही है। वह खुद को एक लिबर्टेरियन यानी स्वतंत्रतावादी कहते थे, जो सरकार के कम से कम दखल में यकीन रखता है लेकिन उनकी हरकतें कुछ और ही कहानी कहती थीं। 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने रॉन पॉल का समर्थन किया था। तब उन्होंने अपने दोस्तों से कहा था, 'हम यह चुनाव जीतने के लिए नहीं लड़ रहे। हम 2016 के लिए एक बेस तैयार कर रहे हैं।'
2016 में जब राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारों की भीड़ जमा हुई तब थील को अपना घोड़ा मिल गया। एक ऐसा उम्मीदवार जो किसी भी नियम, किसी भी परंपरा को नहीं मानता था। एक ऐसा शख्स जो उनकी ही तरह 'पॉलिटिकल करेक्टनेस' से नफरत करता था। उसका नाम था- डोनाल्ड ट्रंप।
मैक्स चैफकिन की किताब के मुताबिक, थील ने अपने दोस्तों से कहा था कि यह चुनाव सिर्फ एक मुद्दे पर लड़ा जाएगा- ग्लोबलाइजेशन। ट्रंप अकेले उम्मीदवार थे जो इसके खिलाफ खुलकर बोल रहे थे। थील को लगा कि ट्रंप अमेरिका के उन करोड़ों लोगों की आवाज हैं, जिन्हें लगता है कि खुली अर्थव्यवस्था और इमिग्रेशन ने उनकी नौकरियां छीन ली हैं।
जुलाई 2016, रिपब्लिकन पार्टी के नेशनल कन्वेंशन में पीटर थील को प्राइम टाइम में बोलने का मौका मिला। वहां उन्होंने एक ऐसी बात कही, जिसकी गूंज कई सालों तक सुनाई दी। उन्होंने कहा, 'मैं गे होने पर गर्व करता हूं। मैं रिपब्लिकन होने पर गर्व करता हूं लेकिन सबसे ज्यादा, मैं एक अमेरिकी होने पर गर्व करता हूं।' सोचिए, एक ऐसी पार्टी के मंच पर, जो आधिकारिक तौर पर समलैंगिक विवाह के खिलाफ थी, एक शख्स खुलकर अपने गे होने का ऐलान कर रहा था और पूरा हॉल तालियों से गूंज रहा था। यह थील का मास्टरस्ट्रोक था।
अक्टूबर 2016 में, ट्रंप का कुख्यात 'एक्सेस हॉलीवुड' टेप लीक हुआ, जिसमें वह औरतों के बारे में बेहद भद्दी बातें करते सुनाई दिए। पूरी रिपब्लिकन पार्टी ने ट्रंप से किनारा कर लिया। सबको लगा कि ट्रंप का खेल खत्म लेकिन पीटर थील ने ठीक इसी वक्त अपना सबसे बड़ा दांव चला। जब सब लोग ट्रंप का साथ छोड़ रहे थे, तब थील ने ट्रंप के कैंपेन को 12.5 लाख डॉलर का चंदा दिया। यह एक संदेश था - मैं इस आदमी के साथ खड़ा हूं, चाहे कुछ भी हो जाए।
फिर आया 8 नवंबर, 2016 का दिन। डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीत गए। पीटर थील का जुआ सफल हो गया था। अब वह सिर्फ एक निवेशक नहीं थे। वह अमेरिका के होने वाले राष्ट्रपति के सबसे बड़े सलाहकारों में से एक थे। ट्रंप की ट्रांजिशन टीम में उन्हें एक अहम पद दिया गया। उनके कर्मचारी उन्हें मजाक में 'शैडो प्रेसिडेंट' कहने लगे। वह ट्रंप टावर में बैठकर सरकार के बड़े-बड़े पदों के लिए नामों की लिस्ट बना रहे थे।
उनकी पसंद भी उन्हीं की तरह अजीब थी। साइंस एडवाइजर के पद के लिए उन्होंने ऐसे लोगों के नाम सुझाए जो क्लाइमेट चेंज को एक धोखा मानते थे। FDA यानी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के प्रमुख के लिए उन्होंने ऐसे लोगों को चुना जो मानते थे कि दवाओं की सुरक्षा जांचने की जरूरत ही नहीं है। ट्रंप ने उनकी ज्यादातर सिफारिशें नहीं मानीं लेकिन थील ने यह साफ कर दिया था कि वह सरकार को भीतर से तोड़ना चाहते थे।
अपना राष्ट्रपति बनवाएंगे पीटर थील?
