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कन्कशन विवाद पर बरसे हर्षित राणा, एक जवाब में की बोलती बंद

हर्षित राणा ने इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में अपना वनडे डेब्यू करते हुए तीन विकेट झटके। कुछ ही दिनों पहले उन्होंने अपना टी20I डेब्यू भी किया था। उन्हें शिवम दुबे के कन्कशन सब्स्टीट्यूट के रूप में उतारा गया गया था, जिसके बाद जमकर बवाल मचा था।

Harshit Rana ODI

हर्षित राणा। (Photo Credit: PTI)

23 साल के युवा तेज गेंदबाज हर्षित राणा ने पिछले 3 महीने के अंदर टीम इंडिया के लिए तीनों फॉर्मेट में डेब्यू कर लिया है। उन्होंने गुरुवार (6 फरवरी) को इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में अपना वनडे डेब्यू करते हुए 3 विकेट झटके। हर्षित ने नवंबर 2024 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की थी। कुछ ही दिनों पहले पुणे में उनका टी20I डेब्यू भी हुआ था। 

 

पुणे में शिवम दुबे के कन्कशन सब्स्टीट्यूट के रूप में हर्षित को उतारा गया। उन्होंने आते ही लियम लिविंगस्टोन का विकेट झटका। इसके बाद हर्षित ने जैकब बेथेल और जेमी ओवरटन पवेलियन भेजा। कन्कशन सब्स्टीट्यू के तौर पर हर्षित राणा को खिलाने पर काफी विवाद हुआ। इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर्स माइकल वॉन और केविन पीटरसन ने इस फैसले की आलोचना की थी। वहीं कप्तान जोस बटलर भी नाराज दिखे।

 

हर्षित राणा ने तोड़ी चुप्पी

 

नागपुर में खेले गए पहले वनडे में भारत की 4 विकेट से जीत के बाद हर्षित राणा ने कन्कशन सब्स्टीट्यू विवाद पर चुप्पी तोड़ी। हर्षित ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'मुझे लगता है कि लोग बातें करते रहेंगे। मैं बस खेलना चाहता हूं, चाहे अच्छा या बुरा खेलूं। मुझे इसकी चिंता नहीं है, मैं बस अपने देश के लिए अच्छा प्रदर्शन करना चाहता हूं। मैं उन बातों पर ध्यान नहीं देता।'

 

मीडिया से बातचीत के दौरान हर्षित ने ये भी खुलासा किया कि उन्हें विदर्भ क्रिकेट एसोसिशन स्टेडियम पहुंचने के बाद पता चला कि वह वनडे डेब्यू करेंगे। हर्षित ने कहा, 'आपको तभी पता चलता है जब आप मैदान पर आते हैं। मानसिक रूप से, मैं जब भी मैदान पर आता हूं, हमेशा तैयार रहता हूं। मुझे पता है कि मैं कभी भी खेल सकता हूं, कुछ भी हो सकता है। इसलिए, मानसिक रूप से, मैं हमेशा खुद को तैयार रखता हूं।'

 

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50 ओवर फॉर्मेट में अलग चुनौती

 

हर्षित राणा ने आगे बताया कि 50 ओवर मुश्किल है, क्योंकि हर फेज में अलग चुनौतियां होती हैं। हर्षित ने कहा, 'यह फॉर्मेट अलग है। आपको अलग-अलग फेज में अलग-अलग जिम्मेदारियों के साथ गेंदबाजी करनी होती है। शुरूआत और बीच में आपको कुछ और करना होता है और फिर डेथ ओवर में अलग रणनीति के साथ गेंदबाजी करनी होती है। हालांकि जब आप इसका अभ्यास करते हो तो सब कुछ आसान होता जाता है।'

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