इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में गुरुवार (27 मार्च) को सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और लखनऊ सुपर जायंट्स (SRH) की टक्कर हुई। हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम में खेले गए इस मुकाबले में LSG ने 5 विकेट से आसान जीत दर्ज की। टॉस गंवाकर पहले बैटिंग करते हुए SRH ने निर्धारित 20 ओवर में 190 रन का स्कोर खड़ा किया था, जिसे LSG ने 23 गेंद शेष रहते हासिल कर लिया।
LSG के रन चेज के दौरान 13वें ओवर की आखिरी गेंद पर हर्षल पटेल ने आयुष बदोनी का शानदार कैच लपका। एडम जाम्पा की गेंद पर बदोनी ने स्लॉग स्वीप का प्रयास किया था लेकिन बल्ले पर गेंद सही से आई नहीं और मिडविकेट की दिशा में खड़ी हो गई। डीप मिडविकेट पर खड़े हर्षल ने दौड़ लगाई और आगे की ओर झुकते हुए कैच पूरा किया और बदोनी की पारी खत्म की। हालांकि हर्षल ने सेलिब्रेशन में जल्दी गेंद रिलीज कर दिया था, जिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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अंपायर से हो गई चूक?
बदोनी का कैच लपकने के बाद भले ही हर्षल कंट्रोल में थे लेकिन जल्दी गेंद थ्रो करने कारण सोशल मीडिया यूजर्स कैच को अवैद्य करार दे रहे हैं। एक यूजर ने लिखा कि कैच के दौरान गेंद को हाथ में रखने का नियम होना चाहिए। कुछ ऐसा ही मामला चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के दौरान भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल मुकाबले में सामने आया था। शुभमन गिल ने ट्रेविस हेड का कैच पूरा करने के तुरंत बाद गेंद थ्रो कर दिया था। इसके बाद ऑन फील्ड अंपायर्स ने उनसे बात की और हिदायत दी कि आगे से कैच लपकने के बाद कुछ देर के लिए गेंद हाथ में रहना चाहिए।
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हालांकि सनराइजर्स हैदराबाद और लखनऊ सुपर जायंट्स के बीच मुकाबले में अंपायरिंग कर रहे अभिजीत भट्टाचार्य और उल्हास गांधे ने हर्षल से बात करना जरूरी नहीं समझा। बता दें कि वैलिड कैच को लेकर ऐसा कोई नियम नहीं है कि फील्डर को कितनी देर तक गेंद अपने पास रखना चाहिए। कैच पूरा हुआ है या नहीं, यह अंपायर्स अक्लमंदी पर निर्भर करता है। अगर उन्हें लगता है कि फील्डर ने जल्दबाजी में गेंद थ्रो कर दिया है तो वह बल्लेबाज को नॉट आउट करार दे सकते हैं।