भारत के किरन रामचंद्र असवाल ने अमेरिका में आयोजित आइस हॉकी टूर्नामेंट में कमाल किया है। उन्होंने अपने सधे हुए खेल से कनाडा के लिए वह कर दिखाया है, जैसा खुद कनाडा के खिलाड़ी नहीं कर सके। आइएस हॉकी टूर्नामेंट में अपने सधे कौशल की बदौलत किरन ने दूसरी टीम को बेहद रोमांचक मुकाबले में हरा दिया।
किरन रामचंद्रा असवाल, कनाडा के ओटावा शहर में रहते हैं। उन्होंने कनाडा के लिए ये ट्रॉफी जीती है। कनाडा इस ट्रॉफी को जीतने की खुशी मना रहा है, दूसरी तरफ, भारत में भी उनके प्रदर्शन को लेकर खुशी की लहर है। किरन नौवीं क्लास में पढ़ते हैं और बीते 5 साल से आइस हॉकी खेलते हैं। यह उनका पहला इंटरनेशनल टूर्नामेंट था।
उत्तराखंड के पलाई गांव से है किरन का नाता
किरन असवाल मूल रूप से उत्तराखंड के पलाइ के रहने वाले हैं। यह पौड़ी गढ़वाल के धूम कोट इलाके में पड़ता है। किरन के नाना हरिंदर सिंह असवाल ने कहा है कि वे अपने लाल की जीत से बहुत खुश हैं। किरन, जितनी शानदार हॉकी खेलते हैं, उतनी ही शानदार पढ़ाई भी करते हैं।
कहां हुआ था ये मुकाबला?
अमेरिका के न्यूयॉर्क में जीनी हैरिंगटन शूट आउट क्लासिक टूर्नामेंट हुआ था। उनकी टीम ने अमेरिका की एजेक्स पीकरिंग रेडर्स की टीम को हराकर ये खिताब अपने नाम कर लिया।

उत्तराखंडी होने पर गर्व करते हैं किरन
किरन के परिजन भले ही कनाडा में रह रहे हों लेकिन उन्हें उत्तराखंड से बेहद प्यार है। उत्तराखंड में ही रामचंद्रन सिंह असवाल और भूपिंदर सिंह असवाल ने उनकी जीत पर कहा है कि यह हमारे लिए गौरव की बात है। किरन की इस उपलब्धि पर पलाइ गांव के लोग बेहद खुश हैं।

आइस हॉकी क्या है?
आइस हॉकी, ठंड प्रदेशों में आइस स्केट्स पर खेला जाने वाला एक लोकप्रिय खेल है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि इसे बर्फ के मैदान पर ही खेला जाए। यह पारंपरिक हॉकी से अलग है। इसे स्केट शूज पहनकर खिलाड़ी खेलते हैं। दो अलग-अलग टीमें, स्टिक के सहारे गेंद को अपने कब्जे में लेने की कोशिश करती हैं। 60 मिनट के इस गेम में जिस टीम ने सर्वाधिक गोल किया होता है, उसे विजयी घोषित किया जाता है। ओवरटाइम या शूटआउट में टाई टूट जाता है। हर टीम में छह स्केटर होते हैं। यह खेल, उत्तरी अमेरिका में ज्यादा लोकप्रिय है।