10 साल के लंबे अंतराल के बाद ऑस्ट्रेलिया ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) जीत ली है। सिडनी में खेले गए 5 टेस्ट मैचों की सीरीज के आखिरी मुकाबले में भारत को 6 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। टीम इंडिया ने 162 रन के टारगेट रखा था, जिसे ऑस्ट्रेलिया ने 27 ओवर में ही हासिल कर लिया। ब्यू वेबस्टर 39 और ट्रेविस हेड 34 ने मेजबानों को जीत की दहलीज तक पहुंचाया। 5 टेस्ट मैचों की सीरीज को टीम इंडिया ने 1-3 से गंवा दी। सिडनी में हार के साथ ही भारतीय टीम WTC फाइनल की रेस से भी बाहर हो गई है। पहला टेस्ट जीतकर सीरीज में 1-0 की बढ़त बनाने के बावजूद टीम इंडिया इस हाल में कैसे पहुंची? जानिए 5 कारण।
फ्लॉप रहे बल्लेबाज
पूरी सीरीज में भारतीय बल्लेबाज पूरी तरह से फ्लॉप रहे। टुकड़ों में बल्लेबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया। यशस्वी जायसवाल, केएल राहुल और नीतीश कुमार रेड्डी ने कुछ अच्छी पारियां खेलीं, लेकिन उनके प्रदर्शन में भी निरंतरता नहीं रही। गेंदबाजों ने हर मैच में भारतीय टीम की वापसी करवाई लेकिन बल्लेबाजों की नाकामी उसे भारी पड़ी।
बैटिंग कोलैप्स ने डुबोई लुटिया
घर में न्यूजीलैंड के हाथों 3 टेस्ट मैचों की सीरीज में क्लीन स्वीप होकर ऑस्ट्रेलिया पहुंची टीम इंडिया को यहां भी बैटिंग कोलैप्स से जूझना पड़ा। सिडनी टेस्ट की दूसरी पारी में भारत को अच्छी शुरुआत मिली थी। राहुल और यशस्वी ने 42 रन की साझेदारी की लेकिन इसके बाद अचानक विकेटों की झड़ी लग गई। जिसके चलते भारतीय टीम 157 रन पर ही ढेर हो गई और ऑस्ट्रेलिया को बड़ा टारगेट नहीं दे सकी। ऐसे बैटिंग कोलैप्स पूरी सीरीज में देखने को मिला।
नहीं चले रोहित-विराट
ऑस्ट्रेलिया जैसे मुश्किल दौरे पर सीनियर बल्लेबाजों का रन बनाना बेहद जरूरी होता है। मगर रोहित शर्मा और विराट कोहली बूरी तरह से फ्लॉप रहे। रोहित ने पहला और आखिरी टेस्ट नहीं खेला। जिन 3 टेस्ट मैचों में वह खेले उसमें महज 31 रन ही बना सके। विराट कोहली ने पर्थ में शतक जड़कर अच्छी शुरुआत की थी लेकिन इसके बाद उनके बल्ले से कोई बड़ी पारी नहीं आई। सीरीज की समाप्ति के बाद उनके खाते में 190 रन ही रहे।
जसप्रीत बुमराह पर अत्यधिक निर्भरता
तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने अकेले भारत को सीरीज में बनाए रखा था। 161 रन को डिफेंड करते हुए सीरीज की आखिरी पारी में उनकी कमी खली। वह पीठ में ऐंठन के चलते गेंदबाजी के लिए नहीं आए। बुमराह का वर्कलोड सही से मैनेज नहीं किया गया जिसके चलते उनकी पुरानी चोट उभर आई। उन्होंने मेलबर्न टेस्ट में 52 ओवर फेंके थे। इससे पहले बुमराह ने किसी एक टेस्ट मैच में इतने ओवर नहीं डाले थे। बुमराह ने सीरीज में सबसे ज्यादा 32 विकेट झटके। अगर उन्हें दूसरे छोर से भरपूर सहयोग मिलता तो सीरीज का स्कोर लाइन कुछ और ही होता।
मौकों को भुनाने में रहे नाकाम
भारतीय टीम ने हाथ आए मौकों को नहीं भुना पाई जिसका खामियाजा सीरीज हार से भुगतना पड़ा। मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में टीम इंडिया ने 100 रन के अंदर 6 विकेट गिरा दिए थे। इसके बाद कुछ आसान छोड़े गए जिसका फायदा उठाकर मेजबानों ने दबाव से निकलते हुए भारत के सामने विशाल टारगेट सेट कर दिया।