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अंग्रेजों से मिली जीत, आजाद भारत के पहले ओलंपिक गोल्ड मेडल की कहानी

साल 1947 में भारत के विभाजन के साथ ही कई चुनौतियां सामने खड़ी थीं। ये चुनौतियां देश की राजनीति से लेकर खेल तक को ललकार रही थीं।

Hockey Team of India

Hockey Team of India at 1948 Olympics, Image Credit: Olympics.com

साल 1900 से ही ओलंपिक में अपने प्रतिनिधि भेज रहे भारत को मेडल भी मिलने लगे थे लेकिन गोल्ड मेडल के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा। एक गोल्ड मेडल मिला साल 1928 के ओलंपिक में। एक और गोल्ड मेडल मिला साल 1948 में। इस ओलंपिक गोल्ड मेडल का स्वाद बड़ा मजेदार था। उसकी वजह यह थी कि यह आजाद भारत का पहला गोल्ड मेडल था। सोने पर सुहागा ये कि भारत ने अपना यह गोल्ड मेडल उसी को हराकर जीता जिसने लंबे समय तक उसे गुलाम बनाकर रखा था। आइए जानते हैं ओलंपिक में भारत के इतिहास और उसके गोल्ड मेडल के बारे में।

 

आजादी से पहले भारत की ओर से ओलंपिक में जाने वाले खिलाड़ी ज्यादातर ब्रिटिश नागरिक होते थे। ऐसे ही एक अंग्रेज नॉर्मन प्रिचर्ड ने साल 1900 के पेरिस ओलंपिक में भारत के लिए पहला ओलंपिक जीता था। साल 1928 के ओलंपिक में भारत की हॉकी टीम ने स्वर्ण पदक जीता। यह वही टीम थी जिसकी अगुवाई हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद कर रहे थे। इतना ही नहीं, इसके बाद भारत ने लगातार 1932 और 1936 में भी हॉकी का गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा।

आजाद भारत का पहला सोना

साल 1948 में भारत नई चुनौतियों से जूझ रहा था। अब देश का नेतृत्व देसी लोगों के हाथ में था और देश के सामने कई मुश्किलें थीं। 1947 में भारत का विभाजन हो चुका था और कई अच्छे हॉकी खिलाड़ी जैसे कि नियाज खान और अजीज मलिक अब पाकिस्तान के हो गए थे। ऐसे में रेलवे के खिलाड़ी किशन लाल को कप्तान बनाया गया और के डी सिंह बाबू उप कप्तान बन गए। 

 

पूल ए में रखी गई टीम इंडिया ने अपने सभी मैच जीतते हुए लीग का सफर खत्म किया। भारत ने ऑस्ट्रिया और अर्जेंटीना जैसी टीमों को बुरी तरह हराया। फिर स्पेन को हराया और सेमीफानइनल में नीदरलैंड को हराकर भारत ने एक बार फिर से ओलंपिक के फाइनल में जगह बना ली थी।फाइनल में पहले तो बलबीर सिंह ने हाफ टाइम से पहले ही दो गोल दागकर अंग्रेजों को सन्न कर दिया था। फिर पैट्रिक जानसेन और त्रलोचन सिंह ने एक-एक गोल करके भारत को 4-0 से यह मैच जिता दिया और आजाद भारत का पहला गोल्ड मेडल जीत लिया।

दोगुना था मजा

हालांकि, भारत के लिए यह ओलंपिक इतनी ही खुशियां लेकर आया और भारत को और कोई पदक ही नहीं मिला। भारत 1948 के लंदन ओलंपिक में 22 नंबर पर रहा। हॉकी में मिली इस जीत के तीन दिन बाद ही भारत अपना दूसरा स्वतंत्रता दिवस मना रहा था। यह मजा कई गुना ज्यादा इस वजह से भी हो रहा था क्योंकि भारत ने लंदन में ही आयोजित ओलंपिक खेलों में अंग्रेजों की हराकर गोल्ड मेडल जीता था।

 

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