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प्रतिका रावल: बास्केटबॉल चैंपियन कैसे बनीं टॉप क्रिकेटर?

24 साल की प्रतिका रावल ने हाल ही में भारत के लिए डेब्यू किया किया है। मनोविज्ञान की छात्रा प्रतिका ने CBSE 12वीं की परीक्षा में 92.5 प्रतिशत नंबर्स लाए थे। पढ़िए एक होनहार छात्रा के क्रिकेटर बनने की दिलचस्प कहानी।

Pratika Rawal

प्रतिका रावल। (फोटो - BCCI Women/X)

टीम इंडिया की नई बैटिंग सनसनी प्रतिका रावल पहली बार साल 2021 में सुर्खियों में आई थीं। प्रतिका ने घरेलू महिला वनडे प्रतियोगिता में 155 गेंद में नाबाद 165 रन की पारी खेल दिल्ली को नॉकआउट स्टेज में पहुंचाया था। इसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और घरेलू क्रिकेट में लगातार रनों का अंबार लगाती रहीं। 24 साल की प्रतिका को इसका फल जल्द ही मिला। उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ 3 मैचों की वनडे सीरीज के लिए भारतीय टीम में शामिल कर लिया गया। 

 

डेब्यू पर किया प्रभावित

 

दाएं हाथ की सलामी बल्लेबाज प्रतिका को 22 दिसंबर को वडोदरा के कोटाम्बि स्टेडियम में खेले गए सीरीज के पहले मैच में ही प्लेइंग-XI में जगह मिल गई। प्रतिका को उनकी ओपनिंग जोड़ीदार स्मृति मंधाना ने डेब्यू कैप सौंपी। कुछ ही देर बाद प्रतिका और मंधाना ने 110 रन की साझेदारी की। अपना पहला मैच खेल रहीं प्रतिका 69 गेंद में 40 रन बनाकर आउट हुईं। भले ही वह अर्धशतक से चूक गईं, लेकिन अपनी ठोस बल्लेबाजी से उन्होंने प्रभावित किया।

 

 

भारत और वेस्टइंडीज के बीच 24 दिसंबर को खेले गए दूसरे वनडे में प्रतिका ने एक बार फिर मंधाना के साथ मिलकर 110 रन की पार्टरनशिप की। इस हाई-स्कोरिंग मैच में प्रतिका ने 86 गेंद में 76 रन की शानदार पारी खेली। इसके बाद उन्होंने अपनी ऑफ स्पिन से भी कमाल करते हुए 2 विकेट झटके। प्रतिका के टैलेंट को देखते हुए उन्हें फ्यूचर स्टार बताया जा रहा है।

 

मनोविज्ञान की छात्रा के टॉप क्रिकेटर बनने की कहानी

 

प्रतिका रावल का परिवार दिल्ले के प्रेम नगर में रहता है और उनका केबल टेलीविजन सर्विस का बिजनेस है। 1 सितंबर 2000 को जन्मीं प्रतिका रावल ने चौथी कक्षा से क्रिकेट का ककहरा सीखना शुरू किया था। उन्हें अपने पिता प्रदीप रावल से खूब प्रोत्साहन मिला। प्रदीप खुद क्रिकेट से जुड़े हुए थे। वह दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन (DDCA) के अंपायर थे। प्रतिका ने अनुभवी कोच श्रवण कुमार के देख-रेख में रोहतक रोड जिमखाना क्रिकेट एकेडमी में ट्रेनिंग की। श्रवण कुमार ने ईशांत शर्मा और नीतीश राणा जैसे खिलाड़ियों को भी कोचिंग दे चुके हैं। प्रतिका एकेडमी में अकेली लड़की थीं। ऐसे में उन्हें हमउम्र के बच्चों के साथ ट्रेनिंग किया।

 

वह राजेंद्र नगर में स्थित बाल भारती पब्लिक स्कूल में पढ़ाई करती थीं। इस स्कूल के लिए खेलते हुए उन्होंने जबरदस्त प्रदर्शन किया। स्पोर्ट्स्टार के अनुसार, जब प्रतिका 9वीं कक्षा में थीं, तब मॉडर्न स्कूल ने उनसे संपर्क किया। प्रतिका के टैलेंट को देखते हुए मॉडर्न स्कूल हर हाल में अपने संस्थान में उनका दाखिला कराना चाहती थी। क्योंकि उन्हें पता था कि उनकी टीम के लिए प्रतिका क्या कर सकती हैं। 

 

वनडे डेब्यू कैप पहनकर पोज देतीं प्रतिका रावल। (फोटो - BCCI Women/X)

क्रिकेट के अलावा बास्केटबॉल में गाड़ा झंडा

 

क्रिकेट के अलावा प्रतिका बास्केटबॉल में भी अच्छी थीं। वह 2019 में 64वें स्कूल नेशनल गेम्स में बास्केटबॉल चैंपियन भी बनीं। उन्होंने क्रिकेट और बास्केटबॉल खेलते हुए भी 12वीं में अच्छे नंबर लाए। 2019 में CBSE बोर्ड परीक्षा में उन्होंने अंग्रेजी और मनोविज्ञान में 93, राजनीति विज्ञान में 89, अर्थशास्त्र में 95 और फिजिकल एजुकेशन में 88 अंक हासिल किए। प्रतिका ने आगे पढ़ाई जारी रखी और मनोविज्ञान में ग्रेजुएशन किया। उनके पास करियर बनाने के लिए कई रास्ते थे, लेकिन क्रिकेट उनकी पहली पसंद बनी रही। 

 

दिल्ली के लिए एज ग्रुप क्रिकेट में ढेरों लिस्ट-ए रन बनाने के बाद उन्होंने इस साल टीम की कमान संभाली थी। प्रतिका ने अपनी कप्तानी में दिल्ली को अंडर-23 टी20 ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचाया था। उन्होंने इस टूर्नामेंट में 9 मैचों में 182 रन बनाए थे। वह अपनी टीम के लिए दूसरी सबसे ज्यादा रन बनाने वाली बल्लेबाज थीं। हाल ही में वह रेलवे की टीम में शामिल हो गईं। रेलवे के लिए खेलते हुए उन्होंने सीनियर विमेंस वनडे ट्रॉफी के 8 मैचों में 411 रन बटोरो थे। इन्हीं बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत उन्होंने अपने लिए भारतीय टीम के दरवाजे खोल लिए थे।

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