थील का ट्रंप पर लगाया गया दांव उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा और सबसे खतरनाक दांव था। यह उनकी पूरी जिंदगी की फिलॉसफी का निचोड़ था। उन्होंने एक ऐसे आउट साइडर का साथ दिया, जिसने उस पूरे सिस्टम को हिलाकर रख दिया लेकिन पीटर थील की कहानी 2016 पर खत्म नहीं होती। वह तो बस एक पड़ाव था। 2024 के चुनाव में थील ने एक और हैरान करने वाला दांव चला। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप को सीधा चंदा देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अब वह पैसे की राजनीति में यकीन नहीं रखते लेकिन पर्दे के पीछे से उनका खेल पहले से भी बड़ा हो चुका था। उन्होंने अपना सारा ज़ोर एक नाम पर लगा दिया - जे.डी. वेंस। अमेरिका के वर्तमान उप राष्ट्रपति।
जे.डी. वेंस कोई साधारण राजनेता नहीं हैं। वह पीटर थील के ही बनाए हुए एक किरदार हैं। उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक परियोजना। इन दोनों का रिश्ता 2011 में शुरू हुआ, जब वेंस येल लॉ स्कूल में पढ़ते थे और थील वहां एक भाषण देने आए थे। वेंस ने बाद में लिखा कि थील का वह भाषण उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा पल था और थील शायद सबसे होशियार इंसान थे जिनसे मैं कभी मिला था।
इसके बाद थील ने वेंस को अपने साथ ले लिया। वह वेंस के गुरु बने। उन्हें अपनी वेंचर कैपिटल कंपनी, मिथ्रिल कैपिटल में नौकरी दी। जब 2019 में वेंस ने अपनी खुद की कंपनी, नारया कैपिटल शुरू की तो उसे सबसे बड़ी फंडिंग पीटर थील ने ही दी लेकिन सबसे बड़ा खेल तो राजनीति में हुआ। वेंस पहले ट्रंप के सबसे बड़े आलोचकों में से थे। उन्होंने ट्रंप को 'America's Hitler' तक कह दिया था। ऐसे आदमी को भला ट्रंप का साथ कैसे मिलता? जवाब है - पीटर थील। साल 2021 में, थील खुद वेंस को लेकर ट्रंप के मार-ए-लागो (Mar-a-Lago) वाले घर पहुंचे और दोनों के बीच सुलह करवाई।
इस मीटिंग के बाद वेंस पूरी तरह बदल गए। वह ट्रंप के सबसे बड़े समर्थक बन गए और जब 2022 में उन्होंने ओहायो से सीनेट का चुनाव लड़ा तो थील ने उनकी मदद के लिए सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। उन्होंने वेंस के समर्थन वाले सुपर PAC को 1.5 करोड़ डॉलर का चंदा दिया - जो किसी एक सीनेट उम्मीदवार के लिए अब तक का सबसे बड़ा दान है।
जब 2024 में थील ने ट्रंप को उपराष्ट्रपति के लिए जे.डी. वेंस का नाम सुझाया, तो वह सिर्फ एक सिफारिश नहीं कर रहे थे। वह सत्ता के खेल में अपना सबसे वफादार मोहरा आगे बढ़ा रहे थे। जानकार मानते हैं कि अगर 2028 में या उसके बाद कभी जे.डी. वेंस राष्ट्रपति बनते हैं, तो वह सिर्फ एक राष्ट्रपति नहीं होंगे। वह पीटर थील के विचारों की एक प्रॉक्सी सरकार होगी। एक ऐसी सरकार जिसकी नीतियां, जिसके फैसले और जिसकी ताकत की चाबी सीधे सिलिकॉन वैली के इस 'शैडो प्रेसिडेंट' के हाथों में होगी। तब पीटर थील को किसी चुनाव में पैसा लगाने की ज़रूरत नहीं होगी क्योंकि तब पूरी की पूरी सरकार ही उनकी होगी।
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