भारत ने न्यूजीलैंड को हराकर चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का खिताब जीत लिया है। 9 मार्च को दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड को 4 विकेट से हरा दिया। कीवी टीम ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग करते हुए 252 रन का टारगेट रखा था, जिसे रोहित शर्मा ब्रिगेड ने 1 ओवर बाकी रहते हासिल कर लिया।
रोहित ने 76 रन की कप्तानी पारी खेली, जिसकी मदद से टीम इंडिया ने न सिर्फ ट्रॉफी बल्कि सफेद ब्लेजर भी जीता। भारतीय खिलाड़ी ट्रॉफी के साथ सफेद ब्लेजर पहने नजर आए। आइए जानते हैं सफेद ब्लेजर खिलाड़ियों को क्यों पहनाया जाता है और इस परंपरा की शुरुआत कब हुई थी।
यह भी पढ़ें: रोहित-विराट ने तोड़ा युवराज सिंह का विश्व रिकॉर्ड, पोंटिंग भी पिछड़े
ऑस्ट्रेलिया ने सबसे पहले जीता सफेद ब्लेजर
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की शुरुआत 1998 में हुई थी लेकिन विजेता टीम के खिलाड़ियों को सफेद ब्लेजर पहनाने की शुरुआत 2009 से हुई। इस साल चैंपियंस ट्रॉफी साउथ अफ्रीका में आयोजित हुआ था, जिसे ऑस्ट्रेलिया ने अपने नाम किया था। वहां भी खिताबी मुकाबले में न्यूजीलैंड को हार मिली थी। इस चैंपियंस ट्रॉफी के लिए सफेद ब्लेजर को मुंबई की फैशन डिजाइनर बबीता एम ने तैयार किया था।
क्यों मिलता है सफेद ब्लेजर?
चैंपियन टीम को सम्मानित करने के लिए सफेद ब्लेजर पहनाया जाता है। 14 जनवरी को सफेद ब्लेजर का प्रोमो वीडियो जारी करते हुए ICC ने कहा था कि चैंपियंस ट्रॉफी में हर मैच मायने रखता है, जहां टीमें सिर्फ खिताब के लिए ही नहीं बल्कि प्रतिष्ठित सफेद ब्लेजर के लिए भी प्रतिस्पर्धा करती हैं। सफेद ब्लेजर महानता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। इस चैंपियंस ट्रॉफी के सफेद ब्लेजर का अनावरण पाकिस्तान के महान तेज गेंदबाज वसीम अकरम ने किया था।
यह भी पढ़ें: चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में गरजे रोहित शर्मा, पहली बार किया ये कमाल
वसीम अकरम ने प्रोमो वीडियो में कहा था कि सफेद ब्लेजर सामरिक प्रतिभा के लिए अथक प्रयास और आने वाली जेनरेशन को प्रेरित करने वाली लेगेसी का प्रतीक है। सफेद ब्लेजर जीत के लिए सब कुछ दांव पर लगाने की जर्नी को दर्शाता है।