राशिद खान और मोहम्मद नबी ने महिलाओं की नर्सिंग की ट्रेनिंग पर बैन लगाने के तालिबान के फैसले पर आवाज उठाई है। अफगानिस्तान के दोनों स्टार क्रिकेटर्स ने तालिबान को अपने फरमान पर फिर से विचार करने को कहा है। समाचार एजेंसी AFP के मुताबिक काबुल में स्वास्थ्य अधिकारियों और शैक्षिक संस्थानों के अधिकारियों के बीच हाल ही में बैठक हुई थी जिसमें तालिबान सरकार का फैसला सुनाया गया था कि महिलाएं और लड़कियां अब मेडिकल संस्थानों में पढ़ाई नहीं कर सकती हैं।
राशिद खान ने बुधवार (4 दिसंबर) को तालिबान के फैसले पर चिंता जताते हुए कहा कि इसका अफगानिस्तान पर गहरा असर पड़ेगा क्योंकि देश पहले से ही मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। साथ ही राशिद ने ये भी कहा कि इस्लाम में शिक्षा मजबूत स्तंभ है। वो मेन पिलर है और सबका अधिकार भी। उससे ना तो पुरुषों को वंचित रखा जा सकता है और ना ही महिलाओं को। अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए शैक्षिक और चिकित्सा संस्थानों के बंद होने से मैं काफी दुखी हूं।
राशिद को तालिबानी फरमान के खिलाफ आवाज उठाने अफगानिस्तान के पूर्व कप्तान मोहम्मद नबी का भी पूरा साथ मिला। नबी ने महिलाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने से रोकने के तालिबान सरकार के फैसले को ठेस पहुंचाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि लड़कियों को मेडिकल की पढ़ाई से प्रतिबंधित करने का फैसला सही नहीं है। इस्लाम ने हमेशा सभी के लिए शिक्षा के महत्व पर जोर दिया है। ऐसे में तालिबानी सरकार का फैसला दुखद है।