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कभी इंग्लैंड जाने का ठुकराया ऑफर, अब विदर्भ को दिलाई चमत्कारिक जीत

कप्तान अक्षय वाडकर की संकटमोचक पारियों की बदौलत विदर्भ ने रणजी ट्रॉफी के छठे राउंड में राजस्थान को हरा दिया है। विदर्भ की टीम 100 रन से पिछड़ गई थी लेकिन उसने दमदार वापसी करते हुए चमत्कारिक जीत दर्ज की।

Akshay Wadkar

अक्षय वाडकर। (Photo Credit: स्क्रीनग्रैब BCCI/X)

राजस्थान और विदर्भ के बीच रणजी ट्रॉफी 2024-25 सीजन के छठे राउंड का मुकाबला जयपुर में खेला गया। इस मैच में 100 रन से पिछड़ने के बावजूद विदर्भ ने 221 रन से बड़ी जीत दर्ज की। विदर्भ की इस जीत में कप्तान अक्षय वाडकर ने अहम भूमिका निभाई, जिन्होंने मुसीबत में 34 और 139 रन की पारियां खेली। 

 

मुकाबले के पहले दिन (23 जनवरी) विदर्भ की टीम महज 165 रन पर ढेर हो गई थी। उनकी पारी 100 के अंदर सिमटती दिख रही थी लेकिन अक्षय वाडकर ने महत्वपूर्ण 34 रन की पारी खेल टीम को 150 के पार पहुंचाया। इसके बाद हर्ष दुबे ने 5 विकेट लेकर राजस्थान को 265 रन पर रोक दिया। हालांकि मेजबान टीम ने पहली पारी के आधार पर 100 रन की महत्वपूर्ण बढ़त हासिल कर ली। ऐसे में विदर्भ को दूसरी पारी में बड़े स्कोर तक पहुंचने की जरूर थी लेकिन उनकी आधी टीम 144 के स्कोर पर पवेलियन लौट गई। विदर्भ के पास महज 44 रन की बढ़त थी और उनके 5 विकेट ही बचे हुए थे। उनकी हार तय नजर आ रही थी। मगर कप्तान अक्षय वाडकर एक बार फिर जम गए।

 

विदर्भ ने प्वॉइंट्स टेबल में टॉप पर

 

अक्षय ने पहले यश राठौड़ (98) के साथ 94 रन की साझेदारी कर विदर्भ को संकट से निकाला। इसके बाद नचिकेत भुटे (87) के साथ मिलकर 172 रन की पार्टनरशिप की और टीम को 400 के पार पहुंचा दिया। अक्षय ने नौवें विकेट के रूप में 428 रन के कुल स्कोर पर आउट होते ही पारी घोषित कर दी। उन्होंने 269 गेंद में 139 रन की पारी खेली, जिसमें 14 चौके और एक छक्का शामिल रहा। हर्ष दुबे ने दूसरी पारी में भी पंजा खोला और विदर्भ ने राजस्थान को 107 रन पर समेट यादगार जीत हासिल कर ली। इस जीत के साथ विदर्भ ने ग्रुप-बी के प्वॉइंट्स टेबल में अपनी स्थिति बेहद मजबूत कर ली है। 

 

पिछले साल रणजी सीजन में विदर्भ ने फाइनल तक का सफर तय किया था। हालांकि टीम मुंबई के हाथों हारकर खिताब से चूक गई थी। अक्षय वाडकर ने उस मुकाबले में भी शतक ठोका था।

 

ऋद्धिमान साहा से प्रभावित हैं अक्षय

 

अक्षय विकेटकीपिंग की भी जिम्मेदारी संभालते हैं। स्पोर्टस्टार के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा था कि मैं ऋद्धिमान साहा की तकनीक से सीखता हूं। महेंद्र सिंह धोने के टेस्ट से संन्यास लेने के बाद साहा टीम इंडिया के फर्स्ट-च्वाइस विकेटकीपर थे। वह लंबे समय तक बंगाल के लिए घरेलू क्रिकेट भी खेले। 

 

अक्षय ने उनको लेकर कहा था, 'मैं ऋद्धिमान साहा को फॉलो करता हूं। स्टंप के पीछे उनका एटीट्यूड शानदार है। वह कीपिंग करते समय काफी मूव करते हैं। वह बहुत अच्छी डाइव लगाते हैं। एक प्लेयर खेल के दौरान चोट के बारे में नहीं सोचता, इसलिए मैंने भी इसके बारे में कभी नहीं सोचा। उनकी कीपिंग स्किल्स से मुझे यह आभास होता है कि यदि आपने अभ्यास में 100 बार डाइव लगाया है, तो मैच में दो बार डाइव लगाने से कोई समस्या नहीं है।'
   
अक्षय मिला था इंग्लैंड जाने का ऑफर 

 

पूर्व क्रिकेटर वसीम जाफर अपने करियर के अंतिम दौर में विदर्भ के लिए खेलते थे। एक बार वह अक्षय के पास इंग्लैंड जाने का आफर लेकर आए थे। वसीम जाफर चाहते थे कि अक्षय इंग्लैंड जाकर अपने स्किल्स को निखारें, लेकिन विदर्भ के विकेटकीपर बल्लेबाज ने विनम्रतापूर्वक इस ऑफर को अस्वीकार कर दिया था। क्योंकि अक्षय भारतीय परिस्थितियों में बेहतर बल्लेबाज बनना चाहते थे।

 

अक्षय ने उस बारे में कहा था, 'मुझे एक बार मौका मिला था। वसीम भाई ने संपर्क किया था और उन्होंने मुझसे पूछा था कि क्या मैं इंग्लैंड जाने का इच्छुक हूं? मैंने ना में जवाब दिया था क्योंकि मैं भारतीय परिस्थितियों में गर्मी में स्पिन खेलने की कला में महारत हासिल करना चाहता हूं। मैं मध्यक्रम के बल्लेबाज के तौर पर मैं कभी इंग्लैंड नहीं जाना चाहता था, यहां घरेलू सीजन में खेलते समय मुझे स्पिनरों का सामना करना पड़ता है।

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