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BCCI को लगा बड़ा झटका, कोच्चि टस्कर्स को मिलेंगे 538 करोड़

बॉम्बे हाई कोर्ट से बीसीसीआई को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखते हुए बोर्ड की याचिका खारिज कर दी है। उसे कोच्चि टस्कर्स को 538 करोड़ रुपये चुकाने होंगे।

BCCI News.

बीसीसीआई को बड़ा झटका। (Photo Credit: PTI)

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को बड़ा झटका लगा है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ दाखिल बीसीसीआई की याचिका को खारिज कर दिया है। अब बोर्ड को आईपीएल फ्रेंचाइजी रही कोच्चि टस्कर्स के मालिकों को 538 करोड़ रुपये चुकाने पड़ेंगे। कोच्चि टस्कर्स ने सिर्फ एक आईपीएल सीजन खेला था। बीसीसीआई ने साल 2011 में उसे आईपीएल से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इसके बाद फ्रेंचाइजी ने आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल में बीसीसीआई के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। 

 

जुलाई 2015 में ट्रिब्यूनल ने कोच्चि टस्कर्स के मालिकों के पक्ष में फैसला सुनाया और बीसीसीआई को 538 करोड़ रुपये का आर्बिट्रल अवार्ड देने का आदेश दिया। बाद में ट्रिब्यूनल के आदेश को बीसीसीआई ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी। मगर बोर्ड को हाई कोर्ट से भी झटका लगा है।

 

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अदालत को दखल देने की जरूरत नहीं

मंगलवार को पारित आदेश में बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति आर चागला ने कहा कि मध्यस्थता पुरस्कारों में कोई स्पष्ट अवैधता नहीं है। इसलिए अदालत के दखल की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने बीसीसीआई से राशि का भुगतान करने को कहा है। बता दें कि कोच्चि टस्कर्स केरल फ्रेंचाइजी को रेंडेजवस स्पोर्ट्स वर्ल्ड (RSW) के नेतृत्व वाले एक संघ को दिया गया था। हालांकि बाद में कोच्चि क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड ने फ्रेंचाइजी का संचालन किया। टीम ने सिर्फ 2011 में आईपीएल मैच खेले। अगले साल बीसीसीआई ने फ्रेंचाइजी के अनुबंध को खत्म कर दिया था।

 

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2012 में न्यायाधिकरण पहुंची थी फ्रेंचाइजी

दरअसल, केसीपीएल और आरएसडब्ल्यू ने बैंक गारंटी जमा नहीं करवाई थी। इसके बाद बीसीसीआई ने एक्शन लिया था। साल 2012 में केसीपीएल और आरएसडब्ल्यू ने 2012 में मध्यस्थता कार्यवाही शुरू की। मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने अनुबंध को खत्म करने के फैसले को गलत बताया और 2015 में फ्रेंचाइजी के पक्ष में फैसला सुनाया। फैसले के तहत बीसीसीआई को केसीपीएल को 384.8 करोड़ और आरएसडब्ल्यू को 153.3 करोड़ रुपये चुकाने का आदेश दिया। न्यायाधिकरण के इस आदेश को बीसीसीआई ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

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